शीघ्र सेवानिवृत्ति कब ? [Early Retirement !! When ?]
आज के युग में पढ़ाई कम से कम २० वर्ष की हो गई है, और जब तक युवापीढ़ी बाजार में आती है, उसकी उम्र २३-२४ वर्ष हो गई होती है, बाजार में आते ही उसकी नौकरी शुरु हो जाती है, और वह अपने घर के बुजुर्ग के बराबर ही कमाने लगता है और खर्च उनके मुकाबले लगभग बिल्कुल भी नहीं होता है। तो वह अपने शौक पूरे करता है और जो भविष्य की योजना निर्धारित करके चलता है वह अच्छे से निवेशित भी करता है। इस प्रकार वह आराम से सैटल भी हो जाता है और १२-१७ वर्ष में ही अपने सारी योजनाओं को मूर्त रुप दे सकता है, तो उसे ३० वर्ष तक नौकरी करने की आवश्यकता नहीं होती है।
शीघ्र सेवानिवृत्ति की उम्र को निर्धारित नहीं किया जा सकता है, जब भी हमारे वित्तीय लक्ष्य पूर्ण हो जायें, तभी शीघ्र सेवानिवृत्ति की सही उम्र होती है। फ़िर भले ही वह ३० वर्ष ही क्यों न हो।
जरुरी नहीं है कि जो कार्य आप कर रहे हैं वह अपनी इच्छा से कर रहे हों, हो सकता है कि अपनी इच्छा के विरुद्ध कर रहे हों, परंतु भविष्य की चिंता करते हुए और ज्यादा पैसा देखते हुए सोचते हैं कि अब तो यही करना होगा, अगर मन की करी तो लक्ष्य पूर्ण नहीं हो पायेगा।
शीघ्र सेवानिवृत्ति के लिये वित्तीय लक्ष्यों का पता होना चाहिये और उन वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त करने के बाद कैसे सही तरीके से निवेशित किया जाये यह भी पता होना चाहिये। जिससे खर्चे अच्छे से चलते रहें और आप अपने मनपसंदीदा कार्य में सही तरीके से ध्यान लगा पायें।
वित्तीय लक्ष्य एक ऐसी विषय वस्तु है जो कि सबके लिये अलग अलग हो सकती है, किसी के लिये १५ लाख भी शीघ्र सेवानिवृत्ति के लिये बहुत होगा और किसी के लिये १५ करोड़ भी कम होगा । तो शीघ्र सेवानिवृत्ति की उम्र तो वित्तीय लक्ष्य साफ़ होने पर ही निर्धारित की जा सकती है।
बताइये क्या आप मेरे नजरिये से सहमत हैं।
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कृपया यह भी बतायें वित्तीय लक्ष्य कैसे निर्धारित करें ।
@ प्रवीण जी – अगली पोस्ट में यही होगा कि वित्तीय लक्ष्य कैसे निर्धारित करें और कैसे उसे प्राप्त करें।
ज़रूरतें व सब्र दो धुर-विरोधी पक्ष हैं
काजल जी के विचारों से सहमत ,आज सब्र की जरूरत ज्यादा है ….
Post seems very relevant in terms of future planning for the youths….
the important thing is to decide your future Financial Target
आप मेरा उदाहरण देखिए। मैंने 22 वर्ष नौकरी की और तब लगा कि वित्तीय संकट पतिदेव ही हल कर सकते हैं और फिर पेंशन तो रहेगी ही। मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी क्योंकि मुझे लेखन का शौक था और नौकरी रहते में उसे भली प्रकार से नहीं कर पा रही थी। फिर नौकरी में रस भी नहीं आ रहा था। तो सेवानिवृत्ति लेना स्वयं के विवेक पर निर्भर करता है कि आप पैसे को प्राथमिकता देते हो या अपने मन को। मुझे परम संतुष्टि है।