स्वर्ग के द्वार पर तीन लोग खड़े थे।
भगवान
– सिर्फ़ एक ही अंदर जा सकता है।पहला
– मैं ब्राह्मण हूँ, सारी उम्र आपकी सेवा की है। स्वर्ग पर मेरा हक है।दूसरा
– मैं डॉक्टर हूँ, सारी उम्र लोगों की सेवा की है। स्वर्ग पर मेरा हक है।तीसरा
– मैंने आईटी (IT) में नौकरी की है|
भगवान
– बस.. आगे कुछ मत बोल.. रुलायेगा क्या पगले ? अंदर आजा… तेरे फ़ोर्वर्डेड मेल्स, फ़ोलो–अप्स, बेंच पर २ साल, नाईटशिफ़्टस, प्रोजेक्ट मैनेजर से पंगा, सीटीसी (CTC) से ज्यादा डिडक्शन्स, पिकअप ड्रॉप का लफ़ड़ा, लड़की ना मिलने की फ़्रस्ट्रेशन, क्लाईंट मीटिंग्स, डिलिवरी डेट्स, वीकेंड्स में काम, कम उम्र में बालों का झड़ना – सफ़ेद होना, मोटापे का प्रोब्लम, मेरे को सेन्टी कर दिया यार। आजा जल्दी अंदर आजा।
[एक मित्र का चैट पर मैसेज था, आईटी वालों का दर्द समझाने के लिये अच्छा मैसेज है]
वाह वाह, आपनें तो मन की बात बयां की है भाई….
आई टी वाले का दर्द आई टी वाला ही जाने…
:))
मस्त…दिल खुश हो गया सुबह सुबह 🙂
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (17-2-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
जी हा बेचारा मेरा भाई भी ऐसे ही दुखी रहता है | 🙂
हमारे मित्र भी ना घर के रहे ना घाट के…. बेचारे
क्या बात है… चलिए स्वर्ग में एंट्री तो पक्की हो गई कम से कम 🙂
चलिये आप ही चले जाईये।
Ha,ha ha!
वाह.:)
रामराम.
चलो, बेचारे को कहीं तो सम्मान मिला.. 🙂
वाह वाह-वाह वाह.
a good satire and true too..
यह सब तो बहुत कम है। हकीकत तो और अधिक भयावह है।