आजकल लगभग हर रोज कहीं न कहीं से टेलीकालर्स के कॉल से परेशान हैं, DND चालू है तब भी लगता है कि इन लोगों पर सरकार का कोई डर नहीं है और बेधड़क फ़ोन खटका रहे हैं, फ़ोन आते हैं २ प्रकार की कंपनियों के, क्रेडिट कार्ड और इंश्योरेन्स कंपनी। और दोनों से कैसे निपटना है वो हमने सीख लिया है – आप भी देखिये।
१. क्रेडिट कार्ड –
कॉलर – “सर, मैं स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया से बोल रही हूँ”
मैं – “ क्यों बोल रही हैं, मत बोलिये”
कॉलर – “सर यह फ़ोन क्रेडिट कार्ड के लिये किया गया है, क्या आप स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया का कार्ड उपयोग करते हैं”
मैं – “ जी हाँ करते हैं” [बिल्कुल नहीं करते हैं, और दूसरी तरफ़ से खुद ही फ़ोन कट हो जाता है :D]
२. इंश्योरेन्स कंपनी –
कॉलर – “सर, मैं टाटा ए.आई.जी. इंश्योरेन्स कंपनी से बोल रही हूँ”
मैं – “ क्यों बोल रही हैं, मत बोलिये”
कॉलर – “सर एक इन्वेस्टमेन्ट सेविंग स्कीम है जो कि आपको समझाना है, जो आपके लिये बहुत अच्छी है”
मैं – “नहीं समझना है, टाईम नहीं है”
कॉलर – [हावी होते हुए] “आप एक बार समझिये तो सही, केवल हर महीने २ हजार रुपये जमा करने हैं और २५ वर्ष के बाद आपको ३७ लाख रुपये मिलेंगे, कंपनी १% और २% का बोनस भी देती है” [ फ़िर कुछ गणना बताती है]
मैं – “३७ लाख रुपये !!! आप दे ही नहीं सकते हैं, झूठ बोल रही हैं आप, क्यों लोगों को गुमराह कर रही हैं”
कॉलर – “नहीं सर, ३७ लाख आपको मिलेंगे और साथ ही मिलेगा ५ लाख का बीमा और मेडीक्लेम भी”
मैं – “नहीं नहीं सब है मेरे पास”
कॉलर – “सर इतनी सुविधाएँ और किसी प्रोडक्ट में नहीं है और रिटर्न भी”
मैं – “चलिये अच्छा मैं आपकी पॉलिसी ले लेता हूँ,बशर्ते कंपनी मुझे यह लिख कर दे कि ३७ लाख रुपया मिलेगा, २५ वर्ष के बाद”
कॉलर – “नहीं सर, कोई भी कंपनी यह लिखकर नहीं दे सकती कि ३७ लाख मिलेगा, वैसे अगर ज्यादा मिला तो ?”
मैं – “अगर लिखकर नहीं दे सकते तो दावा क्यों करते हो, और अगर ज्यादा मिले तो कंपनी रख ले मुझे तो केवल ३७ लाख से मतलब है”
कॉलर – “नहीं सर कंपनी ऐसा नहीं कर सकती”
मैं – “नहीं फ़िर मेरा कोई इंटरेस्ट नहीं है, अगर आप लिखकर दें कि ३७ लाख मिलेगा तो मेरा नंबर आपके पास है ही, आप फ़ोन करके अपना एजेन्ट मेरे पास भेज दीजियेगा, मैं हाथों हाथ पॉलिसी ले लूँगा”
कॉलर – [हताश होकर] “नहीं सर लिखकर नहीं दे सकते !” और फ़ोन काट देती है।
यहाँ पर एक बात रखना चाहूँगा, अगर इश्योरेन्स कंपनियाँ जानती हैं कि अगले २५ वर्षों में इतना रिटर्न मिलेगा पर IRDA के नियम से वे लिखकर कुछ नहीं दे सकती हैं, तो क्यों हम ULIP और जमा वाले इश्योरेन्स उत्पाद लेते हैं, सीधे म्यूचयल फ़ंड में क्यों नहीं बचत करें।
मैंने एक SIP शुरु की है रिलायंस फ़ार्मा बहुत ही अच्छा म्यूचयल फ़ंड है, और इसका प्रदर्शन बहुत ही जोरदार रहा है, और मेरा मानना है कि आने वाले समय में फ़ार्मा क्षैत्र की बिक्री बड़ने ही वाली है, तो मोनोपॉली जैसा सेक्टर है, सेक्टर फ़ंड में इससे अच्छा और कोई फ़ंड नहीं लगता। अगले ५ वर्षों में इसमें बहुत अच्छे रिटर्न्स की उम्मीद है और लंबी अवधि में तो और भी ज्यादा।
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विवेक जी टेलीकॉलर्स तो क्या कंपनी का चेयरमैन भी लिखकर नहीं दे सकता कि 37 लाख मिलेंगे।
संयोग ही है, जिन इंडिया ऑफिस वाले मेरे सहकर्मियों से दिल्ली वाली घटनाएं सुनायीं थीं (जो मैंने ब्लॉग पर पोस्ट की थीं) , उन्होंने भी इस तरह के कॉल करने वालों के बारे में भी बयान किया था, पर मेरे ध्यान से निकल गया.
आपने बिलकुल सच्चाई बयान की है, कुछ दिन पहले सुनाने में आया था की कोई कानून बना है ऐसे अनचाहा कॉल करने वालों पर नियंत्रण के लिए ?
खैर बात इन्वेस्टमेंट के बारे में आपने की है, चलो आपके फंड को देखना ही पड़ेगा – कौन नहीं चाहता पैसा बनाना भाई 🙂 इसमें NRI लोगों के लिए क्या प्रावधान है जी ?
@कमल जी – बिल्कुल सही कहा आपने हमें भी यह पता है कि ये लोगों को गुमराह कर रहे हैं और IRDA के नियमानुसार कुछ भी लिख कर नहीं दे सकते हैं, पर लाखों रुपये का रिटर्न देखकर लोगों के दिमाग की बत्ती गुल हो जाती है और फ़ँस जाते हैं ऐसे प्रोडक्ट के चंगुल में ।
@ राम त्यागी जी – NRI के लिये दिये गये प्रावधानों का विवरण आप यहाँ देख सकते हैं।
पता नहीं, टेलीफोन बात कर पर कम्पनियाँ इतने महत्वपूर्ण निर्णय लेने को कैसे कह सकती हैं । शायद ही कोई लेता हो ।
बहुत खुब जी, मै तो जब भारत मै आया तो मुझे बहुत फ़ोन आते थे ऎसे ही मै तो सीधा डिनर पर बुलावा भेजता साथ मै कहीऒ घुमने का प्रोगराम ओर वो खुद ही फ़ोन रख कर भाग जाती ओर मां मुझे गुस्सा करती कि बेटा अगर कोई सच मै तेयार हो गई तो……, अजी मजे लो इन से मना करने के वजाये इन का सर खाओ…