लगभग सभी लोग अपने जीवन के महत्वपूर्ण १६-२० वर्ष शिक्षा ग्रहण करते हैं, परंतु उस शिक्षा में कहीं भी यह नहीं सिखाया जाता है कि धन कैसे कमाया जाता है, धन कितना महत्वपूर्ण है, धन को सही तरीके से कैसे निवेश किया जाये इत्यादि।
शिक्षा में हम ग्रहण करते हैं, विषयगत ज्ञान, जो कि इतिहास, भौतिक विज्ञान, वनपस्पति विज्ञान, हिन्दी इत्यादि होते हैं। जिनसे हम उन विषयों में पारंगत तो हो जाते हैं, पर धन की महत्वपूर्णता को समझ नहीं पाते हैं, और न ही ये सीख पाते हैं कि अगर निवेश किया जाये तो कहाँ।
जब कमाने लगते हैं तो रिश्तेदारों के, दोस्तों के या माता पिता के कहने पर उनके अनुभव से धन को निवेश करने लगते हैं। परंतु क्या कभी आपने सोचा है कि जब २० वर्ष शिक्षा ग्रहण अपने बलबूते पर की, उन विषयों में पारंगत हुए तो फ़िर धन के निवेश में क्यों नहीं, जबकि हमने शिक्षा ग्रहण इसलिये की है कि हम अपना भविष्य सामाजिक और आर्थिक रुप से सुदृढ़ रख पायें।
जब नौकरी लगती है और निवेश की बारी आती है तो अच्छे अच्छे लोगों के दिमाग हिल जाते हैं, भले ही वे अपने विषयों में पारंगत हो, परंतु निवेश में कतई नहीं। निवेश में पारंगत होना केवल और केवल व्यक्तिगत रुचि है। निवेश भी अपने आप में एक बहुत बड़ा विषय है और इसमें पारंगत होना सभी के लिये अनिवार्य होना चाहिये परंतु हमारी शिक्षा में निवेश विषय नहीं है।
नौकरी के बाद पहली बार आयकर रिटर्न भरना होता है तो पसीने छूटने लगते हैं, जबकि आयकर विभाग ने अपने रिटर्न बहुत ही आसान कर दिये हैं, हम जब से नौकरी कर रहे हैं, तब से हम खुद ही अपना रिटर्न भर रहे हैं, आप बताईये क्या आप भी खुद ही आयकर रिटर्न भरते हैं या फ़िर इसे भरना बहुत बड़ा सरदर्द मानकर कुछ फ़ीस देकर बाजार से भरवा लेते हैं।
तो बताईये शिक्षा में निवेश और धन के महत्व को शामिल होना चाहिये या नहीं ?
आपने सही कहा ..हमें अपनी पूरी पढाई में …पैसा कैसे कमाया जाए?…इस बारे में बिलकुल भी शिक्षा नहीं दी जाती है…जो कि गलत है
शिक्षा में निवेश और धन के महत्व को शामिल होना चाहिये..
अपसे सहमत हूँ। मेरी रितर्न तो अभी भी मेरे पतिदेव ही भरते हैं।
सही कहा…विचारणीय!
यही तो विडंबना है .. कोर्स में जीवन जीने के लिए आवश्यक बातों को कहां पढाया जाता है !!
संगीता जी से सहमत…
अच्छे खासे पढ़े-लिखे युवाओं को, बूट पॉलिश करना भी नहीं आता… 🙂 🙂 जबकि उसकी भी जरुरत पड़ सकती है जीवन में कभी 🙂 🙂
(लाइट ले यार)…
मैं भी अपना रिटर्न कभी नहीं भरता, क्योंकि मैं गणित और हिसाब-किताब में बहुत कमजोर हूं… रही निवेश की बात, तो बच्चों को बचपन से ही शेयर बाजार और MF के बारे में जानकारी देना ही चाहिये।
आप से सहमत हुं
वस्तुतः शिक्षा के त्रिकोणीय होना चाहिए –
पहला – नैतिक शिक्षा एवं चरित्र निर्माण.
दूसरा – विषय में पारंगतता.
तीसरा – रोजगारोन्मुखी तथा व्यावहारिक शिक्षा..
यह तीनो जब एक साथ चलेगा तभी वह व्यक्तित्व को सम्पूर्णता दे पायेगा…
मैं पूरी तरह से सहमत हूँ, इधर अमेरिका में इस बात पर बहुत ध्यान है, बच्चे ६ साल से ही खुद के प्रोजेक्ट और जर्नल बनाने लगते है. आत्मनिर्भरता पहला सूत्र होता है ! यहाँ कि भी अपनी बुराइयां है , पर अगर माता पिता पूरी तरह बच्चों पर ध्यान दें तो अमेरिका कि एलेमेन्टरी शिक्षा काफी कुछ सिखाती है …भारत भी क्रमश: उस और अग्रसर हो रहा है
you are right.