आज ही हमें एक ईमेल प्राप्त हुआ जो कि विशेषत: बिहारियों के लिये आया था – बिहार में साक्षरता अभियान – Literacy Campaign in Bihar.
कृप्या बिहारी लोग बुरा न माने उनकी सभी भैसें अपनी जगह सुरक्षित हैं यह नई भैंसे
आयात की गई हैं, और ये लालू का चारा भी नहीं खायेंगी।
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चारा रिजर्भ रखा है लालू के लिए बिहार का पब्लिक ने … देखिये आप बिहारवा का इनसॉल्ट्वा
कर रहे हैं हम सिर्फ़ भैंस नाही बल्कि गुंडा बाहुबली भी पलता
हैं…. समझवा
एक सच्चाई यह भी है कि बिहार मे ही सबसे ज़्यादा किताबे और पत्र पत्रिकायें बिकती है । बिहार से सबसे ज़्यादा लोग जे एन यू जाते है और साहित्य के पाठक भी वहाँ ज़्यादा है । और बाकि आप स्वयं तलाश करें ।
सही है और मैं बिहारी हूँ भी नहीं. 🙂
🙂
रामराम.
हा हा:))
भी एक बिहारी हूँ मगर अब बिहार में बदलाव की बयार आ रही है .
खैर बुरा तो नही लगा क्योंकि अब लालू जी भी बिहार में अब जाने वाले है .
मेरे ब्लॉग पर भैस चालीसा जरूर पढ़े .
http://www.bebkoof. blogspot
वाह एटूजेड भैसें ही भैंसे! आदमी विद्वान कैसे न बनेगा!