मेघ को नायक और निर्विन्ध्या नदी को नायिका बनाते हुए कालिदास कहते हैं कि नायिका के कमर पर बाँधी हुई करधनी, झन-झन करती हुई कामोद्दीपक मानी जाती है। तरंगों के चलायमान होने पर शब्द करते हुए पक्षियों की पंक्तियाँ निर्विन्ध्या की करधनी मानी गयी है।
प्रणयवचनम़् – जिस प्रकार नायिका कमर की करधनी की झंकार बढ़ाकर मदमाती चाल से बार बार नाभी प्रदर्शन द्वारा नायक प्रणय का निमन्त्रण देती है, उसी प्रकार
निर्विन्ध्या भी तरंगों के चलने से शब्द करते हुये पक्षियों की पंक्तियों से, पत्थरों पर लड़खड़ा कर बहने से अर्थात मदमाती चाल से तथा बार बार भँवरों के प्रदर्शन से अपने नायक मेघ को प्रणय का निमन्त्रण दे रही है।हाव भाव के द्वारा ही प्रेमिका प्रेमी को प्रणय का प्रथम वचन कहती है, मुख से नहीं बोलती, अपितु इस प्रकार अंग प्रदर्शन करती है ये ही उसके प्रणय वचन है।
नदी को विरहणी नायिका का आरोप किया गया है, इसलिए उसकी क्षीण जलधारा को वेणी कहा गया है। प्राचीन काल में विरहिणी स्त्रियाँ केशों की केवल एक वेणी बनाती थीं। रतिरहस्य के अनुसार यहाँ पाँचवी कामावस्था का वर्णन किया गया है –
नयनप्रीति: प्रथमं चित्राऽऽसड़्गस्ततोऽथ सड़्कल्प:।
निद्राच्छेदस्तनुता विषयनिवृत्तिस्त्रपानाश:॥
उन्मादो मूर्च्छा मृतितित्येता: स्मरदशा: दशैव स्यु:।
अर्थात पहली नेत्र प्रीति, दूसरी चित्र की आसक्ति, तीसरी संकल्प, चौथी निद्रानाश, पाँचवी कृशता, छठी शब्द स्पर्श आदि विषयों की निवृत्ति, सातवीं लजजानाश, आठवीं पागलपन, नवीं मूर्च्छा और दसवीं मृत्यु – इस प्रकार दस कामावस्थायें हैं।
काली सिन्धु – मालवा में काली सिन्धु नाम की एक छोटी पहाड़ी नदी है, जो कि चम्बल की सहायक है। यह नदी जिला धार, तहसील बागली में बरझेरी ग्राम के पास विन्ध्य पर्वत के २३७० फ़ीट ऊँचे शिखर से निकलती है।
बेहतरीण श्रृंखला!
नयनप्रीति: प्रथमं चित्राऽऽसड़्गस्ततोऽथ सड़्कल्प:।
निद्राच्छेदस्तनुता विषयनिवृत्तिस्त्रपानाश:॥
उन्मादो मूर्च्छा मृतितित्येता: स्मरदशा: दशैव स्यु:।
अर्थात पहली नेत्र प्रीति, दूसरी चित्र की आसक्ति, तीसरी संकल्प, चौथी निद्रानाश, पाँचवी कृशता, छठी शब्द स्पर्श आदि विषयों की निवृत्ति, सातवीं लजजानाश, आठवीं पागलपन, नवीं मूर्च्छा और दसवीं मृत्यु – इस प्रकार दस कामावस्थायें हैं।
Bahut khoob !
मेघा रे मेघा रे, प्यार का अमृत बरसा रे…
बहुत सुंदर श्रंखला चल रही है, शुभकामनाएं.
रामराम.
बेहतरीन ………………………अद्भुत्……………………लाजवाब