भारती वन्दना कविता सूर्यकान्त त्रिपाठी ’निराला’ रचित “कविश्री” से

भारती जय, विजय करे 
कनक-शस्य-कमल धरे !
लंका पदतल-शतदल,
गर्जितोर्मि सागर-जल
धोता शुचि चरण-युगल
स्तव कर बहु-अर्थ-भरे!
तरु-तृण-वन-लता-वसन,
अंचल में खचित सुमन,
गंगा ज्योतिर्जल-कण
धवल-धार हार गले!
मुकुट शुभ्र हिम-तुषार,
प्राण प्रणव ओङ्कार,
ध्वनित दिशाएँ  उदार,
शतमुख-शतरव-मुखरे !

कुछ शब्दों के अर्थ –
कनक-शस्य-कमल धरे ! – प्राकृतिक वैभव से सुसज्जित है।
स्तव – प्रार्थना, गान
खचित – सजा हुआ है।
ज्योतिर्जल-कण – प्रकाशमान जल के कण
प्राण प्रणव – तेरी प्राण शक्ति ही औंकार शब्द है।

कवि परिचय –
जन्म – महिषादल मेदिनीपुर में माघ शुल्क ११ संवत १९५५ (सन १८९८) मृत्यु – १५ अक्टूबर १९६१। पिता – रामसहाय त्रिपाठी महिषादल राज्य के कर्मचारी थे। मैट्रिक तक शिक्षा प्राप्त करके दर्शन और बंगला साहित्य का विशेष अध्ययन किया ।
पहली काव्य रचना १७ वर्ष की आयु में की। “समन्वय” और “मतवाला” के सम्पादक रहे।
मुख्य रचनाएँ
अनामिका [१९२३] परिमल [ १९३०] अप्सरा (उपन्यास) [१९३१] अलका (उपन्यास) [१९३३] प्रबन्ध पद्य (निबन्ध) [१९३४] गीतिका [१९३६] तुलसीदास [१९३९] प्रबन्ध प्रतिमा (निबन्ध) [१९४०] बल्लेसुर बकरिहा (उपन्यास) [१९४१] कुकुरमुत्ता [१९४३] नये पत्ते [१९४६] बेला [१९४६] अपरा [१९४८] अर्चना [१९५४] आराधना [१९५५]

9 thoughts on “भारती वन्दना कविता सूर्यकान्त त्रिपाठी ’निराला’ रचित “कविश्री” से

  1. इस जानकारी के लिए आपका आभार ।

    ब्लागर और साहित्यकार तथा पत्रिका SADBHAVNA DRAPAN के सम्पादक गिरीश पंकज का साक्षात्कार/interview पढने के लिऐ यहा क्लिक करेँएक बार अवश्य पढेँ

  2. निराला जी बंगाल की संस्कृति से प्रभावित रहे। उन्हें संगीत का भी अच्छा ज्ञान था। प्रवाहमयी यह उत्कृष्ट रचना संगीत बन्ध की माँग करती है और चुनौती भी देती है। रबीन्द्रसंगीत में निबद्ध हो तो सुन्दर हो।

    विजयक रे को 'विजय करे' कीजिए
    ओड्कार और औंकार को 'ओंकार या ओङ्कार'

  3. @ गिरिजेश जी – विजयक रे ही किताब में लिखा था इसलिये वैसा ही लिखा परंतु अर्थ मैंने विजय करे ही पढ़ा था।

    ओंकार जैसा किताब में लिखा है आधा क ड़ के नीचे वैसा शायद बराह में उपलब्ध नहीं है। जैसे पुराना अ अपरा का उपलब्ध नहीं है, ण ऋण का नहीं है, ऐसे बहुत सारे शब्द जो कि पहले लिखे जाते थे शायद कंप्यूटर में उपलब्ध नहीं हैं, या अगर हैं तो उसकी जानकारी नहीं है, जल्दी ही इस पर खोज करता हूँ।

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