वाहन जरुरी है बैंगलोर में.. सरकार पर केस लगाते हैं, बैंगलोर को महंगी गैस और मुंबई को सस्ती गैस (Vehicle is must in Bangalore)..

    बैंगलोर आये अभी चंद ही दिन हुए हैं, खैर अब तो यह भी कह सकते हैं कि एक महीना और ४ दिन पूरे हो गये हैं। यहाँ पर आकर सबसे जरूरी चीज लगी कि गाड़ी अपनी होनी चाहिये, मुंबई में लगभग ५-६ वर्ष रहे पर वहाँ गाड़ी की जरुरत कभी महसूस नहीं हुई, क्योंकि वहाँ पर सार्वजनिक परिवहन अच्छा और सस्ता है, वहाँ ऑटो और टैक्सी भी मीटर से चलते हैं, कभी कोई बिना मीटर से चलने के लिये नहीं बोलेगा। मुंबई में रहकर कभी भी ऑटो वाले से संतुष्ट नहीं थे पर अब मुंबई से बाहर आकर उन्हीं की कमी सबसे ज्यादा महसूस कर रहे हैं। कहीं भी जाना हो तो सार्वजनिक परिवहन का उपयोग कर लिया, उसका सबसे बड़ा फ़ायदा यह है कि आपको कभी खुद वाहन चलाना नहीं पड़ता है, याने कि सारथी फ़्री में :), पास जाना हो तो ऑटो, और दूर जाना हो तो बस या लोकल ट्रेन। बस के स्टॉप भी बराबर बने हुए हैं, और उस स्टॉप पर रुकने वाली बसों के नंबर भी लिखे रहते हैं, और कई स्टॉप पर उनके रूट भी लिखे रहते हैं।

    बैंगलोर में बसें हैं पर स्टॉप गायब हैं, अब जाहिर है कि स्टॉप गायब है तो नंबर भी नहीं होंगे और जब नंबर ही नहीं हैं तो रूट की तो बात बेमानी है। ऑटो वाले तो यहाँ लूटने के लिये बैठे हैं और यहाँ के प्रशासन ने शायद आँखें बंद कर रखी हैं। मेरे घर से बेटे का स्कूल मुश्किल से १ कि.मी. होगा, एक दिन जल्दी में जाना था तो ऑटो से पूछा ६० रुपये थोड़ा बहस करी तो ४० रुपये बोला, उससे कम में जाने को तैयार ही नहीं। कहीं भी आसपास जाना हो या दूर जाना हो तो ऑटो की लूट ही लूट है। यहाँ मीटर से चलने को तैयार ही नहीं होते जबकि ऑटो का किराया यहाँ मुंबई से महंगा है और सी.एन.जी. का भाव लगभग बराबर है।

    मुंबई में पहले १.६ किमी के ११ रुपये और फ़िर हर कि.मी. के लगभग ६.५० रुपये है। और बैंगलोर में पहले २ किमी के १७ रुपये और फ़िर ९ रुपये हर किमी के । एक बार ऐसे ही ऑटो वाले से बहस हो गई तो हमने भी कह दिया कि बैंगलोर तो लुटेरों का शहर है, मुंबई में भी गैस इतनी तो सस्ती नहीं है, तो ऑटो वाला कहता है कि मुंबई में गैस १६ रुपये मिलती है और यहाँ ४० रुपये, हम उससे भिड़ लिये बोले कि भई चलो फ़िर तो अपन “सरकार पर केस लगाते हैं, बैंगलोर को महंगी गैस और मुंबई को सस्ती गैस, इस बात में तो हम तुम्हारे साथ हैं, लाओ तुम्हारा मोबाईल नंबर कल टाईम्स ऑफ़ इंडिया को देंगे तो वो आपका साक्षात्कार लेंगे और तुम्हारा फ़ोटो भी छापेंगे”, तो वो खिसियाती हँसी के साथ चुपके से निकल लिया।

    खैर इस तरह के वाकये तो होते ही रहेंगे अब इसीलिये खुद का वाहन खरीदने के लिये गंभीरता से सोच रहे हैं, वैसे हम इसके सख्त खिलाफ़ हैं, अब हम देश के बारे में नहीं सोचेंगे तो क्या हमारा पड़ोसी सोचेगा। अगर शुरुआत खुद से न की जाये तो ओरों से उम्मीद नहीं की जानी चाहिये, परंतु अब लगता है कि बैंगलोर वाले हमारी इस सोच को बदलने में कामयाब हो गये हैं। समस्या यहाँ पर भी हर जगह पार्किंग की है, चार पहिया पार्किंग के लिये तो यह देखा कि लोग युद्ध ही लड़ते हैं, पर फ़िर भी दो पहिया आराम से कहीं भी कुन्ने काने में घुसा दो, थोड़ी जगह कर लगा दो, दो पहिया में इतनी समस्या नहीं है।

