आज ऐसे ही अपनी बीती हुई जिंदगी का मतलब निजी हिसाब किताब कर रहे थे। तो हमने पाया कि बहुत कुछ हमने खोया है और बहुत कुछ पाया है।
और शायद जो खोया है अब हमें मिल भी नहीं सकता है और जो हमने पाया है कभी भी हमसे छिन सकता है या खो सकता है, शायद यह सभी के साथ होता है।
जो खोया है वह है हमने अपनों के करीब रहने का सुख, खुद के लिये समय और परिवार के लिये नितांत निजी समय, पर अपने खुद में इतना उलझ गये हैं कि ये सब बेमानी हो गया है। और जो मिला वो है अपने आप की दुनिया, नेट की दुनिया, जिसे हम कभी भी खो सकते हैं। वैसे तो इस नश्वर शरीर का भी कोई भरोसा नहीं है, परंतु प्यार तो हो ही जाता है।
इसीलिये तो भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है इस दुनिया को “दुखालयम”, मतलब कि दुखों का घर। इस भौतिक दुनिया में दुखों के बिना जीवन संभव नहीं है।
खैर हमने खोया भगवान की भक्ति को भी, पर फ़िर भी उनके प्यारे भक्तों के मधुर धुनों और बातों को सुनते रहते हैं, नेट से शायद हमने सबसे अच्छी चीज यही पायी है। हम भले ही कितनी दूर हों पर भगवान की मधुर बातें उनके चर्चाकारों द्वारा की गई हमारे पास सभी जगह उपलब्ध हैं।
शायद बाहरी तौर पर केवल इतना ही प्रकट कर सकते हैं, क्योंकि और ज्यादा हम बताना नहीं चाहते हैं। खोते तो सभी हैं और पाते भी सभी हैं, हम कोई अनोखे थोड़े ही हैं, ये तो बस माया का खेल है। अगर कुछ बताना चाहें अपने खोये पाये के बारे में तो अवश्य टिप्पणी में बतायें।
अपने खोये
अपने पाये
का हिसाब
खुद लगायें
क्यों भाई
विवेक
क्यों ?
इस काम को
तो ईश्वर को
ही करने दें।
भाई विवेक यही कहता है कि हम ये जीवन भगवान की मर्ज़ी से जी रहे है और हम निमित्त मात्र है लेना देना सब भगवान का सो खोय पया वो ही जाने
कुछ खो कर ही कुछ पाया जाता है फिर इसका हिसाब क्यों रखना शुभकामनायें
और शायद जो खोया है अब हमें मिल भी नहीं सकता है और जो हमने पाया है कभी भी हमसे छिन सकता है या खो सकता है, शायद यह सभी के साथ होता है।
kitna sach hai!
सब-कुछ लुटा कर भी
हमें होश न आय़ा
पता नहीं हमने
क्या खोया और क्या पाया!!
बड़ा कठिन पूछ लिया – यही जाननें में तो लगे हैं कि क्या खोया, क्या पाया!
खोना और पाना एक दूसरे के साक्षेप है, जैसे रात और दिन.. कालिमा और धवल.. इत्यादि !
एक ही बिन्दु पर ठहर कर मनन करते रहने से बेहतर कि खोने के कारणों से कुछ सीख लेकर पाने की ओर सतत बढ़ते रहना !
आज तक टोटल ही नहीं बैठा पाये कि क्या खोया, क्या पाया.
जीवन में क्या खोया क्या पाया ….
उस उपरवाले की माया है …
जो मिला जीवन से उसे उसका आशीष समझ कर लिया …फिर क्या हिसाब रखन क्या खोया क्या पाया …!!