यह एक ज्वलंत प्रश्न है पारिवारिक मुद्दों में, माँ बाप को एक ही बेटे या बेटी से ज्यादा लगाव क्यों होता है।
माँ-बाप के लिये तो सभी बच्चे एक समान होने चाहिये परंतु मैंने लगभग सभी घरों में देखा है कि किसी एक बेटे या बेटी से उन्हें ज्यादा लगाव होता है और वह भी काफ़ी हद तक अलग ही दिखता है कि उसकी सारी गलतियों पर परदा करते हैं और दूसरे बच्चों से ज्यादा उसका ध्यान रखते हैं, भले ही वो उद्दंड, सिद्धांन्तहीन हो, मुझे आज तक यह समझ में नहीं आया कि इसके पीछे क्या भावना कार्य करती है, जो कि इस हद तक किसी एक बेटे या बेटी से भावनात्मक लगाव की स्थिती बन जाती है। भले ही वह उनकी सेवा न करे, उन्हें बोझ माने, उन्हें अपने सामाजिक स्थिती के अनुरुप न माने।
माँ-बाप के लिये तो हर बच्चा एक समान होना चाहिये, बड़ा या छोटा बच्चा होना तो विधि का विधान है, उसमें माँ-बाप या बच्चे का कोई श्रेय नहीं होता है। जब विधि अपने विधान में अन्तर नहीं करती है, सबको बराबार शारीरिक सम्पन्नता देती है, फ़िर इस भौतिक जीवन में यह अन्तर क्यों होता है। जैसे शरीर के लिये दो आँखें बराबर होती हैं वैसे ही माँ-बाप के लिये अपने सारे बेटे-बेटी बराबर होना चाहिये, परन्तु बिड्म्बना है कि ऐसा नहीं होता है, कहीं बेटा या कहीं बेटी किसी एक से ज्यादा भावनात्मक लगाव होता है।
क्यों ? यह प्रश्न है, जिसका उत्तर मैं ढूँढ़ रहा हूँ……..?
यह एक स्वस्थ्य बहस है, और अगर कोई भी आपत्तिजनक या व्यक्तिगत टिप्पणी पाई जाती है तो मोडरेट कर दिया जायेगा। शब्द विचारों को प्रकट करने का सशक्त माध्यम है कृप्या उसका उपयोग करें।
कल रामचरित मानस में पढ़ा की पिता को बडे पुत्र और मां को छोटे पुत्र से लगाव होता है !
सही बात है भैया जी बड़ा पुत्र पापा का और छोटा माँ का मंझला को पता ही नहीं कब किसका प्यार नसीब हो जाए.
मैंभी मंझला लड़का हु माँ का प्यार के अलावा आज ताक मैंने कुछ नहीं माँगा मगर ..पता न जब मेरी माँ मेरे सर पे हाथ रख कर झूठी कसम छोटे भै के लिए जब खाई मैं उसी दिन मर गया था भाई . मगर आज भी जब घर से निकलता हु तो माँ पापा का आशीर्वाद लेकर .. रामायण में और महाभारत में मंझाला लड़का का कहानी सत्य है भाई ..
