हुतवहमुखे सम्भृतम़् – यह तेज का विशेषण है अर्थात तारकासुर के वध के लिये देवताओं की प्रार्थना पर महादेव ने अपने वीर्य को पार्वती में आधान किया, जब वे उसको धारण करने में समर्थ न हुई तो उन्होंने अग्नि के मुख में रख दिया। इसी कथा की ओर महाकवि कालिदास ने
यहाँ संकेत किया है। इसके बाद जब अग्नि भी सहन न कर सकी तो उसे गंगा में तथा गंगा ने उसे सरकण्डों में डाल दिया। इस प्रकार स्कन्द की उत्पत्ति हुई। इसीलिये इसे पावकि, अग्निभू कहा जाता है।
यद्यपि महाभाष्य तथा कौटिल्य अर्थशास्त्र में स्कन्द का उल्लेख मिलता है, परन्तु स्कन्द की उत्पत्ति की कथा पूर्णरुप से सर्वप्रथम वाल्मीकि रामायण के बालकाण्ड अ. ३६-३७ में मिलती है, जहाँ विश्वामित्र ने इस कथा को राम और लक्ष्मण को सुनाया है। महाभारत के वन पर्व, शल्य पर्व तथा अनुशासन पर्व में भी यह कथा आयी है। महाभारत में स्कन्द के नाम की सार्थकता इस प्रकार बतायी है –
स्कन्नत्वात्स्कन्दतां प्राप्तों गुहावासाद़् गुहोऽभवत़्।
अर्थात वीर्य के स्खलित होने के कारण वे स्कन्द कहलाये तथा गुहा में निवास करने के कारण गुह कहलाये।
पुत्रप्रेमणा – मयूर कार्तिकेय का वाहन माना जाता है और पार्वती अपने कानों में कमल की पंखुड़ी धारण करती थीं, परन्तु पुत्र कार्तिकेय से स्नेह रखने के कारण वे मयूर के गिरे हुये पंख को कानों में धारण करती हैं।
महाभारत वनपर्व अ. २०८ श्लोक ८-१० के अनुसार राजा रन्तिदेव ने गोमेध यज्ञ किया था, उसमें दो सहस्त्र गायों की बलि दी गय़ी। उनके विपुल रक्त प्रवाह ने एक नदी का रुप ले लिया, जिसे लोग चर्मण्वती कहते थे, आजकल उसे चम्बल कहा जाता है।
रन्तिदेव की कीर्ति के सम्बन्ध में अनेक कथायें महाभारत के शान्तिपर्व, द्रोणपर्व, वनपर्व में वर्णित हैं। ये संस्कृति के छोटे पुत्र तथा दशपुर के राजा थे। ये दानदाता तथा यज्ञकर्ता के रुप में प्रसिद्ध थे, सपरिवार भूखे रहकर भी ये अतिथियों को दान देकर उनका सम्मान करते थे। महाभारत शान्तिपर्व अ. २९ में यह कथा विस्तृत रुप में वर्णित है तथा भागवत पुराण स्क. ९ अ. २१ में भी वर्णित है।
हमेशा की तरह उम्दा!!
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
कृप्या अपने किसी मित्र या परिवार के सदस्य का एक नया हिन्दी चिट्ठा शुरू करवा कर इस दिवस विशेष पर हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार का संकल्प लिजिये.
जय हिन्दी!
आपका हिन्दी में लिखने का प्रयास आने वाली पीढ़ी के लिए अनुकरणीय उदाहरण है. आपके इस प्रयास के लिए आप साधुवाद के हकदार हैं.
आपको हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.
बहुत बढिया और सुंदर तरीके से आपकी यह श्रंखला चल रही है. निरंतरता के लिये आभार.
रामराम.
बहुत बडिया जानकारी धन्यवाद्
अत्यंत रोचक जानकारी।
{ Treasurer-S, T }
bahumulya jankari uplabdh karwa rahe hain ………shukriya.kripaya jari rakhein.