सुबह उठते ही नई उमंग थी क्योंकि आज रक्षाबंधन था, कोई बहन नहीं है परंतु खुशी इस बात की थी कि हमारे बेटेलाल की अब बहन घर में आ गई थी और उसने राखी भेजी थी, एक त्यौहार जो हमने कभी मन में तरंग नहीं जगा पाता था वह त्यौहार अब हमारे घर में सबको तरंगित करता है।
पापा की बहनें हैं और उनकी ही राखियाँ हम भी बाँध लेते हैं, क्योंकि हमें भी भेजी जाती हैं। देखिये राखी के कुछ फ़ोटो और साथ में मिठाई –
फ़िर चल दिये महाकाल के दर्शन करने के लिये, महाकाल पहुँच कर पता चला कि बहुत लंबी लाईन है और ज्यादा समय लगेगा, हमारे पास समय कम था क्योंकि शाम को वापिस मुंबई की ट्रेन भी पकड़नी थी। हमने पहली बार विशेष दर्शन के लिये सोचा जो कि १५१ रुपये का था, और वाकई मात्र ५ मिनिट में बाबा महाकाल के सामने थे, १५१ रुपये के विशेष दर्शन के टिकट से हम तीनों ने दर्शन किये और धन्य हुए। अटाटूट भीड़ थी महाकाल में।
महाकाल में रक्षाबंधन पर्व पर सवा लाख लड्डुओं का भोग लगाया जाता है और हरेक दर्शनार्थी को एक लड्डू का प्रसाद दिया जाता है। यह परंपरा हम सालों से देखते आ रहे हैं, जब भी रक्षाबंधन पर उज्जैन होते हैं तो दर्शन करने जरुर जाते हैं और साथ ही लड्डुओं का प्रसाद लेने भी। ये वीडियो फ़ोटो देखिये सवा लाख लड्डुओं के भोग का –
जय महाकाल
ऊँ नम: शिवाय !
ओह्ह!! और मुझे लगा…सवा लाख लड्डू चढ़ाये जाते हैं तो ढेर सारे लड्डू मिलते होंगे, खाने को…पर सिर्फ एक एक 🙁
बेटा बहुत प्यारा लग रहा है….सुन्दर संस्मरण
जय जय महाकाल।
जान के अच्छा लगा कि अब आपके यहाँ भी राखी को लेके उत्साह होता है… लड्डू मेरा कहाँ है ?
क्या बात है जी, बहुत सुंदर लगा, धन्यवाद
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
हिंदी द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है।
संग्रहणीय प्रस्तुति!