Sahi kaha satendra ji… shayad ye natural hai…. lekin ye sahi hai ki maa baap bade aur chote ko hi jyada pyar karte hain… manjhle bachhe ko kisi ka naseeb ho ye uske bhagya par depend karta hai… pta nhi aisa kyu hai lekin aisa hai ye sach hai…
Ye bilkul sahi hai… I felt like unwanted child always…jaise main chahiye hi nhi tha maa baap ko… Unko bade bete aur choti beti se hi pyar hai… Main kuch bhi kar loon lekin unko khus nhi kar paata kabhi… Ye sach hai…
आपका कहना कुछ हद तक ठीक है…कोई मनःचिकित्सक इसका सही जबाब दे सकेंगे…पर जहाँ तक मुझे लगता है…माँ के लिए तो सारे बच्चे एक जैसे ही होते हैं…हाँ कोई ज्यादा शरारती हो तो ज्यादा डांट खा लेता है…और उसे लगता है,दूसरे को ज्यादा प्यार मिल रहा है…
यह सच है की माता-पिता को हर संतान से सामान प्यार नहीं होता…होना भी नहीं चाहिए. विपरीत लिंगी लगाव के सिद्धांत के अनुसार माता को बेटे तथा पिता को बेटी से अधिक प्यार होता है. पिता घर की जिम्मेदारी सम्हालता है अतः उसे बड़े पुत्र के प्रति अधिक लगाव होता है. माँ का लगाव छोटी संतान के प्रति अधिक होता है चूँकि वह बड़ों से अधिक कोमल या कमजोर होता है. कोइ संतान कमजोर या बीमार हो तो वह विशेष आकर्षण का केंद्र होती है. यह आकर्षण लगाव भी हो सकता है नफरत भी. मनोविज्ञान प्यार और नफरत को समान भाव मानता है. इस लगाव का कोई निर्धारित नियम नहीं है. यह परिस्थति और व्यक्तियों के स्वाभाव पर निर्भर करता है..हाँ ऐसा क्यों है का विश्लेषण किया जा सकता है.
aacharya ji yaha per apka tark galat hai …. kahte hai poot kaput hota hai par mata kumata nahi hoti hai ……. yah line aaj ke dor me galat sabhit hotaha hai ……
आप ने बिल्कुल सही बात कही मां व पिता के लिए सभी संतान बराबर ही होता है किन्तु धीरे उनके बड़े होने के साथ साथ उनके कार्य एवं व्यवहार से उनमे रुचि व अरुचि होने लगती हैं लेकिन फिर भी वह उनकी ही संतान है यह समझ कर कि उनके अन्दर सुधार हो डाटना फटकारना लगा रहता है इससे बच्चों को यदि बुरा लगता है है तो वह उनकी सोच हैं मां बाप बच्चों को हमेशा ही दिल से प्यार करते हैं पिता का प्यार दिखाई नहीं देता है माँ का प्यार दिखाई देता है
हाँ, ये थोड़ा समान्य अनुभव की बात तो है पर ऐसा कोई decisive सा नही है.
प्रस्न का उत्तर … पता नहीं.. मेरे तो दोनों बेटे ही हैं।
आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
@मनोज जी,
यहाँ पर केवल बेटे या बेटी की बात नहीं हो रही है, प्रश्न यह है कि अगर एक से ज्यादा बच्चे हों तो केवल एक से ही ज्यादा लगाव क्यों होता है… ?
पहले आप अपने व्यवहार के बारे में सोचे तो ज्यादा बेहतर होगा
हूं, फिर तो विचारणीय है कि क्यों होता है एक से ज़्यादा लगाव। हां रश्मि जी से सहमत हूं कि कोई मनोविश्लेषक ही दे सकता है इसका जवाब।
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' से सहमत होते हुए आगे बढ़कर कुछ और जोड़ना चाहूंगा ……. कि पिता की दुनिया में यश प्रतिष्ठा की जगह ज्यादा होती है ..सो वह इन प्राप्तियों वाले अपने बेटे या बेटी को अधिक लगाव समाज में प्रदर्शित करता है …वहीँ माँ का मन संवेदनाओं से भरा और कोमलांगी होने के कारण वह अपने कम स्थापित या कमजोर बच्चे के प्रति अनुराग प्रदर्शित करने लगती है !!!!! यही प्रश्न मैंने अपनी पहली चिटठा -चर्चा( http://chitthacharcha.blogspot.com/2009/12/blog-post_12.html ) में उठाया था …पर वह वहां अनुत्तरित रह गया था !
