वैसे तो आजकल सुबह शाम घूमना बहुत जरुरी हो गया है, क्योंकि अब घूमना भी मजबूरी है, पसीना बहाओ, जितना हो सके और अपना वजन कम करो, अब चैन्नई में हैं तो आज सुबह का घूमना हमने मरीना बीच जाना तय किया और कुछ फ़ोटो भी निकाले। सुबह लोग समुद्र के पानी में लहरों के साथ मस्ती कर रहे थे, तो अनायास ही मुझे अपने बेटे की याद आ गयी, उसे भी ये अठखेलियाँ करना बहुत पसंद है, किनारे पर नावों का जमावाड़ा लगा था, वे नावें अपने नाविकों का इंतजार कर रहीं थीं।
देखिये और बाकी सुबह घूमने का आनंद और सुख केवल वही जान सकते हैं जो सुबह घूमने जाते हैं, सार्वजनिक करना ठीक नहीं है 🙂
पहला दिन था अंदाजा ही नहीं लगा कि कितनी दूर आ गये हैं वहीं से पता लगाकर बस पकड़कर वापिस आ गये, तो उस बस के टिकट का भी फ़ोटो चस्पा दिये हैं, और साथ ही आजकल छावा पढ़ रहे हैं, जब भी जैसे भी समय मिल जाता है तो पढ़ते रहते हैं।
nice
खूब सुबह शाम सैर कीजिये और वज़न घटाइए ।
अब सलाह देने में क्या जाता है। 🙂
nice की महिमा अपरंपार है।
तसवीरें बहुत अच्छी है , संस्मरण भी रोचक है
'nice ' 😉
तसवीरें बहुत अच्छी है , संस्मरण भी रोचक है
'nice ' 😉
बढ़िया चित्र !
'छावा' पढ़कर इस किताब पर भी कुछ लिखें !
तस्वीरे बहुत बढिया है
परिवाएर के साथ होती तो सोने पे सुहागा होता.
चलो अच्छा है, बीच की बजन घटाउ सैर के साथ-साथ वहां के कंप्यूटरों को भी हिन्दी फांट के इनपुट संभालने की आदत हो रही होगी.
वाह विवेक ्भई चार रुपए में इत्ता ढेर सारा घूम लिए आप तो बधाई हो ..कमाल की फ़ोटुएं भेजी आपने ..और हां वो सार्वजनिक न की जाने वाली हमारी मेल पर भेज दें 🙂 🙂 🙂
अजय कुमार झा
काश…मैं भी वहाँ होता…सुन्दर तस्वीरें…..
……………..
विलुप्त होती… …..नानी-दादी की पहेलियाँ………परिणाम….. ( लड्डू बोलता है….इंजीनियर के दिल से….)
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_24.html
अरे वापिस भी पेदल ही आये तो बात बनेगी, वेसे भारत मै तो इतनी गर्मी है कि सारा दिन पानी पी पी कर ही वजन घट जाता है, चलिये अब रोजाना घुमने जाये ओर वापिस भी घुमते हुये आये
Aapki yaatra ka varanan aapaki zubani…. padane bahut maza aata hai, lekin ye to aap kamaal hi kar diye hain sachamuch 4 rupaye me itana ghume 🙂
badhiya chitra hai sare…Aabhar!!
बढ़िया है ऐसे ही टहलिये और तस्वीरें बांटते रहें. हम भी देख देख कर स्वस्थ हो लेंगे. 🙂
@ डॉ दराल साहब – हम भी तो सलाह पर अमल ही कर सकते हैं 🙂
@सोनल जी – धन्यवाद
@सिद्धेश्वरजी – छावा अद्भुत कृति है, जरुर पढ़ने के बाद लिखेंगे।
@हरि भाई – जल्दी ही परिवार के साथ की फ़ोटो भी दिखाएँगे।
@काजल कुमारजी – अपना लेपटॉप होने के कारण यहाँ के कम्प्यूटर हिन्दी फ़ोंट इनपुट के लाभ से वंचित हैं।
@अजय कुमार झा जी – चार रुपये में तो केवल वापिस आये थे, क्योंकि जाते समय पता ही नहीं चला कि कुछ ज्यादा ही चल लिये हैं। और मेल के बारे में फ़िर कभी बात करते हैं। 🙂
@ कृष्ण जी – धन्यवाद
@ राज जी – जी आपका आदेश सर आँखों पर ।
@ रानी जी – चार रुपये का तो केवल वापसी का टिकट था या यूँ कल लें कि हमने जाने के चार रुपये बचा लिये थे जो कि लगभग ७ किमी बस के सफ़र का टिकट होता है।
@ Yes, Nature is awesome !!
@ काश तस्वीरें देखने से ही स्वस्थ होते तो हम रोज सुबह उठते ही तस्वीरें देखते रहते ये कौन फ़ंडा है कृप्या करके हमें भी बताईये। 🙂
जीवन मस्त चले और क्या.
तस्वीरे बहुत बढिया है !!!!धन्यवाद!!!
ये किनारे सागर और धरती के सतत प्रेम की अभिव्यक्ति है । सुन्दर तो होगी ही ।
विवेक भाई डाक्टर ने मुझे भी कहा है सैर के लिये लेकिन नींद और आलस कुछ करने दे तब ना।बहुत बढिया पोस्ट।
सुबह की शानदार सैर करवाने का शुक्रिया…
नीरज
Behatreen lage ye tazatareen snaps Vivek sir
वाह बड़ी सुन्दर तस्वीरें हैं…आप रोज़ नयी जगह जाइए सैर को….और ऐसी ही सुन्दर तस्वीरें खींच लाइए 🙂
मरीना बीच वाह…सच में बहुत खूबसूरत है.