टर्म इंश्योरेंस बीमे का सर्वोत्तम रुप है, लेकिन क्यों “टर्म इंश्योरेंस की बीमा किश्त वापसी” वाली पॉलिसी न लें, लेकिन अगर आप नहीं मरे तो जमा की गई किश्तें वापिस नहीं मिलेंगी, एक आम सवाल है, कौन सी पॉलिसी बेहतर है, अब हम एक सरल उदाहरण लेते हैं और उसका खुद ही विश्लेषण करते हैं। अगर आपको थोड़ा बहुत गणित आता है तो आप औरों से बेहतर खुद ही बहुत अच्छे से आत्मविश्लेषण कर सकते हैं। तो अब हमें देखना है कि बेहतर क्या है “साधारण टर्म इंश्योरेंस” या “बीमा किश्त वापसी वाला टर्म इंश्योरेंस” ?? यह पता करना बहुत सरल है। बस कोशिश करें एक बेहतर प्लान पता करने की जो “बीमा किश्त वापसी वाला टर्म इंश्योरेंस” से अच्छा हो, अगर आप ढूँढ पाये तो, नहीं तो इससे बेहतर प्लान केवल “साधारण टर्म इंश्योरेंस” है। अब हम एक उदाहरण लेते हैं – आईएनजी वैश्य में “बीमा किश्त वापसी वाला टर्म इंश्योरेंस” का एक प्लान है जो कि “ING TERM LIVE PLUS” के नाम से है। कंपनी दो प्रकार से पेमेन्ट देती है – अ) मध्यावधि लाभ: जीवन को बीमित करने के बाद पॉलिसी अवधि के मध्य में, कंपनी नियमित प्रीमियम का 40% या फ़िर एकल/सीमित प्रीमियम का 20% वापिस करेगी, पर अगर बीमित व्यक्ति ज्यादा प्रीमियम का भुगतान कर चुका है तो उसे नहीं गिना जायेगा। ब) परिपक्वता लाभ: जीवन को बीमित करने के बाद उसकी परिपक्वता पर, जितनी भी प्रीमियम का भुगतान किया गया है उसे बिना ब्याज के वापिस कर देगी, वह उन प्रीमियम को हटा देगी जिसे बीमित व्यक्ति ने ज्यादा भर दिया है। तो अब हम आँकड़े देखते हैं – आयु: 35 वर्ष हम 10,653 प्रति वर्ष से इतनी या इससे ज्यादा राशि से और बेहतर क्या प्राप्त कर सकते हैं? हम एक उदाहरण लेते हैं टर्म इंश्योरेंस + पी.पी.एफ़. का 35 वर्ष के व्यक्ति के लिये 20 वर्ष की अवधि के लिये 12 लाख का प्रीमियम लगभग 3721 रुपये होती है, टैक्स के बाद। तो अगर हम 3721रुपये के भुगतान करते है 10653 रुपये की जगह तो हमारे पास बचते हैं 6932 रुपये (10,653 – 3721)| अब हम अगर यह 6932 रुपये हर वर्ष पी.पी.एफ़. में २० वर्षों तक 8% के हिसाब से निवेश करें तो इसका परिपक्वता मूल्य 3.40 लाख होता है। जो कि आईएनजी वैश्य के 2.1 लाख से बहुत अच्छा है, यह तो हो गया सबसे सुरक्षित तरीका, इसमें तो कोई प्रश्न ही नहीं उठता। SIP म्युचुअल फंड के साथ – अब प्रश्न यह है कि “टर्म इंश्योरेंस की बीमा किश्त वापसी” वाली पॉलिसी में क्या लाभ है ? उत्तर – कोई लाभ नहीं है, लेकिन आजकल बीमा कंपनियों को समझ में आ गया है कि लोगों को टर्म इंश्योरेंस का महत्व समझ में आ गया है, तो उनके विचार कुछ टर्म इंश्योरेंस प्लान में ही कम बढ़ कर देना था। ग्राहकों को महसूस करवायें कि “वे जो प्रीमियम भर रहे हैं वो उन्हें वापिस मिल जायेगी” इस तरह के नये उत्पाद बाजार में ला रहे हैं। लेकिन वो शायद भूल गये हैं कि इस दुनिया में “गणित” जैसे भी कुछ है। निष्कर्ष: तो अगर आप इंश्योरेंस लेने जा रहे हैं तो, टर्म इंश्योरेंस ही लीजिये, “टर्म इंश्योरेंस की बीमा किश्त वापसी” पॉलिसी पर बिल्कुल मत जाइये, उसकी प्रीमियम बहुत ज्याद है। हमेशा अतिरिक्त धन को किसी अन्य विकल्प में निवेश करें, जो कि सबसे बेहतर है। अब आप ऐसे बीमा एजेन्ट से कैसे निपटेंगे जो आपको इस तरह का उत्पाद बेचने की कोशिश करेगा ? या फ़िर आप अपने मित्रों को इन उत्पादों के जाल से कैसे बचायेंगे ? इस दुनिया में सबसे अच्छा उत्पाद अगर कोई है तो वो है "सरल", और मैं टर्म इंश्योरेंस को इस सदी का सबसे अच्छा उत्पाद मानता हूँ !! इससे अच्छा कोई उत्पाद ही नहीं है। इन बेबकूफ़ सोच वाले उत्पादों में अपना थोड़ा सा दिमाग उपयोग कर सोचें। तो आप खुद ही जान जायेंगे कि वह लेने लायक है या नहीं। संबंधित चिट्ठे पढ़ें – |
कई साल पहले, शारू रांगणेकर लिखित एक किताब पढ़ी थी जिसमें उनका कहना था कि यदि आपने जीवन बीमा की पालिसियों को निवेशक की तरह समझना शुरू कर दिया तो आप इन्हें चिमटे से भी पकड़ना पसंद नहीं करेंगे.
सच्चाई तो ये है कि जीवन बीमा निवेश नहीं है बल्कि सुरक्षा-शुल्क है, तो इसे इसी नज़रिये से देखा जाना चाहिये. सच्चाई ये भी है कि जीवन पालिसी बनाते समय actuarial प्रकिया का संज्ञान लिया जाता है इसलिए ये कहना कि फलां पालिसी से ज़्यादा फ़ायदा होगा ठीक वैसा ही है मानो ये कहा जाए कि लाल रंग की टोपी काले रंग की टोपी से हमेशा बेहतर होती है…
जीवन पालिसी = जीवन बीमा पालिसी
(भूल सुधार)
@काजलजी,
बिल्कुल यही बात मैं समझाने की कोशिश कर रहा हूँ, कि निवेश को बीमे के साथ मत जोड़िये, बीमा मतलब कि केवल बीमा और निवेश मतलब केवल निवेश, मैं अपनी इस श्रंखला में केवल यही समझाने की कोशिश कर रहा हूँ।
इस जानकारी के लिये धन्यवाद्
सही जानकारी . reverse mortgage के ऊपर भी प्रकाश डालें यह अपने देश में क्यों नहीं चल रहा है
जानकारी के लिये धन्यवाद्
बहुत सुन्दर! बीमा, बचत और निवेश अलग अलग चीजे हैं। और उनका घालमेल निरीह जनता के लिये उल्टा उस्तरा होता है! 🙂