एक आदमी मुंबई के समुद्र तट के किनारे अपनी हार्ले डेविडसन बुलेट पर चला जा रहा था तभी अचानक आकाश में बादल छा गये और गूँजती हुई आवाज में भगवान बोले, “तुम मेरे प्रति बहुत ईमानदार रहे हो और तुमने मेरी बहुत पूजा की है, मैं तुम्हें एक वरदान देना चाहता हूँ, मांगो..”
उसने झट से बुलेट रोकी और बोला “यहाँ से हवाई द्वीप तक के लिये एक पुल बना दो” तो जब भी मेरी इच्छा होगी मैं अपनी बुलेट से जा सकता हूँ। भगवान बोले – “तुम्हारी इच्छा भौतिकतावादी है, जरा सोचो इस पुल को बनाने में कितनी भारी चुनौतियाँ हैं, फ़िर इसके लिये समुद्र की तह से कांक्रीट और इस्पात के पिलर बनाने होंगे, और कई प्राकृतिक संसाधन तो लगभग समाप्त ही हो जायेंगे। मैं यह कर सकता हूँ लेकिन मेरे लिये बहुत कठिन है तुम्हारी यह सांसारिक बात पूर्ण करना, और बहुत कठिन होगा मेरे लिये इसका औचित्य बताना। तुम सोचने के लिये थोड़ा और समय लो संभवत: इससे मानव जाति की मदद हो पायेगी।”
उस आदमी ने बहुत देर तक सोचा और फ़िर अंत में उसने कहा “भगवान, मैं और सभी पुरुष महिलाओं को समझ सकें; मैं जानना चाहता हूँ कि वो अपने अंदर कैसा महसूस करती हैं, वो क्या सोचती हैं जब वे मेरे सामने चुप होती हैं, वो रोती क्यों हैं, उनका क्या मतलब होता है जब वे कहती हैं “कुछ गलत नहीं है”, जब भी मैं उनकी मदद करने की कोशिश करता हूँ तो मुझे गलत क्यों समझती हैं और मेरी शिकायत क्यों करती हैं, और मैं औरत को वास्तव में कैसे सही मायने में खुश रख सकता हूँ…”
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भगवान ने कहा, “तुम्हें दो लेन का पुल चाहिये या चार लेन का ?”
ha ha ha… subah subah itti jor se hansa diya aapne.. 🙂
लाजबाब
बहुत उत्तम.
रामराम.
वास्तव में मन को जोड़ने वाले पुल बनाना बेहद कठिन है और भौतिक पुल बनाना आसान। बहुत ही सशक्त लघुकथा है।
ha.hahahah ati sunder…vartmaan samay ke sandarbh mein bahut hi badiya lika hai…
bahut khoob aur sahi kaha.
भगवान भी बेचारा… हमारी तरह से ही है
अच्छी प्रस्तुति है.
हा हा हा !!