क्या आपको कभी किसी ऑटो या टेक्सीवाले ने मना किया है, हमें तो रोज ही ऑटो और टेक्सीवाले मना करते हैं, और हम मन मसोस कर रह जाते हैं, क्योंकि इनके खिलाफ़ कोई भी कार्यवाही नहीं की जाती है।
पर आज जब मुंबई मिरर पढ़ा तो लगा कि हम यात्री भी कुछ कर सकते हैं, अगर हम ही इनकी ऑटो और टेक्सियों में बैठने से मना कर दें तो ……
जी हाँ १२ अगस्त को मुंबई में सभी यात्रियों से अपील की गई है कि ऑटो और टेक्सियों का उपयोग न करें, जिससे इनको भी यात्रियों की ताकत का पता चले।
इस अभियान के लिये मीटरजाम नाम का अंतर्जाल भी बनाया गया है। जिससे यात्रियों में जागरुकता जगायी जा सके।
अभी तक लगभग ६०० लोगों ने अपने को पंजीकृत करवा कर अभियान को समर्थन दिया है। और फ़ेसबुक पर लगभग ८४४ लोगों ने समर्थन दिया है।
इस अभियान को जयदेव रुपानी, रचना बरार और अभिषेक कृष्णन चला रहे हैं।
सार्थक प्रयास
शुभकामनाएं इन युवकों को
अच्छा प्रयास है।
अच्छा लगा कहते हॆ ना टिट फार टॆट
नहले पर देहला..
जोरदार ,शुभकामनाएं !
kyo garibo ke pet par lat mari ja rahi hai aise abhiyan ko samrthan dene walo se puchhiye kya es mahgaii me bhi wo abhi bhi taxis se hi chalte hai .
@ अंशुमाला जी – ये कोई गरीब नहीं हैं, अगर गरीब हों तो मीटर से हर जगह जाने के लिये तैयार होना चाहिये, जब आम आदमी मीटर से पैसा देने को तैयार है, जो कि कानून के मुताबिक है फ़िर ये लोग जाने से क्यों मना करते हैं।
आप महँगाई की बात कर रहे हैं तो मैं बताऊँ कि यहाँ कार रखना ज्यादा महँगा काम है बजाये टैक्सी या ऑटो से चलने के। जिनके पास कार है वे बोल दें कि मैं गलत हूँ। और हर जगह सार्वजनिक परिवहन के साधन उपलब्ध नहीं हैं, कुछ दूरी के लिये तो ऑटो या टैक्सी करनी ही होती है, जैसे मैं रोज ही ऑटो का उपयोग करता हूँ क्योंकि मेरे ऑफ़िस के लिये घर की तरफ़ से सीधी बस सेवा उपलब्ध नहीं है।
रोज कम से कम सुबह १५-२० ऑटो वाले तो आराम से मना कर देते हैं और यही आलम शाम का ऑफ़िस से लौटते समय का है। मैं इसीलिये विरोध का समर्थन कर रहा हूँ। अगर यहाँ की समस्या से रुबरु होते तो शायद आप ये टिप्पणी नहीं करते।
अच्छा प्रयास
पूर्ण समर्थन ।