हमारे मित्र हैं, जिनसे वर्षों हो चुके हैं मिले हुए उनके उवाच ( मनीष हाड़ा उवाच J
इसी का नाम दुनिया है :
* कोई दूसरा चमचागिरी करे तो वो जी-हुजूरी है,हम करें तो वो उच्चाधिकारी के लिए सम्मान है.
* कोई दूसरा टिप न दे तो वो कंजूस है,हम टिप न दें तो हम पैसे की कीमत समझने वाले हैं.
* कोई दूसरा “आउट” हो जाये तो वो पी के उधम मचाने वाला गैर-जिम्मेदार शख्स है,उन्ही हालत मैं हम पार्टी की जान हैं.
* कोई दूसरा कहीं लेट पहुंचे तो वो वक़्त का पाबन्द नहीं, हम वक़्त के गुलाम थोड़े ही हैं.
* कोई दूसरा मुंह फाड़े तो उसे अपनी जुबान पर काबू नहीं है,हम ऐसा करें तो इसलिए क्योंकि हम मुक्त संवाद में आस्था रखते हैं.
* कोई दूसरा नुक्ताचीनी करे तो वो खुन्दकी है,हम ऐसा करें तो हम पारखी निगाह रखते हैं.
* कोई दूसरा कोई नुकसान करे तो वो गैर-जिम्मेदार है,उसे कमाना नहीं पड़ता न, वही नुकसान हम करें तो आखिर गलती इंसान से ही होती है.
* कोई दूसरा चुगली करता है, हम वही कहते हैं जो सच है.
* कोई दूसरा टिप न दे तो वो कंजूस है,हम टिप न दें तो हम पैसे की कीमत समझने वाले हैं.
* कोई दूसरा “आउट” हो जाये तो वो पी के उधम मचाने वाला गैर-जिम्मेदार शख्स है,उन्ही हालत मैं हम पार्टी की जान हैं.
* कोई दूसरा कहीं लेट पहुंचे तो वो वक़्त का पाबन्द नहीं, हम वक़्त के गुलाम थोड़े ही हैं.
* कोई दूसरा मुंह फाड़े तो उसे अपनी जुबान पर काबू नहीं है,हम ऐसा करें तो इसलिए क्योंकि हम मुक्त संवाद में आस्था रखते हैं.
* कोई दूसरा नुक्ताचीनी करे तो वो खुन्दकी है,हम ऐसा करें तो हम पारखी निगाह रखते हैं.
* कोई दूसरा कोई नुकसान करे तो वो गैर-जिम्मेदार है,उसे कमाना नहीं पड़ता न, वही नुकसान हम करें तो आखिर गलती इंसान से ही होती है.
* कोई दूसरा चुगली करता है, हम वही कहते हैं जो सच है.
सभी नियम ऐसे ही हैं. मजा आया.
अरे आप तो सच बोलते हुये भी नही डरते जी, बहुत सही कहा. धन्यवाद
जय हो! मनीष हाड़ायै नम:। 🙂
बहोत सही कहा गूरुदेव आपने.