कल फ़ॉक्स न्यूज चैनल पर उनके वरिष्ठ एंकर ग्लेन बेक द्वारा गंगा माता का अपमान किया गया। कहा गया कि गंगा जो कि भारत की सबसे लंबी नदी है वह एक बीमारी की तरह है। कम से कम मीडिया को किसी भी तरह की टिप्पणी करने से पहले यह तय कर लेना चाहिये कि इससे किसी की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचे।
हमारे हिन्दूवादी संगठनों ने प्रतिक्रिया दिखाई और इसका विरोध किया पर फ़ॉक्स न्यूज के ग्लेन बेक माफ़ी मांगने को तैयार नहीं हैं, क्यों, क्योंकि उनकी विचारधारा में भारत एक पिछड़ा देश है और पिछड़े देश को अमेरिका जैसे अगड़े देश कुछ भी बोल सकते हैं, उसका ताजा उदाहरण है – कोपेहगन जलवायु परिवर्तन सम्मेलन।
बाबा रामदेव ने तो यहाँ तक कहा कि फ़ॉक्स न्यूज को जब पता नहीं है कि गंगा को हिन्दू समाज माता का दर्जा देता है तो क्यों कुछ भी ऐसा बोला गया। ग्लेन बेक खुद यहाँ कुंभ के दौरान आयें और यहाँ आकर देखें कि हम भारतीय और विश्व के हिन्दुओं के श्रद्धा का केन्द्र है गंगा नदी। और उसमें स्नान कर उन्होंने जो अभद्र टिप्पणी की है गंगा माता पर, और जो पाप किया है, उस पाप को धोना चाहिये।
वाकई गंभीर मुद्दा है ये अमीर देश हमें अभी भी पिछड़ा ही समझता है और हम भी उससे दबकर रहते हैं, क्यों नहीं दबंगता दिखाते, भारत उनके लिये बड़ा बाजार है और नुकसान तो उन्हें भी होगा, हमें ये दिखाना पड़ेगा।
बहुत गलत और आपत्तिजनक -मेरी भी घोर आपत्ति दर्ज की जाय !
सुरसरी सम सब कर हित होई ..को ऐसा कहा गया ..लानत है !
आपत्तिजन्क है..विरोध दर्ज हो रहा है..नतीजा आयेगा!!
जो नदी का महत्व समझते हैं वे किसी भी नदी के लिये ऐसा नहीं कहते ..।
उसके बोलने में गलती हो गई ! ये साले अमरीकी यहाँ हिन्दुस्तान आकर जब जानकारियाँ इकठ्ठा कर रहे होते है तो आधे तो ये शराब के नशे में धुत होते है , अत: पूरी बात ठीक से नहीं सुनते ! पिछली बार जब वह किताब लिखने के सिलसिले में भारत आया था तो मैंने उसे बताया था कि गंगा मैया की गोद में डुबकी लगाने से बीमारियाँ दूर हो जाती है ! मैंने तो अंगरेजी ठीक -ठीक ही बोली थी, हाँ थोडा एक्सेंट का फर्क हो सकता है, अब हम क्या करे जब उस हरामखोर ने ठीक से ही नहीं सुना, समझा और लिख दिया कि गंगा मैया बीमारी है, 🙂
कभी सोचा है, क्यों गरीब देशों से अमेरीका जाने वाले लोगों की नौकरी रिसेशन में अमेरीकियों से कम गई?
विरोध तो दर्ज किया ही जाना चाहिये…
लेकिन पहले खुद के गिरेबान में झाँककर देखना भी चाहिये…। परसों ही कानपुर से लौटा हूं, और वहाँ गंगा की जो हालत है वह वाकई "बीमारी" जैसी ही है… और यह हालत किसी अमेरिकी द्वारा नहीं बनाई गई है…। यदि वाकई भारत के लोग गंगा जैसी नदियों की पूजा करते होते तो ऐसा नहीं होता। पाखण्ड के पुतले हैं हम सब…। बाकी तो लोग खुद ही समझदार हैं, मेरा मुँह क्यों खुलवाते हो… 🙂
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फ़ॉक्स न्यूज को जब पता नहीं है कि गंगा को हिन्दू समाज माता का दर्जा देता है तो क्यों कुछ भी ऐसा बोला गया। ?
बहुत गलत और आपत्तिजनक -मेरी भी घोर आपत्ति दर्ज की जाय !
