ब्लॉगर मीट में शामिल ब्लॉगरों ने फ़िर मिलने के वादे के साथ शाम को अलविदा कहा – मुंबई ब्लॉगर मीट – रपट – २

पिछली रपट पढ़ने के लिये यहाँ चट्का लगाईये ।
शशि सिंह जी ने अपना परिचय दिया और बताया कि वे बहुत पुराने ब्लॉगर हैं परंतु अब समय कम होने के कारण नहीं लिख पाते हैं, वहीं अविनाश वाचस्पति जी ने सबकी तरफ़ से उनसे अनुरोध किया कि महीने में कम से कम एक पोस्ट तो जरुर लगाया करें, शशि सिंह जी ने कहा कि वैसे मेरी उपस्थिती टिप्पणी के माध्यम से ब्लॉग जगत में है, वहीं उन्होंने बताया कि वे कुछ न कुछ नया करने के प्रयास में हैं जैसे उन्होंने कुछ समय पहले ५ कवियों का मोबाईल अंतर्राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी की थी जो कि विश्व में इस प्रकार की पहली थी और अखबारों की सुर्खियों में थी।
महावीर बी. सेमलानी जी ने बताया कि उन्हें ब्लॉग बनाने के लिये उनकी दस साल की बेटी ने प्रेरित किया वे धर्म के बारे में ज्यादा पढ़ते हैं और उसी के बारे में लिखना पसंद करते हैं। उनका जैन धर्म के ऊपर एक ब्लॉग भी है हे प्रभू ये तेरापंथ । उनका कहना है कि धर्म की बातें समझने से व्यक्ति अपनी जिंदगी बदल सकता है। वे एक ओर ब्लॉग चलाते हैं मुन्ना भाई की ब्लॉग चर्चा और मुम्बई टाईगर
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महावीर बी. सेमलानी जी
सतीश पंचम जी ने बताया कि उन्हें लगा कि साहित्य पढ़ना चाहिये तो उन्होंने फ़णीश्वरनाथ रेणू की “मैला आंचल” से शुरुआत की, और तब से सफ़र जारी है अपनी व्यस्त जिंदगी के बीच ब्लॉगिंग के लिये समय निकालना एक बीमारी का लक्षण जैसा है, जिसे ब्लॉगेरिया भी कह सकते हैं, ब्लॉगर के लिये कहा गया कि जो खाया, पिया अघाया हुआ है और बौद्धिक अय्याशी चाहता है, वह ब्लॉगर है। कहीं कहीं तक ये बात सच भी है।
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एन.डी.एडम जी जिन्हें अविनाश वाचस्पति जी ने आमंत्रित किया और ब्लॉग मीट की शोभा बड़ाई, हमें लगा ही नहीं कि वे पहली बार मिले हैं, उनके रेखाचित्र ही शब्द बन गये थे। एडम जी ने बताया कि अविनाश वाचस्पति जी से मुलकात फ़िल्म फ़ेस्टिवल गोवा में हुई पर इस बार अच्छी जान पहचान हुई सो यहाँ पर भी आ गये। वे बड़ी बड़ी हस्तियों से मिलकर उनके पोट्रेट बना चुके हैं, पृथ्वीराज कपूर से लेकर जवाहरलाल नेहरु तक। नित नये लोगों से मिलना उनका शौक है और वे अभी तक व्यक्तिगत लोगों के ३०,००० से ज्यादा स्कैच बना चुके हैं।
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आलोक नंदन जी और एन.डी.एडम जी
अविनाश वाचस्पति जी को वैसे तो सब जानते हैं फ़िर भी उनसे परिचय देने के लिये अनुरोध किया गया, तो उन्होंने बताया कि सबसे पहला ब्लॉग उनका तैताला था फ़िर बगीची  बाद में उन्होंने सोचा कि अपने नाम से भी ब्लॉग होना चाहिये तो उन्होंने अपने नाम से भी ब्लॉग शुरु किया फ़िर नुक्कड़ और विश्व के सभी पिताओं को समर्पित पिताजी। उन्होंने बताया कि वैसे तो ११ वर्ष की उम्र से ही लेखन में हैं और धीरे धीरे लिखते हुए भाषा मंजती गई।
इसी बीच चाय और बिस्किट का दौर चलता रहा। फ़िर लगभग छ: बजे नाश्ते की प्लेट लगाना शुरु की जिसमें कचोरी, समोसे, चिप्स और गुलाबजामुन थे साथ में थी चटनी। अविनाश वाचस्पति जी के लाये गये काजू का भी सबने जमकर लुफ़्त उठाया तो सूरजप्रकाश जी ने चुटकी भी ली कि फ़ैनी कहाँ है।
इसी बीच डॉ. रुपेश श्रीवास्तव और फ़रहीन भी आ चुके थे, मिलकर बड़ा अच्छा लगा, तभी राजसिंह जी का फ़ोन आया कि हम भी पहुंच रहे हैं ब्लॉगरों से मिलने की जीवटता थी सबकी जो कि नेशनल पार्क के मध्य में सभी को खींच लायी।
राजसिंह जी सभी के लिये पान की गिलोरियां बनवा कर लाये थे जिसका सबने बाद में आनन्द उठाया और अपनी नई फ़िल्म के गाने का प्रोमो भी दिया व सबको गाने की रिकार्डिंग देखने के लिये आमंत्रित भी किया। उनके साथ आईं थीं श्रीमती आशा अनिल आचरेकर जी।
शाम ढ़लने लगी थी पक्षी अपने नीड़ों की ओर लौटने लगे थे, ब्लॉगर बंधु जो दूर से मिलने आये थे जाने के लिये रास्ता तक रहे थे पर मन भरा नहीं था, ३-४ घंटे भी कम पड़ गये, पता ही नहीं चला कि समय कब पंख लगाकर उड़ गया और शब्दों से निकलकर सभी ब्लॉगर एक दूसरे के सामने थे। सभी लोगों ने एक दूसरे से मिलने का वादा किया और मुंबई ब्लॉगर मीट की उस शाम को अलविदा कहा।

