उन्मत्तभ्रमरमुखरा: – अलकापुरी में वृक्षों पर सभी ऋतुओं में सदा पुष्प विकसित रहते हैं, इसीलिये भ्रमर भी नित्य उन पर गुञ्जारते रहते हैं।
पादपा नित्यपुष्पा: – यद्यपि वृक्षों पर समय-समय पर पुष्प विकसित होते हैं परन्तु वहाँ अलकापुरी में वृक्ष सदा पुष्पों से युक्त रहते हैं।
हंसश्रेणीरचितरशना – हंस कमलनाल खाते हैं, अलकापुरी में कमलनियों पर
सदा कमल विकसित होते रहते हैं, इसलिये वहाँ कमलनियाँ सदा हंसों से घिरी रहती हैं।
सदा कमल विकसित होते रहते हैं, इसलिये वहाँ कमलनियाँ सदा हंसों से घिरी रहती हैं।
नित्यभास्वत्कलापा: – वहाँ अलकापुरी में घर-घर में पालतू मोर हैं और मोर वर्षा की काली-काली घटा देखकर कूकते हैं तथा वर्षा ऋतु में ही इनके पंखों में चमक आती है, किन्तु अलकापुरी में सदा मोर कूकते रहते हैं और उनके पंखों में चमक रहती है।
नित्यज्योत्स्ना: – क्योंकि सिर पर चन्द्रमा की कला को धारण किये हुये शिव सदा अलकापुरी के उद्यान में रहते हैं, इस कारण वहाँ की रात्रियाँ सदा चाँदनी से युक्त होती हैं।
प्रतिहततमोवृत्तिरम्या: – इससे ज्ञात होता है कि अलकापुरी में रात्रियाँ सदा प्रकाश से युक्त रहती हैं; इसलिए वहाँ कभी भी कृष्ण पक्ष नहीं होता, सदा शुक्लपक्ष ही रहता है।
आनन्दोत्थम़् – अलकापुरी में यक्षों की आँखों में आँसू हर्ष के कारण ही आते थे, दु:ख के कारण नहीं। भाव यह है कि वहाँ अलकापुरी में दु:ख नाम की कोई वस्तु नहीं है। सब और सदा सुख ही सुख रहता है, इसलिए यक्षों की आँखों में जो आँसू दिखायी देते हैं वे सब आनन्द के कारण हैं, दु:ख के कारण नहीं।
बहुत अच्छी पोस्ट लगाई है आपने।
प्रस्तुति बहुत बढ़िया है।
बधाई!
मेघदूत में नायिकाओं की कितनी कोटियाँ हैं -बस एक प्रोषित पतिका ही या और कभी इसे भी आलोकित करें !
सुंदर अति सुंदर.
रामराम.
अजी बहुत सुंदर लिखा आप ने
राम राम जी की
behad sundar aur upyogi jankari hai.