विवेक भाई,
गंगा हमारी आस्था से जुडी है…हम इसे मां की तरह सम्मान देते हैं…लेकिन दूसरे आज इसे बीमारी कह रहे हैं तो इसकी असली वजह क्या है…गंगा को इस कदर प्रदूषित करने के लिए ज़िम्मेदार कौन है…हम ही न…गोमुख से दूध की तरह निकलने वाली गंगा कोलकाता के पास गंगा सागर तक आते आते नाले की तरह
छिछली हो जाती है…गंगा को ये शक्ल देने वाले कौन है…क्या बस सिर्फ ये कहने
से काम चल जाएगा…राम तेरी गंगा मैली हो गई, पापियों के पाप धोते-धोते…
जय हिंद…
ग्लेन बेक के कहने का ढंग गलत था…शब्दों का प्रयोग गलत था…पर उसमे निहित अर्थ भी क्या गलत थे??…आज गंगा का क्या हाल कर रखा है,उसके बेटों ने..क्या यह छुपा है किसी से??…हमें शब्दों की बजाय कर्म की ओर ध्यान देना चाहिए…गंगा को फिर से उतना ही स्वच्छ और पावन बना दें,फिर देखें..यही ग्लेन बेक खुद माफ़ी माफ़ी मांगेंगे और उसके गुण गायेंगे….अपने कर्तव्यों की ओर ध्यान ना दे,सिर्फ शोर मचाने से क्या होगा?
अमेरिका वाले भी ऐसे अंट संट काम किया करते हैं। उनका इलाज किया जाना चाहिए।
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छोटी सी गल्ती जो बडे़-बडे़ ब्लॉगर करते हैं।
क्या अंतरिक्ष में झण्डे गाड़ेगा इसरो का यह मिशन?
रश्मी जी और खुशदीप जी से सहमत !
अति निंदनीय और गैर- जिम्मेदाराना हरकत।
मैं सुरेश चिपलूनकर और रश्मि रविजा जी से पूर्णतः सहमत हूँ .
खैर अमेरिकी मीडिया भी इतना इज्ज़तदार नहीं है की उसके लिए हाय तोबा मचाई जाये .
जहां तक पचीसों सालों से अमेरिकी मानस को जाना है , फाक्स न्यूज देखनेवालों का स्तर भी वैसा ही है जैसे राज ठाकरे के अनुयायिओं का . ग्लेन की टिप्पणी समझने के लिए ये समझना भी जरूरी है की किनके लिए वे बोलते हैं.और हमें भी समझना चाहिए की जिसे माँ कहते हैं उसे गंदा भी करते हैं .हम पाखंडी ही हैं .
अरे सिर्फ माँ -माँ कहने से क्या होगा …पहले उसकी जो गत हमने बनाई है वो तो हम देख लें.फिर बहार वालों को भी भुगत लेंगे.पाप धोने के बहाने कचरा बहाते हैं उसमें हम ….क्या कभी ये सोचा हमने.?जब अपने कर्तव्यों को ही पूरा नहीं कर सकते ,तो किसी बहार वाले की जुबान क्या पकड़ेंगे.
बुरा तो लगता है कोई विदेशी हमें कुछ भी कहे तो…और आपत्ति दर्ज करना भी ठीक है…
लेकिन क्या उसने जो कहा वास्तव में गलत कहा???
एक बार सोचिये ना !!! अगर हम सचमुच गंगा को माँ मानते हैं तो फिर इसी माँ कि गोद में सारा कूड़ा साड़ी गन्दगी क्यूँ उंडेल देते हैं….
कभी कनाडा में आकर कोई देखे नदियों को कैसे रखते हैं ये लोग…..आप पूरी नदी घूम जाइए आपको कहीं कोई गन्दगी नज़र आ जाए तो आप कहियेगा…
नदियों कि इज्ज़त और बचाइश कोई इनसे सीखे….
मान अपमान कि बहस में न पड़ कर सही अर्थों में इसको बचने कि जुगत में हम सबको लग्न चाहिए. देर तो हुई है लेकिन 'जहाँ आँख खुले वहीँ सवेरा समझो'
किसी विदेशी ने बिना भारतीय संस्क्रति की उत्तमता को न समझते हुए और गंगा की महत्ता को विना जाने हुए जो गंगा माँ को बिमारी कहा मै अपना घोर विरोध दर्ज करा रहा हूँ , साथ ही मै भारतीयों से ये आवाहन करता हूँ की येसी स्थिति आई कैसे क्या केवल पवित्र पवित्र और महान महान चिल्लाने से गंगा की पवित्रता और महनता बनी रहेगी सोचनीय प्रश्न है
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
वह तो सिर्फ वह कह रहा है जो देख रहा है। यहां तो गंगामाई के साथ भीषण अत्याचार कर रहे हैं विरोध दर्ज कराने वाले। इनकी क्या दवा है?!