अभी हम कुछ दिन पहले समान खरीदने रिलायंस फ़्रेश गये थे तो वहीं गिट्स का जलेबी पैक दिखाई दे गया जिसके साथ जलेबी मेकर फ़्री था बस हम वह पैक घर पर ले आये। तो हमारी घरवाली ने बस हमारा सिर ही नहीं फ़ोड़ा इतना तेज गुस्सा आ रहा था उनको, पर चलो आज उनका मूड बनाया कि तुम जलेबी बनाओ और पोहे हम बनाते हैं, क्योंकि हमें ऐसा लगता है
कि हम से अच्छे पोहे कोई बना ही नहीं सकता है। 🙂
जलेबी शुरु में भले ही अपने आकार में न बनी पर बाद में जलेबी ने आकार लेना शुरु कर दिया और छक कर पोहे जलेबी खाये, फ़िर बाद में ध्यान आया कि अरे फ़ोटो लेना भूल गये नहीं तो ब्लॉग पर चिपका देते। वैसे हमारी घरवाली का कहना है कि हमें एक ही चीज अच्छी बनानी आती है वह है पोहा, चलो हम तो अपनी पीठ इसी बात पर ठोंक लेते हैं और जलेबी बनाने पर हमने भी अपनी घरवाली की तारीफ़ कर दी नहीं तो अगली बार वो भी हमें ही बनाना पड़ेगी। 🙂 ये था इस स्प्ताहांत का हमारा नाश्ता।
बहुत सुंदर लगा आप का लेख, लेकिन हमे तो सिर्फ़ खाना आता है ओर वो भी जलेबी जितनी चाहे रख दो सब चट कर जाऊंगा, ओर पोहा अगर स्वाद हो चटपटा तो उसे भी नही छोडेगे, यकिन ना हो तो कभी खिला कर देख ले, वेसे हमे बनाना कुछ नही आता, बनाती हमारी बीबी ही है, बाहर का हम खाते नही
@राज जी – वादा है बहुत स्वादिष्ट नाश्ता करवायेंगे आ जाईये बस।
बडा लज़ीज़ नाश्ता किया आपने।पोहा जलेबी के समान ही समोसा जलेबी के काम्बिनेशन को भी कभी ट्राई किजिये।
विवेक जी पोहे और जलेबी दोनो हमारे भी फेवरेट हैं… हम तक ईमेल से भेजी जा सकती है क्या ये चीज़ें?अगर हाँ, तो हम वेट कर रहे हैं विद फैमिली…
बहुत ही लजीज नाश्ता है । सुनते ही मुंह में पानी आ गया । वाह जी
@अनिलजी – हम चटोरों के प्रदेश यानि के मालवा से हैं और सभी काम्बीनेशन बहुत बार खाये हैं, वैसे ये सब रायपुर में भी मिलता होगा।
@मीनूजी – काश हमारी तकनीक इतनी समृद्ध होती कि हम ये आप तक ईमेल के जरिये पहुँचा सकते। आप इधर ही आ जाईये विद फ़ैमिली, स्वागत है..
पोहे और जलेबी .. बोकारों भेजने का भी प्रबंध करें !!
मालवा में पोहे में अनारदाना होता था, यहां वह नहीं होता।
उसमें डालने को रतलामी सेव आगरा से मंगा लेते हैं! 🙂
@संगीताजी – आपका घर पर हार्दिक स्वागत है, हाँ हम भेज नहीं पायेंगे पर खुद आकर बनाकर खिला सकते हैं।
@ज्ञानजी – अनारदाना रतलाम और इंदौर में रवि पोहा पर ही देखा है हमने बाकी तो केवल दिखाने के लिये डालते हैं, रतलामी सेव आगरा से यह हमने पहली बार सुना क्योंकि हमें तो वहाँ की पंछी की दालमोठ बहुत पसंद है।
वाह जनाब अकेले अकेले …. जलेबी पैक वो भी घर में अकेले अकेले….
भाई ये तो कल रविवार का नाश्ता था पर बाजार से मंगाया था.:) जलेबी घर पर बनाने की परमिशन नही है. लठ्ठ का डर लगता है.:)
वैसे यहां अनारदाना, किशमिश खोपरा भी दलने लगा है आजकल पोहे मे.:)
कभी भुट्टे का किस ट्राई करिये.:)
रामराम.
yummmy ……….