बहुत दिनों से पैगोड़ा आने की तीव्रतम इच्छा थी, परंतु बहुधा कारकों से आ नहीं पा रहे थे, पर कल हमने आखिरकार पैगोड़ा यात्रा का मन बना ही लिया। पैगोड़ा बोद्ध धर्म संबंधित स्थान है, जहाँ विपश्यना यानि कि ध्यान की शिक्षा भी दी जाती है। यह पैगोड़ा एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा पैगोड़ा है।
यह पैगोड़ा गोराई खाड़ी में स्थित है, और बोरिवली इसका नजदीकी रेल्वे स्टेशन है। बोरिवली से बेस्ट की बस (४६१, ३०९, २२६, २९४) से सीधे गोराई आगार पहुँच सकते हैं, और वहाँ से पाँच मिनिट चलने पर गोराई खाड़ी पहुँचा जा सकता है। बोरिवली रेल्वे स्टेशन से शेयरिंग ऑटो भी उपलब्ध हैं। गोराई खाड़ी पहुँचने के बाद वहाँ फ़ेरी का टिकट ३५ रुपये प्रति व्यक्ति है, जो कि आने जाने का है।
और अगर सड़क मार्ग से जाना चाहते हैं तो मीरा – भईन्दर होकर एस्सेल वर्ल्ड आना होगा। जो कि थोड़ा लंबा रास्ता है। अब तो सुबह बोरिवली से एस्सेल वर्ल्ड की बेस्ट ने एक नई बस सेवा भी शुरु की है ७११ नंबर बस, जो कि सुबह ९ बजे बोरिवली स्टेशन से चलती है एस्सेल वर्ल्ड के लिये और फ़िर दिनभर वह गोराई बीच से पैगोड़ा के लिये चलती है, और शाम ७ बजे वापिस एस्सेल वर्ल्ड से बोरिवली स्टेशन आती है।
पैगोड़ा, एस्सेल वर्ल्ड और वॉटर किंगडम तीनों आसपास हैं। हम फ़ेरी का टिकट लेने के बाद खाड़ी की ओर चल पड़े और वहाँ पर फ़ेरी की नाव चक्कर लगा रही थीं। बदबू भी आ रही थी, चारों ओर गंदगी का साम्राज्य था। पर पैगोड़ा जाने की उत्कंठा में सब भूगत रहे थे। पहली बार हमने देखा कि लोग अपनी मोटर साईकिल भी नाव में लेकर सवार हैं। नाव तक जाने में बहुत मजा आया, पहली बार हम खाड़ी के इस प्रकार के पुल पर चल रहे थे।
इस फ़ैरी से पैगोड़ा के यात्री ही ज्यादा थे क्योंकि एस्सेल वर्ल्ड सुबह १० बजे से रात ८ बजे तक खुला रहता है, और दोपहर को जाने पर कोई पूरा नहीं घूम सकता है। पैगोड़ा पहुँचते पहुँचते मन अद्भुत तरीके शांत हो चुका था। शायद यह प्रकृति का चमत्कार है।
पैगोड़ा में एक बड़ा हॉल बना हुआ है, जहाँ साधक विपश्यना करते हैं, मतलब साधना करते हैं ध्यान करते हैं। पर्यटकों के लिये अलग से कक्ष बनाया गया है जहाँ से वे हॉल के अंदर का दृश्य देख सकते हैं, जो कि काँच से बंद किया गया है, जिससे साधकों के ध्यान में खलल न पड़े। यहीं पर स्तंभ भी है, जैसा कि सारनाथ में है। यही पर भगवान बुद्ध की जीवनी पर एक चित्र प्रदर्शनी भी है, चित्रकार ने गजब के चित्र उकेरे हैं, क्या रंग संयोजन है।
पैगोड़ा से बाहर निकलने के बाद हम पहुँच गये एस्सेल वर्ल्ड के प्रवेश द्वार पर, जहाँ कि टिकट खिड़की भी थी। वहाँ आकर्षित करने के लिये तरह तरह के पुतले थे जहाँ फ़ोटो खींचे।
और फ़िर वापिस फ़ैरी की ओर लौटते हुए, निकल पड़े घर की ओर..
बहुत ही अच्छा अनुभव रहा, और एक बात आज हमने बहुत दिनों बाद तादाद में केकड़े भी देखे जो कि गोराई खाड़ी में थे।
विवेक रस्तोगी जी मैं गोराई बहुत बार गया हूँ. एस्सेल वर्ल्ड और समुन्द्र किनारे भी गया हूँ लेकिन यह पैगोड़ा कहां है? मैंने जब भी बोरीवली से फ़ैरी करके उस पार गया, या तो ऑटो एस्सेल वर्ल्ड का मिला या गोराई बीच का. मैं तो उस समय से जाया करता हूँ जब फ़ैरी का किराया ५ रूपए मात्र था.
मैं भी पैगोड़ा जाना चाहता हूँ. उसपार फ़ैरी से जाने के बाद कैसे जाना है. बताएं आभारी रहूँगा.
अति सुन्दर प्रस्तुति, मजा आ गया आप के संग यात्रा कर के, ओर सुंदर चित्र देख कर, धन्यवाद
चित्रों से ही यात्रा का आनन्द आ गया।
बहुत सुन्दर है…
नाव में मोटरसाईकिल लेकर मैं भी कई बार गोमती नदी पार किया हूँ 🙂
बहुत सुन्दर वृतांत ……फोटोस बहुत अच्छी है .
यहाँ देखिये अमेरिका मैं हुआ डांडिया रास
अनुष्का
enjoyed …aanand aa gayaa
अच्छा लगा यह यात्रा वृतांत .. चित्र और विवरण दोनो रोचक रहे !!
एस्सलवर्ल्ड और वाटर किंगडम तो घूमे थे जी, पर पैगोडा के बारे में किसी ने बताया भी नहीं। खैर अगली बार मुम्बई जाना हुआ तो जरुर गोराई खाडी जायेंगें।
आपकी एल्बम देखने जा रहा हूं।
प्रणाम
ये तो मेरे लिए भी खबर है…हम भी वक्त निकालेगें इस पगोड़ा को देखने के लिए