महेश सिन्हा जी ने पिछले चिट्ठे मै पूछा था कि क्या प्राईवेट बीमा क्ंपनियां सुरक्षित है निवेश करने के लिये जो कि तमाम तरह की स्कीमें बेच रहे हैं, रिटायरमेंट प्लान, पेन्शन प्लान, यूलिप इत्यादि । इस तरह की तमाम सवलों को अगर हम देखते हैं तो सबसे पहले हम यह समझते हैं कि कौन से तत्वों से इन कंपनियों में वित्तीय स्थिरता आती है और् ग्राहकों को धन वापस देने के क्षमता आती है।
सोल्वेन्सी मार्जिन बताता है कि कंपनी कितनी सक्षम है किसी भी अनदेखी परिस्थितियों से निपटने में । सामान्यता: यह मार्जिन कंपनियों को अपने नियोजक आई.आर.डी.ए. (IRDA) को देना होती है| इससे आई.आर.डी.ए. (IRDA) इन कंपनियों के ऊपर नजर रख पाते हैं अगर कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो आई.आर.डी.ए. (IRDA) कार्यवाही करती है।
रिस्क तो फ़िर भी हरेक कंपनी के साथ निवेश करने पर रहती हो फ़िर भले ही वह प्राईवेट कंपनियां हों या एल.आई.सी. (LIC)। पर अगर बड़ी कंपनियों में निवेश करेंगें तो रिस्क कम ही रहती है जैसे AIG ने भारत में TATA के साथ गठजोड़ किया था और AIG वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ा तो टाटा ने उसके शेयर खरीदकर निवेशकों की रिस्क कम कर दी।
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Koi Expert hee bataa saktaa hai.
{ Treasurer-S, T }
धन्यवाद विवेक जी
इनकी भी कोई रेटिंग होती है क्या ? IRDA कितनी रिस्क कवर करता है . अपने देश में १ बैंक बंद होने से हंगामा मच जाता है . अमेरिका में ७० से ऊपर बैंक डूब चुके लेकिन कोई हलचल नहीं दिखती !
प्राईवेट बीमा कंपनियों में निवेश करना यदि इतना ही सुरक्षित होता तो 1971 में सरकार 105 कंपनियों का यूं अधिग्रहण नहीं करती…
जीवन बीमा में तो हालत कहीं ज़्यादा चिंताजनक है…25-30 साल बाद एसी कंपनियों का क्या होगा कौन जाने…ये कभी भी हाथ खड़े कर भाग सकती हैं जैसा कि शेष दुनिया में होता है…अभी हाल ही में दुनिया के सबसे सशक्त व बड़े अमरीकी वित्तीय संस्थानों का हाल सबने देखा ही है…फिर भी प्राईवेट बीमा कंपनियों से पालिसी लेना ही सुहाता हो तो भई आपकी मर्जी..
SEBI के बावजूद 8000 करोड़ का तेल राजू ने कर दिया…IRDA क्या तीर मार लेगा…