आज सुबह सात पचपन से ही हम irctc पर हम तत्काल का रिजर्वेशन करवाने के लिये बैठ गये और क्विक बुक विकल्प से हम जाते हैं क्योंकि वहाँ से सीधे पेमेन्ट गेटवे पर जा सकते हैं। पर जैसे ही आठ बजे irctc की साईट Service Unavailable का बोर्ड दिखाने लगी, हम परेशान कि हमें पता ही नहीं चल पा रहा था कि हमें टिकिट मिल पायेगा या नहीं और irctc की साईट को कई बार रिफ़्रेश किया परंतु नतीजा वही। आखिरकार हमें सफ़लता मिली ८.२८ मिनिट पर और हमारा टिकिट बुक हो गया तब मात्र ११ सीटें उपलब्ध थीं। वो तो हमारी किस्मत अच्छी थी कि हमें टिकिट मिल गई नहीं तो मात्र ५ मिनिट में ही सारी टिकिट साफ़ हो जाती हैं।
इस विषय पर हम पहले भी लिख चुके हैं –
irctc.co.in रेल्वे का मिला जुला खेल या इस सरकारी तंत्र के पास संसाधनों Infrastructure की कमी
अब आज हमने सोचा कि इनका क्या किया जाये कहाँ शिकायत की जाये तो हमें पता चला कि इनका कोई नियामक ही नहीं है, जैसे बैंक, टेलीकॉम, इंश्योरेन्स आदि संस्थाओं के लिये नियामक हैं पर रेल्वे का कोई नियामक नहीं है।
क्या इनके पास infrastructure की वाकई कमी है या उसे लागू करने की इच्छाशक्ति की कमी है, अगर ये लोग बोलते हैं कि हमारे पास ट्रान्जेक्शन बहुत ज्यादा होते हैं तो यह गलत है क्योंकि अगर बड़े बैंकों से बराबरी की जाये तो कहीं न कहीं उसमें भी समानता मिल जायेगी। पर बैंकों के Infrastructure में कभी समस्या नहीं आती, क्योंकि वे लोग अपने को समय के अनुरुप अपडेट रखते हैं या फ़िर सब कुछ आऊटसोर्स कर देते हैं। भारतीय रेल्वे को भी इस पर कुछ ऐसा ही कदम उठाना चाहिये।
हम अब ये बात रेल्वे के उच्चाधिकारियों तक कैसे पहुंचायें अब यह जानने की कोशिश करते हैं और उन तक अपनी बात पहुंचाते हैं। अगर कोई इस बारे में हमारी सहायता कर सकता है तो जरुर बताये।
रेलवे तक बात अवश्य पहुँचाइए। शायद ज्ञानदत्त जी बता सकें कि बात कैसे पहुँचाई जा सकती है।
विवेक जी,
आप इन गैर-सरकारी वेबसाईट्स की सहायता ले सकते हैं
http://www.consumercomplaints.in/bycompany/indian-railway-a12053.html
http://www.icomplaints.in/indian-railways-complaints.html
http://www.consumercourt.in/railways/
http://www.complaintsboard.com/byurl/indianrail.gov.in.html
बी एस पाबला
बडे धोखे हैं इस राह में।
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क्या है कोई पहेली को बूझने वाला?
पढ़े-लिखे भी होते हैं अंधविश्वास का शिकार।
यह सब सेट्टिंग का मामला है . दलाल सीना ठोक कर अभी भी टिकट दिलवाता है. सूचना के अधिकार का उपयोग कर सकते हैं
रेलवे से आउटसोर्सिंग को ले कर पिछले दशक में मन में बहुत अहो भाव था। पर सर्विसेज को देख कर मन खट्टा लगता है। सम्भवत: पूर्ण प्राइवेट संस्था होती तो शायद बेहतर होती IRCTC. पर मुझे पक्का विश्वास नहीं।
अरे सच मै बहुत घपला लगता है, यानि हर तरफ़ जेब कतरने को तेयार है, फ़िर इन आन लाईन का क्या लाभ? ओर दलाल भी हर जगह मोजूद है, लेकिन जब आनलाईन सुबिधा है तो फ़िर इन दलालो की क्या जरुरत? सब मिला कर हम कभी नही सुधर सकते
ये तो रोज की समस्या है.. तत्काल टिकट irctc से मिल जाये तो अहो भाग्य…
ईमेल द्वारा प्राप्त –
प्रिय रस्तोगी जी ,
आप ने सिर्फ एक दिन का बुरा अनुभव लिखा है, मैं तो अक्सर ऐसे बुरे अनुभव झेलता रहता हूँ क्योंकि टूरिंग का काम है. यही नहीं, ट्रेन का डब्बा सेकेण्ड क्लास का हो या एसी का, दोनों में ही ऐसा लगता है कि हमें रेलवे वाले मूर्ख बना कर लूट रहे हैं. शिकायत किस से करेंगे? इस देश में राजा ही चोर है और जनता अंधी और नपुंसक. गम खा के रह जाईये.
आपका,
आनंद शर्मा