भ्रष्टाचार के कारण इन्फ़ोसिस अपना प्रधान कार्यालय बैंगलोर से पूना ले जा रहा है, जी हाँ कर्नाटक सरकार के भ्रष्टाचार से परेशान होकर, यह पहली बार नहीं हो रहा है, कि कार्पोरेट कंपनी अपना प्रधान कार्यालय बैंगलोर से हटा रहा है, पर जिस आईटी कंपनी के कारण बैंगलोर का नाम विश्व के नक्शे पर जाना जाता है, वही अब बैंगलोर से रवाना हो रही है।
आज बैंगलोर मिरर में मुख्य पृष्ठ पर समाचार है, टी.मोहनदास पई जो कि इन्फ़ोसिस में मानव संसाधन प्रभाग के प्रमुख हैं, सुनकर जब मुझे इतना बुरा लग रहा है जबकि मैं बैंगलोर या कर्नाटक का निवासी नहीं हूँ, परंतु मेरे भारत में अब ऐसा भी हो रहा है यह तो बस अब हद्द ही हो गई है। क्या इसी दिन के लिये हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना खून बहाया था, क्या गांधी जी ने आजाद देश का यह सपना देखा था, कि सभी लोग आजादी से भ्रष्टाचार कर सकें और मानवीय मूल्यों का हनन कर सकें।
आज इन्फ़ोसिस जा रही है कल और भी कंपनियों के जाने के आसार हैं, कहीं भारत के भ्रष्टाचार के कारण ऐसा न हों कि ये सभी कंपनियाँ पास के किसी और देश में चली जायें जैसे कि चीन, भूटान या कहीं ओर.. क्या है भ्रष्टाचार का इलाज… कुछ है क्या…
मेरे भारत के महान नागरिकों क्या है भ्रष्टाचार का इलाज… भ्रष्टाचार केवल बैंगलोर में है मुद्दा यह नहीं है, भ्रष्टाचार तो हर प्रदेश में है भारत देश में है, और इस कदर भारतीय तंत्र में घुलमिल गया है कि इसे अलग करना अब नामुमकिन सा लगता है, जब हमारे भारत देश के प्रधानमंत्री यह कह सकते हैं कि काले धन वाले लोगों की सूची उजागर नहीं की जा सकती तो ऐसे देश के कर्णधारों से क्या उम्मीद कर सकते हैं।
क्या ब्रिटिश शासन ही ठीक था या ये भ्रष्टाचारी स्वतंत्र भारत देश….
भ्रष्टाचार का रोग हर जगह है कही कम कही ज्यादा कंपनिया तो कुँए खाई में से एक चुन रही है |
हे राम।
कहीं भी जाए यह बिमारी तो हर जगह है … इस लिए भारत के बाहर तो जाने से रहा मामला !
इस भ्रष्टाचार के कारणतो पूरा देश डगमगा गया है.
इस रोग का कोई इलाज नहीं..
बज्ज पर हुई टिप्पणियों का ब्यौरा ताकि सनद रहे ..
Dr. Mahesh Sinha – वहाँ से गुजरात जाएगा8:10 pm
Prashant Priyadarshi – सभी आकंठ भ्रष्टाचार में डूबे हुए हैं.. कम से कम किसी भी सफल कंपनी को सरकार या किसी और पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाने से पहले यह जरूर सोचना चाहिए कि हमाम में सभी नंगे ही तो हैं..
क्या आप भी ऐसा ही सोचते हैं कि Infi सिर्फ अच्छे से काम करके ही यहाँ तक पहुंचा होगा? मैं तो ऐसा नहीं सोचता..8:43 pm
Vivek Rastogi – प्रशांत बात सही है कि सभी भ्रष्टाचार में डूबे हैं, और हम तो यही सोचते हैं कि infy अच्छे काम करके ही यहाँ तक पहुँचा है, और यह रिलायंस नहीं है। अब इससे ज्यादा क्या कहें !!Edit9:06 pm
Prashant Priyadarshi – मैं नहीं मानता कि भारत जैसे देश में, जहाँ भ्रष्टाचार अपनी चरम पर है, कोई भी कंपनी कुछ भी गलत काम किये बिना उतनी ऊँचाई पर पहुँच जाए.. हाँ ये जरूर है कि अन्य कंपनियों के मुकाबले मुझे भी इस पर अधिक भरोसा है..9:09 pm
Vivek Rastogi – अब हम भी कितने ही ईमानदार हों पर अगर थोड़े से भ्रष्टाचार से अपना महत्वपूर्ण समय बचता हो तो हम भी अपनी ईमानदारी ताक पर रख देते हैं, और चुपचाप अपने आप को माफ़ कर देते हैं, परंतु अगर बड़ी चीज के लिये बड़ी भ्रष्टाचारी रकम मांगी जाये तो शायद हम और आप भी कुछ ऐसा ही रास्ता चुनेंगे।Edit9:53 pm
Prashant Priyadarshi – जी हाँ.. यही मैं कहना चाह रहा हूँ.. अगर मैं भी गलत हूँ और उसे खुद से सही ही कहता रहूँगा तो वह गलत सही नहीं हो जाएगा..
