क्या आपने कभी सुना है कि भारत का वीसा मिलने के बाद फ़ोरेनरों के लिये उनका दूतावास एक मोडरेशन क्लास लेता है और उसमें भारत में बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया जाता है और लगभग यह वाक्य हर बार दोहराया जाता है “कि भारतीय चोर होते हैं..”, और वे खुद..
हम कल का टाईम्स ऑफ़ इंडिया आज सुबह पखाने में पढ़ रहे थे क्योंकि हमारा समाचार पत्र थोड़ा लेट आता है और हमको सुबह उठकर एकदम प्रेशर बन जाता है, तो कुछ समाचार वहीं पर इत्मिनान से पढ़ लेते हैं।
तो उसमें एक खबर थी कि वकील अपना फ़ोन एटीएम में भूल गया और फ़ोरेनर ने उसे उठा लिया।
हाईकोर्ट वकील एटीएम में पैसे निकालने गया और अपना कीमती ब्लैकबैरी मोबाईल एटीएम के ऊपर ही भूल गया, जब १५ मिनिट बाद उसे ध्यान आया कि मोबाईल तो एटीएम में ही भूल गया हूँ, लेकिन वापिस आने पर मोबाईल वहाँ नहीं मिला। उन्होंने पहले पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई और फ़िर एचडीएफ़सी बैंक के वीडियो क्लिप देखने पर पता चला कि उनके बाद तीन फ़ोरेनरों ने एटीएम का उपयोग किया था और उसमें से एक उनका मोबाईल उठा कर ले गया मतलब कि चोरी की। वकील ने एचडीएफ़सी बैंक के चैन्नई ऑफ़िस से जानकारी निकाली तो पता चला कि चोर आस्ट्रेलिया का है। वहीं से उनको उसका नाम और बैंक एकाऊँट नंबर भी मिल गया जब मोबाईल को ट्रेस किया गया तो पता चला कि अभी वह दिल्ली में है, उससे ईमेल पर अपील भी की है कि मोबाईल वापिस दे दे और आस्ट्रेलियन दूतावास को भी ईमेल कर शिकायत कर दी गई है, पर अभी तक कुछ नहीं हुआ है, कोलाबा पुलिस मामले की छानबीन कर रही है।
तो इस बात से ये तो साबित हो गया कि मुफ़्त की चीज सभी को अच्छी लगती है, चोरी के कीटाणु सभी में होते हैं बस किसी के एक्टीवेट होते हैं किसी के नहीं।
many of these foreigners are actually absconding criminals and some of them are fully settled in village groups of their own in Himachal and Uttarakhand. Indians are not thiefs ,but weak surely.
मुफत का माल सबको अच्छा लगता है – बिदेशियो इंसाने हैं। अरे वो नहीं उठाता तो कोई ऐसा वैसा उठा कर बाहर जाती टरेन पर सवार हो जाता। कोलाबा पुलिस को ढूढ़ते नानियाँ याद आ जातीं ।
मोबैल तो मिल ही जाएगा, मामला इंटरनेशनल जो हो चुका है।
मिल जाने पर एक ठो पोस्ट जरूर करिएगा।
फ़ोरेनरों के लिये उनका दूतावास एक मोडरेशन क्लास लेता है और उसमें भारत में बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया जाता है और लगभग यह वाक्य हर बार दोहराया जाता है “कि भारतीय चोर होते हैं..”, और वे खुद..
-कुछ अतिश्योक्ति लगती है भाई इस बात में…और यह आलेख से डिसकनेक्टेड भी लगता है.
@समीर जी – अतिश्योक्ति नहीं है ये बात कई बार इलेक्ट्रानिक मीडिया में भी उछल चुकी है, और हमने अपने बहुत से मित्रों से भी इस बाबद सुन रखा है। डिसकनेक्टेड नहीं है यह इस आलेख की पृष्ठभूमि बयां करता है।
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होती
चोरों को सारे नज़र आते हैं चोर…
जय हिंद…
ऐसा कुछ नहीं है , जितनी चोरिया फ्रैंकफर्ट हवाई अड्डे पर
और कनाडा में होती है विदेशियों की ,उतनी विदेशियों के साथ इंडिया में नहीं होती !
अब तो हम भी अपने दूतावास मे क्लास लेकर कह सकते हैं……………………।
ऐसा सुना तो नहीं . पर अगर सत्य है तो भारत सरकार को ऐसे देशों से शिकायत करनी चाहिए ………. .This is against law…
kashh….ki chor kisi jati-vishesh ke hi hote…
इतना सुनहरा अवसर कोई कैसे हाथ से जाने देता…
विवेक जी , आप सही कह रहे है ,
उन्हें तो यहाँ तक कहा जाता है की अपना सेल नंबर किसी को ना दें –
( फिर चाहे वो आपका दोस्त ही क्यों ना हो, और चाहे कितनी इमरजेंसी क्यों ना हो )
मेरी एक परिचित ने तो मेरे दोस्त की बाइक पर ही बैठने से मना कर दिया था – जबकि उस समय उसको चोट आई हुई थी
( उसका कहना था की उसके दूतावास ने मना किया है )
ये मन में डाला जा रह है विदेशी नागरिको के –
Udan Tashtari जी ये बात सही है अतिश्योक्ति नहीं – क्यों में खुद भुक्त- भोगी हूँ
विवेक जी मै भी आप की बात से सहमत नही, जब हमे वीजा मिलता है तो हमे वो वीजा भारतीया दुतावास से मिलता है, ओर उसी देश मै उसी देश का दुता वास नही होता, जेसे जर्मन तो ऎसी पट्टी हमे कोन पढायेगा? शायद भारतीया दुता वास ही ना, तो भाई हम दुसरो को क्यो बुरा कहे, फ़िर चोर तो हर जगह होते है, ओर जितने भी फ़ार्नेर सब का तो पता नही( जर्मन) भारत आते है, वो बहुत खुश हो कर जाते है( ८०%)ओर बहुत तारीफ़ भी करते है आम जनता की, लेकिन हमारी व्यवस्था की पुलिस की नही, हादसे सभी जगह होते है, लेकिन कोई भी देश अपने नागरिको को निर्देशक तो देता है, सावधान रहने के लेकिन कोई एक्स्ट्रा कलास नही लगती, ओर जो निर्देशक देता है उस मै खाने पीने के बारे ओर हारी सभ्यता के बारे की वहां खुले मै चुम्मा चपटी नही, ओर पहरावे के बारे होते है, आप बेफ़िक्र रहे अभी तक भारतियो की छवि बहुत अच्छी है एक भारतिया ही है जिन को सब देशो मै इज्जत मिलती है
अच्छी जानकारी। धन्यवाद।
इंसानों की प्रवर्ती तो सब जगह एक सी ही होती है।
लेकिन फर्क होता है, देशों के कानून में और इसके पालन में।
हमारे यहाँ सब कागज़ पर होता है।
मेरे एक मित्र ने अपना लैपटॉप europe के एक एअरपोर्ट में रख कर थोड़ी देर ध्यान नहीं दिया तो पाया वह गायब हो चुका है . शायद इन्सान ही चोर होता है
@राज जी – अगर ऐसा है कि भारतीयों की सभी जगह सम्मान है तब तो कोई समस्या ही नहीं है क्योंकि आप इस बारे में ज्यादा अच्छे से बता सकते हैं।
देख पराई चूपड़ी मत ललचावै जीव .. अब जीव तो देशी-विदेशी सभी का होता है ना ? लेकिन बेचारे को क्या पता हम भी हाईटेक हैं .. ।