    अभी दो दिन पहले ही पढ़ा था कि सरकार यहाँ साईकिल वालों के लिये विशेष लेन बना रही है, तो हमारे मन में ख्याल आया कि फ़िर तो साईकिल भी ले सकते हैं और मजे में घूम भी सकते हैं, परंतु यह लेन शायद हमारे घर के आसपास कहीं नहीं है, इसलिये फ़िलहाल तो यह भी केवल ख्याल ही रह गया।

    दो पहिया वाहन खरीदने का ज्यादा गंभीरता से विचार कर रहे हैं। वह भी बिना गियर का, अभी तक हमने हांडा की एक्टिवा, महिन्द्रा की डुयोरो, हीरो हांडा की प्लेजर और टीवीएस की वेबो देखी, सबसे अच्छी तो एक्टिवा लग रही है, पर अभी सुजुकी की एक्सेस १२५ देखना बाकी है, और सबसे बड़ी बात उक्त वाहन एकदम उपलब्ध नहीं हैं, ९० दिन की लाईन है, प्रतीक्षा है। बताईये या तो लोग ज्यादा वाहन खरीदने लगे हैं या फ़िर इन कंपनियों की उत्पादन क्षमता कम है, या फ़िर इसमें भी बैंगलोर के लोगों का कमाल है। अभी सोच रहे हैं, देखते हैं कि अगले सप्ताह तक बुकिंग करवा दें और फ़िर वाहन तो ३ महीने बाद ही मिलने वाला है, तब तक ऐसे ही बैंगलोर को कोसते रहेंगे, शायद बैंगलोर वाले पढ़ रहे हों कि एक ब्लॉगर कितनी बुराई कर रहा है बैंगलोर की।

आज इंडिब्लॉगर मीट में जा रहे हैं, फ़िर पता नहीं ऐसे कितने किस्से निकल आयेंगे।

12 thoughts on “वाहन जरुरी है बैंगलोर में.. सरकार पर केस लगाते हैं, बैंगलोर को महंगी गैस और मुंबई को सस्ती गैस (Vehicle is must in Bangalore)..

  1. ऑटो वालों ने भी तो अपना परिवार पालना हे ना .अब जल्दी से साईकिल ही ले लो बाद मे विचार कर लेना क्या लेना हे, साईकिल तो हर जगह चल सकती हे

  2. साइकिल चोरी का खतरा बहुत ज्यादा है, दिल्ली में तो है ही, बैंगलोर में भी होगा.
    होंडा एक्टिवा से अच्छा वाहन कोई नहीं. उसका एवरेज कुछ कम है पर वाहन ताकतवर और भरोसेमंद है. बाकी तो इसकी टक्कर में नहीं आते. होंडा का एक और वाहन अवियेटर भी अभी आया है.
    दिल्ली के ऑटोवाले भी लूटते हैं. उन्हें लेने से अच्छा है कि रेडियो टैक्सी को पंद्रह रुपये प्रति किलोमीटर का भाड़ा दे दिया जाय.

  3. बैंगलोर में दुपहिया वाहन लेने का प्रस्ताव बहुत अच्छा है…चार पहिये वाले वाहन में पार्किंग की समस्या के साथ साथ जाम में फंसने की संभावनाएं भी अपार हैं…
    नीरज

  4. हमें भी बैंगलोर बहुत महंगा, बहुत भीड़भाड़ वाला और तंग सड़कों वाला लगा था। सुना है वहां बाइयों की भी बड़ी किल्लत है और बहुत महंगी हैं

  5. मैं तो जब भी गया मीटर से ही चलते मिले ऑटो, स्टेशन और बस स्टैंड छोड़कर। यह बीमारी तो मुंबई के कुर्ला टर्मिनस मेन भी शुरू हो गयी है ।

  6. चेन्नई के ऑटो का अनुभव कैसा रहा है ये भी एक तुलनात्मक लेख के तौर पर लिखा जा सकता है.. 🙂

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