क्या ५० वर्ष की उम्र के बाद जीवन बीमा करवाना चाहिये..?
यह एक आम प्रश्न नहीं है, अक्सर प्रश्न होता है “५० वर्ष के बाद मुझे कौन सा जीवन बीमा करवाना चाहिये”, पर उसके पहले हमें यह समझना होगा कि क्या ५० वर्ष की उम्र के बाद जीवन बीमा करवाना चाहिये और अगर करवाना चाहिये तो कितना करवाना चाहिये ?
इस प्रश्न का उत्तर समझने के लिये पहले जीवन बीमा क्यों करवाना चाहिये यह समझना होगा।
जीवन बीमा लिया जाता है आश्रितों की आर्थिक सुरक्षा के लिये, जिससे अगर बीमित व्यक्ति जो कि घर चलाने वाला भी होता है वह परिवार का साथ बीम में ही छोड़ जाये, साधारण शब्दों में उसकी मृत्यु हो जाये, तो आश्रित परिवार उसके बीमित धन से अपनी आगामी जिंदगी उसी प्रकार के जीवन स्तर पर जी सके।
अब एक उदाहरण लेते हैं, रमेश की उम्र है २१ वर्ष और अभी अभी उसकी अच्छी नौकरी लगी है, अब आयकर में बचत के लिये वह जीवनबीमा लेना चाहता है, उसने मुझसे पूछा कि कौन सा जीवनबीमा लेना चाहिये, तो सबसे पहला मेरा प्रश्न था कि तुम पर कितने आश्रित लोग हैं, वह ठगा सा मेरा मुँह देखता रहा, और बोला कि “कोई नहीं”।
फ़िर मैंने कहा तुम्हें जीवन बीमा लेने की जरुरत ही क्या है, जीवन बीमा केवल और केवल उनके लिये होता है जिनके ऊपर परिवार आश्रित होता है।
तो उसका अगला प्रश्न था “मुझे बीमा कब लेना चाहिये ?”
मेरा जबाब था “जब शादी हो जाये तब, जब तुम्हारे बच्चे हो जायें तो उस बीमे का वापिस से मूल्यांकन करके जीवन बीमित राशि और ज्यादा करनी चाहिये”
जीवन बीमा में आपकी बीमा राशि कितनी हो यह उम्र के पड़ाव पर निर्भर करता है, बीमित राशि ज्यादा होना चाहिये जवान होने पर और जैसे जैसे आपके जीवन में स्थिरता आती जाती है, आप अपने वित्तीय लक्ष्य पूरे करते जाते हैं, आपको अपने बीमित राशि को कम करते जाना चाहिये।
किरण की उम्र २५ वर्ष है और अभी नई नई शादी हुई है, उसकी नववधु के लिये अब किरण जिम्मेदार हो गया है, उसको आर्थिक सुरक्षा के लिये अब तुरंत ही जीवन बीमा लेना चाहिये, और इतनी राशि का लेना चाहिये कि अगर आज उसकी मृत्यु भी हो जाये तो उसकी पत्नी उस बीमित धन से अपना पूर्ण जीवन निकाल सके।
जब बच्चे हो जायें तो जीवन बीमा का वापिस से मूल्यांकन करना चाहिये। और फ़िर जैसे जैसे आप जीवन में अपने वित्तीय लक्ष्य प्राप्त करते जायें वैसे वैसे बीमित राशि कम करते जायें। बीमित राशि २५ वर्ष के नौजवान की और ५० वर्ष के व्यक्ति की एक समान नहीं हो सकती। क्योंकि २५ वर्ष की उम्र में व्यक्ति अपना जीवन शुरु करता है, उसके पास कोई बचत नहीं होती और यहाँ वह अपना वित्तीय लक्ष्य निर्धारित करता है। जबकि ५० वर्ष की उम्र में व्यक्ति अपने कई वित्तीय लक्ष्य प्राप्त कर चुका होता है, जैसे कि कार, घर और अच्छी बचत अपनी सेवानिवृत्ति के लिये, ५० वर्ष की उम्र के बाद व्यक्ति बहुत ही अच्छी वित्तीय अवस्था में होता है, उसका जितना वित्तीय लक्ष्य पूर्ण नहीं हुआ है और जितनी जिम्मेदारी बाकी है, केवल उतना ही जीवन बीमा करवाना चाहिये। और यह हर व्यक्ति का अलग अलग हो सकता है।
50 में अभी समय है, पर अभी कितना करायें।
मैं तो डर ही गया!
