यहाँ चैन्नई में जब से आये हैं रोटी तो देखने को भी नहीं मिली है, शुरु दिन ही दोपहर के खाने में मिनी मील सरवाना भवन का खाया, सरवाना भवन जो कि दक्षिण भारतीय खाने की अंतर्राष्ट्रीय श्रंखला है। और यहाँ तरह तरह के दक्षिण भारतीय खाने उपलब्ध हैं।
पहले दिन मिनी मील खाया जिसमें ३ तरह के चावल एक दही के साथ, दूसरा सांभर के साथ और तीसरा पता नहीं किसके साथ शीरा और ३-४ चटनियाँ।
फ़िर शाम को खाना खाया आन्ध्रा की प्रसिद्ध अंतर्राष्ट्रीय श्रंखला अमरावती में आन्ध्रा थाली, जिसमें तीन तरह की सब्जियाँ, १ चटनी, सांभर, रसम, दही और आन्ध्रा का खास मसाला, और दो विशिष्ट अचार चावल के साथ, स्पेशल पापड़, सूखी लंबी लाल मिर्ची, और चावल के छोटे पापड़, खाने के बाद केला, आन्ध्रा की कोई एक प्रसिद्ध मिठाई और आन्ध्रा स्टाईल पान।
नीचे फ़ोटो देखिये पर मेरे मोबाईल कैमरे से –
खाने का तरीका भी विशिष्ट है, चावल में घी (आप जितना चाहे घी डलवा सकते हैं) और फ़िर आन्ध्रा का खास मसाला मिलाकर खाने पर अद्भुत स्वाद आता है। साथ में सब्जियाँ मिला सकते हैं। फ़िर खाने में ज्यादा इमली वाले सांभर से कम इमली वाली रसम और फ़िर दही से खान खत्म करते हैं, यहाँ बेधड़क आप अपने हाथ से खा सकते हैं, और जम के अपने हाथ चाट भी सकते हैं, क्योंकि यह यहाँ की संस्कृति में शामिल है, अगर आप चम्मच से खायेंगे तो मजा भी नहीं आयेगा। थाली का खाना अनलिमिटेड है जितना चाहें उतना ले सकते हैं।
हमने यहाँ आकर बहुत चावल खाया पर कभी भारी नहीं लगा, शायद यहाँ का पानी वैसा है या फ़िर भौगोलिक स्थिती इस प्रकार है।
सरवाना भवन में हमने अभी तक मिनी मील, प्याज का उत्तपम, सांभर चावल, टमाटर का सूप, मसाला डोसा, पाव भाजी, मिनि टिफ़िन जिसमें एक डोसा, ५ छोटी इडली, शीरा, सांभर, स्पेशल चावल और चटनियाँ होती हैं। सरवानन भवन की विशेषता है कि वहाँ की क्वालिटी, पर हाँ थोड़ी मात्रा कम होती है।
यहाँ की एक और विशेषता है कि खाना परोसा जायेगा केले के पत्ते लगाकर सीधे प्लेट में नहीं।
yanna solra…..
toda amko bee dena ji 🙂
बहुत सुंदर जी कभी आये तो जरुर खायेगे, लेकिन मैने यहां यह खाने तो खाये है इन लोगो के परिवार मै जा कर जिस मै मिर्च हद से ज्यादा होती है, नाम सब भूल गया हुं, चावल मुझे पसंद नही लेकिन इन के खाने के संग चावल ही मिलते है,ओर स्वाद भी लगते है, हर जगह का अपना अपना खाना है
धन्यवाद
विवेक जी , चेन्नई में हैं तो साउथ इन्डियन खाने का पूरा लुत्फ़ उठाइये। घर में तो शायद श्रीमती जी कभी हाथ से खाने न दें और चाटने तो बिलकुल ही नहीं।
डॉ दराल साहब की हिदायत का पालन हुआ होगा !
रोचक संस्मरण।
vaah,aapko to aanand aa gya hoga,chitr dekh kar hme bhee aa gya.
@दराल साहब – हम तो घर पर भी हाथ से ही खाते हैं और खूब चाटते भी हैं, पर हाँ अगर बाहर कहीं खाने जाओ तो एटीट्य़ूड मैन्टॆन करना पड़ता है।
Yaar Vivek, tumne mera chennai kaa yaaden taazaa kardiya… Sarvana Bhavan Ka Mini Tiffin mera favourite hai. Tum udhar ka cofee, carrot juice, aur masala milk jo shaam ko milta hai zaroor peena. Tum enjoy zaroor karoge.
अरे क्या कर रहे हैं विवेक जी ! इस तरह के फोटो लगा कर क्यों जुल्म कर रहे हैं हम गरीबों पर? वैसे सरवाना भवन तो यहाँ भी है ..और हमारे लिए तो जन्नत समान है 🙂 मजा आया आपकी tasty पोस्ट खाकर..सॉरी पढ़कर ही ही ही
"पहले दिन मिनी मील खाया जिसमें ३ तरह के चावल एक दही के साथ, दूसरा सांभर के साथ और तीसरा पता नहीं किसके साथ"
बस इसके आगे पढ़ा नहीं जा रहा है.. हंस रहा हूँ… 😀