ख्वाईशें प्रेम दिवस की
ओह ख्वाईशें प्रेम दिवस की तुम्हें कोई यादगार तोहफ़ा दूँ पहले तोहफ़ा देने के लिये बैचेन रहता था पर जेब खाली होती थी अब जेब भरी होती है तो तोहफ़ा समझ में नहीं आता इसलिये मैंने खुद को ही तुम्हें तोहफ़े में अपने आप को सौंप दिया है उम्मीद है कि अब तो.. तुम्हें तोहफ़े की कोई उम्मीद मुझसे न.. रहती होगी… और अगर हो तो… दफ़न कर लो उसे क्योंकि अब मैं तुम्हारा हूँ तोहफ़े तो गैर दिया करते हैं जिन्हें अपना बनाने की ख्वाईश होती है अब तो मैं तुम्हारा अपना हूँ ये सब बहाने और बातें केवल इसलिये हैं क्योंकि इस प्रेमदिवस पर फ़िर मुझे कोई तोहफ़ा नहीं मिला मुझे यकीन है कि अब तक तो तुम मुझे समझ गयी होगी आखिर हमारा प्रेम अब जवान होने लगा है शिकायत हो तो कह देना मैं कॉलेज की नई किताब की तरह तुमसे चिपक जाऊँगा। |
हमें भी चाहिये ऑफ़ एक दिन घरवाली बोली तुम करते हो ऐसा क्या काम सात में दो दिन तुमको मिलता है आराम, यहाँ हम ३६५ दिन लगे पड़े रहते हैं अब हम भी दो दिन का लेंगे ऑफ़, हमने कहा दो दिन का ऑफ़ मतलब हमारा मंथली बजट साफ़, मान जाओ तुम्हें हमारे प्रेम की कसम, रोज ऐसे ही ब्लैकमेल करके खाना खा रहे हैं जीना मुश्किल फ़िर भी जिये जा रहे हैं। |
प्रेम दिवस पर दो कविताएँ अपनी प्रेमिका के लिये… मेरी कविता… विवेक रस्तोगी
प्रेम दिवस याने कि प्रेम को दिखाने का दिन, प्रेम के अहसास करने का दिन, और मैं अपनी प्रेमिका के लिये याने के अपनी पत्नी को दो कविताएँ समर्पित कर रहा हूँ, सच्चे दिल से लिखी है, अपनी पीड़ा लिखी है… कृप्या और यह न कहे कि यही तो हम भी कहना चाह रहे थे क्योंकि ये मेरी सिर्फ़ मेरी भावनाएँ हैं… वैसे मुझे लगता है कि यह कविता हर पति अपनी पत्नी को समर्पित करेगा ।
इसलिये मैंने खुद को ही
तुम्हें तोहफ़े में अपने आप को सौंप दिया है
-इससे उम्दा तोहफा और क्या हो सकता है…
इतने सुन्दर सुन्दर दो तोहफे तो दे दिये आपने।
क्या खूब बहाना ढ़ूंढ़ लिया है तोहफा न देने का..
वाह विवेक भाई, गजब तोहफ़ा दे दिये आप….
ahem ahem…क्या बात है भईया…
आप पे तो एकदम वैलेंटाइन का असर सर चढ़ के बोल रहा है 😉
वाह वाह तोहफ़ा हो तो ऐसा…………प्रेम की सुन्दर अभिव्यक्ति।
सही रास्ते पर जा रहे हो विवेक भाई ! शुभकामनायें !
सप्ताह में एक दिन छुट्टी स्वयं मनाओ एक दिन पत्नी को भेंट चढाइए, तब समझ आएगी यह तोहफ़ा बन जाने वाली बात.
घुघूती बासूती
प्रेमिका याने के अपनी पत्नी पढ़ के चिंता कम हो गयी वरना मुझे तो लगा था की २ दिन आप को घर मैं एंट्री नहीं मिलेगी प्रेमिका के नाम २ कविताएँ भेजने पे. कविताएँ भी सुंदर है और" प्रेमिका याने के अपनी पत्नी" का इस्तेमाल मुझे बहुत पसंद आया. यही सत्य है
दफ़न कर लो उसे क्योंकि अब मैं तुम्हारा हूँ
तोहफ़े तो गैर दिया करते हैं
जिन्हें अपना बनाने की ख्वाईश होती है
अब तो मैं तुम्हारा अपना हूँ
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अति सुंदर
विवेक भाई … सेम पिंच … हम भी यही तोहफ़ा दिए है …
वैसे यह बस बातें खुले में काहे लिख रहे है … समझा कीजिये … और राज को राज रहने दीजिये !
बहुत सुंदर भाई.
रामराम
वाह,बहुत बढ़िया.
क्या बात हे, चलिये इसी खुशी मे आज घर का काम भी आप ही करे, अजी जब प्यार ही जताना हे तो खुब अच्छी तरह से जताओ, बातो से मन मत बहलाओ
सही है। कविता तो आपकी है लेकिन खुद को भेंट करने वाला बहाना हम नोट कर ले रहे हैं। कभी काम में आयेगा। उस समय शुक्रिया भी कह देंगे बहाने के लिये।
दोनों रचना अच्छी। मनोरंजक।