13 thoughts on “ब्लॉगर मीट में शामिल ब्लॉगरों ने फ़िर मिलने के वादे के साथ शाम को अलविदा कहा – मुंबई ब्लॉगर मीट – रपट – २

  1. संपूर्णता के साथ रिपोर्ट लिख रहे हैं….बेशक अच्छी प्रतिध्वनि है…

  2. सुशील जी आपने मौका क्‍यों खो दिया। आप यदि बतलाते तो हम पहले ही मुंबई ब्‍लॉगर मिलन आपके मुंबई आगमन पर करवा चुके होते। पर आप तो चुपचाप आये और मुंबई की माया ले निकल गये और इस बार इससे भी ज्‍यादा आनंद मिलता। खैर … आप यह बतलाइये कि अब कहां के लिए निकल रहे हैं। वहां के लिए कार्यक्रम तय करते हैं। बतलायें किस शहर में ब्‍लॉगर मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया जाना चाहिए अब ?

  3. विवेक भाई आपने विस्तार से लिखा अच्छा लगा। अब हम सम्पर्क में रहेंगे तो आप देखियेगा कि हम लोग कैसे इस तेज़ रफ़्तार जिंदगी में एक दूसरे का सुख-दुःख बांट लिया करते हैं…..।

  4. आदरणीय विवेक भाईसाहब,आपने हमारे डा.रूपेश श्रीवास्तव की सारी लड़ाई का अनजाने में ही अपमान कर डाला, उन्हें उस यशवंत सिंह के ब्लाग से कड़ीबद्ध कर दिया है जिससे वे एक जमाने में ही अपने सिद्धांतो और उच्च आदर्शों के चलते छोड़ चुके हैं। जिस पर से मुझे, मनीषा नारायण, मोहम्मद उमर रफ़ाई, रजनीश के.झा, मनीष राज, पंडित सुरेश नीरव, हरे प्रकाश उपाध्याय जी जैसे लोगों को मात्र तकनीकी चाभी हाथ में होने के कारण बेइज़्ज़त करके बिना किसी लोकतांत्रिक चर्चा के निकाल दिया था आपने उस मुर्दा और बनिये की दुकान हो चुके ब्लाग से डा.साहब को एक बार फिर जोड़ कर उनके घाव हरे कर दिये हैं। यदि आप भड़ासblog को ही भड़ास जानते हैं तो मेहरबानी करके एक बार फिर से जांचिये। ये हम सबकी आस्था व जीवन शैली का आधार बन चुका है।

  5. @आदरणीय मुनव्वर सुलतानाजी,
    डा. रुपेश जी और सभी ब्लॉगर्स से मिलकर कभी ऐसा लगा ही नहीं कि हम पहली बार मिल रहे हैं, हाँ मैंने गलत लिंक भूल से दे दी उसके लिये क्षमा चाहता हूँ, अभी मैं इस लिंक को ठीक कर रहा हूँ।

  6. जयपुर से आज ही लौटा हूँ और आ कर ये रीपोर्ट पढ़ी…मन मसोस कर रह गया….इतना अच्छा मौका इन सब ब्लोगर्स से मिलने का हाथ से चला गया…"चलिए अगली बार सही" सोच कर तसल्ली कर लेते हैं…सूरज जी राज सिंह जी और शमा जी के अलावा सबसे पहली बार मिलना होता…काश ये घडी जल्द ही आये…सफल समारोह आयोजन की बधाई…नीरज

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