और मेरी रगों में खून तेजी से दौड़ने लगा..

         आज अलसुबह हम ऑटो से अपने ऑफ़िस जा रहे थे पहला चौराह पार करते ही क्या देखते हैं कि ऑटो वाले अपने पैसेन्जर के साथ जूतमपैजार कर रहे थे। तो यह सब देखते ही मेरी रगों में खून तेजी से दौड़ने लगा और दिमाग गर्म होने लगा और ऐसा लगा कि इन स्सालों को अभी उतार कर दौड़ा दौड़ा कर मारुँ, जैसा कि कभी अपने कालेज के जमाने में किया करते थे फ़िर अचानक अपनी छठी इंद्रीय ने संकेत दिया कि अब तुम कॉलेज में नहीं पढ़्ते हो, ओर हम चुपचाप दूसरी तरफ़ मुँह करके बैठ गये पर दिमाग गर्म ही था, क्योंकि बहुत दिनों बाद मार पिटाई देखी थी। वापस से अपना ध्यान कालिदास प्रणीतम “मेघदूतम” में लगाया जिसमें यक्ष मेघ को अलकापुरी जाने के रास्ते में उज्जियिनी से जाने को कहता है कि तुम्हारा मार्ग वक्र हो जायेगा परंतु उज्जियिनी की सुंदरता देखकर तुम सब भूल जाओगे।

 

        किसी तरह शाम को जाकर दिमाग की गर्मी खत्म हुई और रगों में खून वापस अपनी पुरानी रफ़्तार पर आ गया।

5 thoughts on “और मेरी रगों में खून तेजी से दौड़ने लगा..

  1. अच्छा है
    "तुम्हारा मार्ग वक्र हो जायेगा परंतु उज्जियिनी की सुंदरता देखकर तुम सब भूल जाओगे।"
    वक्र मार्ग के बाद उज्जयिनी —
    वाह

  2. संस्कार कदम पीछे खींच लेते हैं . ऐसी गुंडागर्दी जहाँ भी ऑटो है बढती जा रही है

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