यही बात किसी भी कंपनी पर भी लागू होता है.. चाहे Infi हो या Tata..9:54 pm
Vivek Rastogi – अब टाटा का नाम क्यों ले दिये पहले ही अपने रतन भाई सरकार पर बहुत नाराज हैं, राडिया मामले में टेप सार्वजनिक करने के चक्कर में…Edit9:58 pm (edited 9:59 pm)
Vivek Rastogi – वैसे भी टीसीएस. के पास infy जित्ता बड़ा कैम्पस नहीं है, जहाँ तक हमें पता है… पर हाँ टाटा के पास जमीन बहुत सारी है और सरकार ने भी टाटा की जमीन पर कब्जा कर रखा है, वह भी अवैध तरीके सेEdit10:01 pm
Prashant Priyadarshi – Tata का नाम इसलिए लिया क्योंकि अभी भी कई भारतीयों के ख्याल में Tata का मतलब एक ईमानदार कंपनी ही है.. :)10:02 pm
Vivek Rastogi – क्या आपको पता है मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन की जमीन टाटा की है और सरकार उस जमीन के लिये टाटा से ३ बार कोर्ट में केस भी हार चुकी है, पर फ़िर भी अवैध रुप से काबिज है, और ट्रेनों का संचालन नियमित है।Edit10:02 pm
Vivek Rastogi – बिल्कुल बहुत पारदर्शिता है, हम खुद टाटा में काम कर चुके हैं, इसलिये बहुत अच्छे से बता सकते हैं.. अब कुछ अच्छे लोग भी गलत लोगों के चक्कर में फ़ँस जाते हैं, और वही केस उजागर हो जाता है, तो क्या कहें बदकिस्मती !!
आजकल बस यही देखना पड़ता है कि कौन कम बुरा है
log to kah rahe hai imanadar vahee jise mouka mila nahee
भ्रष्टाचार को लेकर हमारा चिन्तन और चिन्ता, बिलकुल उपदेश की तरह है। जब तक हम आत्मपरक और निरपेक्ष भाव से इस पर चिन्तन नहीं करेंगे तब तक कोई बदलाव नहीं आ सकता।
खुद को शामिल करते हुए बात करें और जो कुछ करना है, उसकी शुरुआत खुद से करें। हमारा नियन्त्रण केवल हम तक ही सीमित है।
राज्य का सौभाग्य दूर हो रहा है , ये कर्नाटक का दुर्भाग्य है।
आज खबर है कि विप्रो भी आंध्रप्रदेश या तमिलनाडू जाने की सोच रहा है।
अच्छा??? यानी मूर्ति साहब यह सोचते हैं कि पूना (महाराष्ट्र) बेंगलोर के मुकाबले, कम भ्रष्ट है?
समझ नहीं पा रहा कि उनकी समझ पर हँसूं या रोऊं?
कहीं ऐसा तो नहीं कि "भाजपा से सौदा ठीक से पटा नहीं" इसलिये वापस कांग्रेस की ओर? लेकिन कहीं ऐसा न हो कि उनकी कम्पनी पूना में स्थापित होने से पहले ही महाराष्ट्र में सेना-भाजपा-मनसे का शासन आ जाये्…। तब क्या करेंगे पई साहब, नीलकेणि जी और मूर्ति साहब???
या तो Infy वाले देशमुख-पवार-शिन्दे की त्रिमूर्ति को ठीक तरह से नहीं जानते, या फ़िर इन लोगों से उनकी अधिक सटीक "सेटिंग" है… 🙂 🙂
भ्रष्टाचार एक बीमारी की तरह फेल रहा है ..इसे ख़त्म करना होगा वरना ये देश को ही ख़त्म कर देगा ………….
मेरे पास है भ्रस्टाचार मिटाने का मन्त्र | में दाबे के कह रहा हूँ ,क्रपया कांटेक्ट करे और जाने |
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madan gopal brijpuria