जब हमने उज्जैन जाने का कार्यक्रम बनाया था तभी यह सोच लिया गया था कि बाबा महाकालेश्वर की चौथी सवारी और जो कि श्रावण मास की आखिरी सवारी भी होगी, के दर्शन अवश्य किये जायेंगे।
सायं ४ बजे महाकाल की सवारी महाकाल मंदिर से निकलती है जो कि गुदरी चौराहा, पानदरीबा होते हुए रामघाट पहुँचती है, फ़िर रामानुज पीठ, कार्तिक चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए वापिस महाकाल मंदिर शाम ७ बजे पहुँचती है।
बाबा महाकाल अपनी प्रजा के हाल जानने के लिये नगर में निकलते हैं, और प्रजा तो उनकी भक्ति में ओतप्रोत पलकें बिछाये इंतजार करती रहती है। पूरा उज्जैन शहर बाबा महाकाल में रमा रहता है। आसपास से गाँववाले पूरी श्रद्धा के साथ उज्जैन शहर में डेरा डाले रहते हैं। उज्जैन में महाकाल की भक्ति की बयार बहती है, हवा से भी केवल महाकाल का ही उच्चारण सुनाई देता है।
इस बार मैंने अपने मोबाईल से कुछ फ़ोटो और वीडियो लिये हैं, आप भी बाबा महाकाल की सवारी के दर्शन कीजिये और जय महाकाल बोलिये ।
फ़ोटो –
गोपाल मंदिर पर श्रद्धालुओं का जत्था
गोपाल मंदिर पर हम अपने बेटेलाल के साथ
वीडियो –
गोपाल मंदिर का एक दृश्य
इन वीडियो मॆं पूरी महाकाल की सवारी का आनंद लिया जा सकता है।
जय बाबा महाकाल
ऊँ नम: शिवाय !
बहुत अच्छा लगा .. घर बैठे उज्जैन पहुंच गयी .. जय महाकाल !!
आपने तो श्रावण मास में पुण्य लाभ उठा लिया साथ ही हम जैसों को भी घर बैठे महाकाल के दर्शन करवा दिए…जय हो…
नीरज
अभी १८-१९ अगस्त को मेरे मम्मी-पापा भी वहीं थे दर्शन करने के लिए.. ये पोस्ट पढ़-देख के लगा कि मैं भी वहीं हूँ… 🙂 आभार..
जय महाकाल
जय महाकाल.
आपके साथ साथ हम भी घूम आये।
फ़ोटो में जो चंदन तिलक है वह महाकाल की खासियत है, पूरे माथे पर चंदन का लेप किया जाता है।
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
हिंदी, नागरी और राष्ट्रीयता अन्योन्याश्रित हैं।
rakshabandhan parv
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है ?
रक्षाबंधन कैसे मनाया जाये ? इस
रक्षाबंधन पर प्यारी सी बहन
को क्या तोफा दिया जाये ?
रोज की तरह लेकर आया हु आज सबसे अलग
और सुन्दर सा लेख…
रक्षाबंधन पर एक सुन्दर आज लेख..
आज आपकी बहुत सी मुश्किलें दूर करने
वाला हु जैसे ..
1. रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है ?
2. रक्षाबंधन कैसे मनाया जाये ?
3. इस रक्षाबंधन पर प्यारी सी बहन
को क्या तोफा दिया जाये ?
रक्षाबंधन क्यों मनाया जाता है ?
यह त्यौहार भाई का बहन के
प्रति प्यार का प्रतीक है।
यह त्यौहार श्रावण मास
की पूर्णिमा के दिन
मनाया जाता है |
इस दिन बहनें अपने
भाइयों की कलाई पर रक्षाबंधन
बांधकर उनकी लंबी उम्र और
कामयाबी की कामना करती हैं |
भाई भी अपनी बहन
की रक्षा करने का वचन देते हैं |
यह त्यौहार उत्तर भारत में
धूमधाम से मनाया जाता है।
राखी सामान्यतः बहनें भाई
को बांधती हैं परंतु ब्राहमणों,
गुरुओं और परिवार में
छोटी लड़कियों और भुवा के
द्वारा भतीजो और सम्मानित
संबंधियों भी बांधी जाती है।
यह बहुत ही पुराना त्यौहार है ,
रक्षाबंधन का जिक्र महाभारत
जैसे पुराने ग्रंथो में भी हुवा है |
रक्षाबंधन कैसे मनाया जाये ?
राखी बांधने वाले और बंधवाने
वाले सर्वप्रथम स्नान करे |
फिर एक पूजा की थाली तेयार करे
और थाली में थाली में राखी के
साथ रोली या हल्दी, चावल,
दीपक, मिठाई रखिये |
पहले सभी परिवार के सदस्य
प्रभु( भगवान ) की पूजा कीजिये
और सभी राखिया थाली में रखे |
अब राखी बंधवाने
वालो को बारी-बारी से चोकी पर
या पट्टे पर एक निश्चित जगह
पर बिठाइए |
अब राखी बंधवाने वाले के दाँये
हाथ( दाहिनी कलाई) में चावल दे
और मुठ्ठी बंद करवाइए |
फिर सिर पर एक सुन्दर
सा तिलक निकाल दीजिये, आप
तिलक निकलने के लिए सोने
या चंडी का सिक्का काम में ले
सकते है |
और उनके दाये हाथ पर
मीठी सी मुस्कान के साथ
राखी बाँध दीजिये |
और फिर प्यार से मिठाई
खिला दीजिये..
इस रक्षाबंधन पर प्यारी सी बहन
को क्या तोफा दिया जाये ?
याद कीजिये कोई ऐसी चीज
जिसके लिए आप बचपन में
झगड़ते थे |
याद कीजिये कोई ऐसी चीज
जो बहनजी को पसंद तो बहुत है
पर किसी वजह से खरीद नहीं पाए
हो |
याद कीजिये कोई ऐसी चीज
जिसकी रोज कमी महसूस
करती हो |
या याद कीजिये कोई ऐसी चीज
जो बहनजी के आने वाले समय में
काम आएगा |
आपके पास खुछ और है