ब्लॉगिंग के कीड़े ने ऐसा काटा है कि अपने सारे कमिटमेंन्ट्स की वाट लग गई है। कुछ दिन पहले जिम शुरु किया था मतलब दिवाली के एक महीने पहले तक तो हम सुबह या शाम कभी भी समय निकालकर चले जाया करते थे, फ़िर एक महीने के लिये बीबी बच्चे उज्जैन चले गये तो हम भी आराम से बेचलर लाईफ़ जीने लगे और मजे में रहने लगे। अब तो न बीबी के ताने का डर था और न ही जिम न जाने पर किसी से नजरें भी नहीं चुरानी थी, बस जितना समय मिलता अपनी किताबें पढ़ने के शौक में निकल जाता या ब्लॉगिंग में।
पर जबसे हमने जिम शुरु किया था तो हमारा ब्लॉगिंग का प्राईम टाईम उसी में निकल जाता था और हम हमारा ब्लॉग लिखने का शौक पूरा नहीं कर पा रहे थे। फ़िर बेशर्म होकर हमने जिम न जाने फ़ैसला कर लिया, थोड़े दिन बीबी ने भी ताने मारे फ़िर चिकना घड़ा समझकर बोलना छोड़ दिया कि बोलने का कुछ फ़ायदा नहीं। हाँ खर्चा जरुर ज्यादा हो गया, शौक में हम २-३ हजार की एसेसरीज ले आये और कभी कभी उनकी नजरों से तानों का एहसास होता है, क्योंकि अब वो हमारी आदत से परिचित हो गई हैं।
हमने हमारे स्वास्थ्य के लिये अपने से कमिटमेन्ट किया था कि अब कुछ वजन कम करेंगे और नियमित व्यायाम करेंगे। पर ब्लॉगिंग के कीड़े ने ऐसा काटा कि अपने सारे कमिटमेंन्ट्स की वाट लग गई।
और जब से हमारे घर में नया इंटरनेट कनेक्शन लगा है तो हमारी श्रीमती जी के तेवर भी बदल गये हैं कि आ गई मेरी सौत। अब हैं तो हम चिकने घड़े ही…. देखते हैं कि भविष्य में हम कैसे अपने कमिटमेन्ट्स पूरे कर पायेंगे।
ब्लॉग्गिंग को मारिये गोली. पहले अपना और अपने परिवार के प्रति ध्यान दें. हम आजकल अपनी पत्नी की सेवा में लगे हैं. टांग जो टूटी पड़ी है.
अपने स्वास्थ्य , घर ,परिवार और नौकरी के बाद ही ब्लागिंग की बारी आनी चाहिए .. पर ये नशा समाप्त हो तब ना !!
अजी नशा तो अपना भी गजबै लग गया है..खैर एक नियंत्रण तो लगाना ही होगा..
न्युनाधिक सबै ब्लॉगर की तकलीफ है ये । मैनेज करना पडेगा ।
अपने दिल से जानिए पराये दिल का हाल।
अरे नही पहले ध्यान से अपने स्वास्थ्य पर ओर घर परिवार पर धयान दे. जरुरी नही जिम जाये, लेकिन थोडी टहल कदमी ओर खरीदारी तो जरुर करनी चाहिये… फ़िर मोजां ही मोजां
विवेक भाई,
हमारी पत्नीश्री भी एक बार सेहत को लेकर हाथ-धो कर हमारे पीछे पड़ गई…सुबह नाश्ते में कोई पराठा नहीं…कुछ फ्राई नहीं…बस कॉर्न फ्लेक्स…हमने भी कहा चलो ऐसे ही सही…सुबह डाइनिंग टेबल पर हमारे लिए कॉर्न फ्लेक्स का बाउल आ गया…हम भी झट से चट कर गए…पत्नी किचन की ओर मुड़ी ही थीं कि हमने कहा…चलो तुम्हारी कार्न फ्लेक्स की बात पूरी हो गई…अब नाश्ता लाओ…वो दिन और आज का दिन…पत्नी ने दोबारा कार्न फ्लेक्स के लिए कभी नहीं पूछा…
जय हिंद…
आजकल युवाओं को भी स्वास्थ्य सम्बन्धी गम्भीर समस्याएँ हो रही हैं। पहले स्वास्थ्य फिर कुछ और।
घुघूती बासूती
सच्चे ब्लॉगर को ताना प्रूफ होना पड़ता है!!
🙂
विवेक जी, हम पंछी एक डाल के 🙂
बी एस पाबला
भैया, चादर जितनी लम्बी हो, पैर उतने ही पसारने चाहिए।
पैसा उतना ही इन्वेस्ट करना चाहिए शेयर्स में, जितना फ़ालतू हो।
यही बात ब्लोगिंग पर भी लागू होती है।
नशा शराब में होता तो नाचती बोतल
आप एक काम करो मैने एक बार एसे ही ब्लागींग छोडा था।
एक जिन या वोड्का मार लो!
ज्यादा नही! बस हटाने के लिये और जैसे ही चढ जाए बाहर जिम मे जाना और उसे दबाने की कोशीस मत करना।
use at own risk!
मैने ईस्तेमाल किया था बाईक से आ रहा था जो चला रहे थे वो भी धूत थे। मै जोश मे आ कर चलती बाईक से कुद गया और मेरा हूलिया बदल गया था 🙁