50 के बाद भी आपके आश्रित हो जिन का खुद का कोई धनोपार्जन न हो तो क्या करें। सिंगल प्रीमियम बेहतर है या सालाना।
मेरी समझ से बीमा हर बन्दे को करवाना चाहिए … हाँ उम्र के हिसाब से बीमे की राशि और उसकी किश्त में जरूर फर्क होगा … पर बीमा केवल अपने आश्रितों को ध्यान में रख कर ही ना लिया जाए अपने लिए भी आप बीमा ले सकते है ! काफी सारे प्लान है जिन में आप खुद को ध्यान में रखते हुए इन्वेस्ट कर सकते है !
@ शिवम जी – बिल्कुल बीमा हर व्यक्ति को करवाना चाहिये परंतु निवेश और बीमा में पहले अंतर समझना चाहिये, निवेश को बीमे में मिलाना नहीं चाहिये, निवेश पूर्णतया: केवल निवेश होना चाहिये और जीवन बीमा केवल बीमा होना चाहिये।
विवेक जी ,
नमस्कार !
आपने बिलकुल ठीक कहा निवेश और बीमा सच में २ अलग अलग बातें है … पर अगर कोई प्लान ऐसा मिल जाए जिस में इन दोनों की ही पुर्ति होती हो तो क्या इन्वेस्ट करना गलत होगा ?
सादर |
शिवम् मिश्रा
अजी ५० के बाद तो बच्चे खुद अपने पेरो पर खडे हो जाते हे, हा बीबी की फ़िक्र जरुर होती हे, तो उस के लिये पहले से ही करवा लेना चाहिये अगर नही तो फ़िर इस उम्र मै भी कोई दिक्कत नही, मेरे हिसाब से बचत खाते से ज्यादा जीवन बीमा सुरक्षित होता हे, ओर बुढापे मे अगर ओलाद नलायक निकले तो यही काम आता हे
jeewan bima sambanshi bahut achhi jaankari ke liye dhanyavad
अच्छी जानकारी दी आपने
मैं भी पचास का हो गया हूँ और बीमा करवाना चाहता हूँ
अच्छी जानकारी..
समय, स्थिति और आवश्यकतानुसार बीमा लिया जाना चाहिए। मनुष्य के जीवन के प्रत्येक चरण पर, उसकी आवश्यकतानुरूप बीमा योजनाऍं उपलब्ध हैं। चूँकि यह दीर्घावधिवाला निवेश होता है, इसलिए जल्दबाजी में निर्णय नही लिया जाना चाहिए। मैं एक बीमा एजेण्ट हूँ और सम्भावित ग्राहकों को मेरा परामर्श होता है – बिना समझे खरीदने के बजाय समझ कर न खरीदना अधिक अच्छा है।
वैसे, यह शब्दश: सच है कि जीवन बीमा का कोई विकल्प नहीं।
बीमा विमर्श पर कोई मंच हो तो मैं वहॉं उपस्थित रहना चाहूँगा।
आज से तीन वर्ष पूर्व एक बीमा एजेंट बुरी तरह से मेरे पीछे लगा हुआ था.. एक बार मैंने उसे घर बुलाया और हमारे बीच कुछ ऐसी बातें हुई..
– बीमा क्यों लूँ?
– अगर आपको कुछ हो गया तो आपके घर वालों को 'इतना' मिलेगा..
– मगर कोई मुझ पर आश्रित नहीं है..
– फिर भी आपके माता-पिता को इतना मिलेगा..
– जब मैं ही नहीं रहूँगा तो क्या रुपये लेकर वो चाटेंगे क्या? उन्हें मेरे पैसे कि जरूरत अब इस जिंदगी में तो नहीं होने वाली है..
– सर, टैक्स में तो बचत कर लेंगे..
– मेरे पास टैक्स बचाने के लिए कई दूसरी चीजें हैं, बीमा कि जरूरत कम से कम इसमें नहीं है मुझे..
– कल को जब कोई आश्रित हो जाएँ तो मुझे जरूर फोन करें..
– कल को अगर लेना ही हुआ तो आपको फोन क्यों करूँ? आपसे अधिक विश्वसनीय लोग हैं मेरे पास जो बीमा एजेंट हैं..
अब वह कुछ नहीं बोला, और मेरा पीछा भी छोड़ दिया.. 🙂