शायद ये इंसानी स्वभाव की बात हैं। कुछ इंसान ऐसे होते हैं जोकि सफल का साथ देते हैं और कुछ ऐसे भावुक जोकि दुर्बल को सहारा देते हैं। जब यही माता-पिता बनते हैं तो ये बात संतानों में भी नज़र आती हैं। क्योंकि हरेक बच्चा एक-सा नहीं होता। जो इंसान सफल के साथ होता है वो उस बच्चे से ज़्यादा आत्मीय होता हैं जोकि सफल और कुशल हो।
आजकल तो बच्चे ही एक या दो होते हैं। इसलिए भेद भाव का प्रशन ही नहीं उठता।
दूसरे, बच्चे भी इतने जागरूक हैं की अपना हक़ लेना जानते हैं।
ये भेद भाव तब होता था, जब बच्चे ८-१० हुआ करते थे।
ज़ाहिर है, हर बच्चे के साथ लगाव कम होता जायेगा।
एक आदमी ने अपने नोवीं लड़की का नाम रखा –भतेरी।
Sir maa bap se hak china nahi jata.
Maa baap ko kood dikna chaiye.
जैसे समाज में आप किसी के साथ को सहज पाते है वैसा ही परिवार में होता है..
न तो कोई निर्धारित कारण है और न ही नियम..कम से कम मेरी समझ से.
यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।
हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.
मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.
निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें – यही हिंदी की सच्ची सेवा है।
एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
आपका साधुवाद!!
शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
ऐसा है क्या? शायद अपने कण्टीन्यूयेशन को (जीवन के बाद) व्यक्ति एक बच्चे में देखता हो और उससे ज्यादा लगाव होता हो?!
बेटो से वंश चलने की बात कहने वाले समाज में नयी सोच जागृत करने के उद्देश्य से डेरा सच्चा सौदा के पूज्य गुरु संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सा ने बेटियों से वंश चलाने की एक नयी मुहीम का आगाज किया है और इस रीत को ''कुल का क्राउन'' का नाम दिया है । dailymajlis.blogspot.in/2013/01/kulkacrown.html
ये बात right है मुझ पर खुद पर बीत रही है मे महशुस कर
रहा हु ईस बात को, but way मुझे नही पता ऐसा क्यो भेदभाव है ऊन mumy papa के मन मै,
Mere ghr mein bhi same esa hi hota hai… Badi sister or choti ko bahut pyar karte hai or mujh bich waali ko Kaha jaata hai ki tu toh mar hi jaa…bahut kuchhhhhhhhhhhhh Kaha jaata hai… Parents bacho mein bhaidbhav karte hai… Yeah sach hai
mamta ji… pata nhi aisa ku feel hota hai… manjhli santaan unwanted hoti hai maa baap ke liye… I agree with your feeling and comments…. mere bade bhai aur choti behan ko bahut pyar milta hai… jabki wo maa baap ko wo kuch bhi keh dete hain aur usko ignore kar diya jaata hai… We are not small kids or teenagers… we all are mature adults….
jab bhi maa baap ko jarurat hoti hai main hamesha khada rehta hoon har tarike se… lekin wo don log nhi hote jab bhi jarurat hoti hai fir bhi maa baap un dono ko hi jyada pyar karte hain… aisa lagta hain ki bas sab log mujhse bas matlab nikalte hain apna…. main thak gaya hoon ab bahut….
Yesa hota hai.. Maine Har Kuch kiya apne Ghar family k liye.. Ek Ek saal Ghar se dur rah Kar job kiya or sbko Ek jaisa dekha… But aaj jaise bade bhai or chote bhai NE job start kiya.. To sabne Mujhe side Karna start Kar Diya.. Ab Mujhse Koi Maan se Baat nhi krta… Matlab parne pe call aata hai. Warnna Wo bhi nhi. Bht bura lgta hai… Kaas Mujhe Ye phle pta chalta… Ab jeene ka Mann nhi krta bhedbhav dekh k..
Mamta ji asa nhi hai aap positive soch rakhiye
Mere sas sasur bhi chote bete or bahu ko jyada chahte he mere pati or mujhe nhi un dono ki sari galti maaf kar dete he or meri galti pe mujhe sunate he etna sab hone ke baad bhi mere pati humesha un logo ka hi sath dete he
अच्छी बात यह है कि आपके पास अभिभावक हैं, आप बिना किसी शिकायत के रहिये, मन को मैला न होने दीजिये।
Samj sakta hu apka dard … Because ye sab mere sath ho raha hai