अन्ना हजारे अनशन पर बैठे हैं, और पूरा भारत उनके समर्थन में उतर आया है। सरकार दबाब में हैं और शायद सरकार को अंदेशा भी है कि जनता जागरूक है और अब कुछ भी हो सकता है। यह अच्छी बात है कि भ्रष्टाचार के विरूद्ध बिल पास हो जायेगा और हमें कुछ खामियों से युक्त ही सही पर एक सख्त कानून मिल जायेगा।
कानून लागू करने वाले और कानून को मान्यता दिलाने वाले भी भ्रष्टाचार से मुक्त होने चाहिये, और इसके लिये पहले भ्रष्टों को उनकी गद्दियों से उतारना होगा।
भ्रष्टाचार केवल सरकारी तंत्र में ही नहीं, यह हर जगह पाया जाता है और इस कानून की जद केवल सरकारी तंत्र तक ही रहने वाली है। कुछ भ्रष्टाचार ऐसे हैं जो कि किसी कानून के जरिये खात्मा नहीं किये जा सकते हैं, ऐसे भ्रष्टाचार केवल आमजन के जागरूकता से ही लगाम लगाई जा सकती है।
अगले चुनाव पास ही हैं और हर शहर में भ्रष्टाचार विरोधी मोर्चे खोले जा रहे हैं, उन्हीं में से एक अपना नेता चुनें जो कि ईमानदार हो या उसकी गारंटी देता है, क्योंकि जब सत्ता हाथ में आती है तो सब ईमानदारी गायब हो जाती है। और अपने नेता को अपने शहर से जिताने का संकल्प लें और उसके ऊपर अपना कंट्रोल भी रखें।
अगर सरकारी तंत्र से ही भ्रष्टाचार गायब हो जाये तो हर गाँव और शहर का कायाकल्प ही बदल जायेगा, लोग गरीबी से बाहर निकलेंगे। बच्चों को स्कूल में शिक्षा दिलाने के लिये भारी भरकम दान नहीं देना पड़ेगा और हमारे बच्चे भ्रष्टमुक्त देश में सांस ले सकेंगे।
मैं हज़रे जी का तहे दिल से समरथन करता हू। राम देव जी की भि इस मुहीम मैं शमिल होना
बात निकली है तो दूर तलक जायेगी।
खुद ईमानदार होते हुए भी जब इंसान गरीब होता हैं और बेईमान को अमीर देखता हैं तो शायद रास्ता दिखना बंद हो जाता हैं
शुभकामनायें आपको !
संजीवनी तो है यह, बशर्ते अपने सही स्वरूप में लागू हो।
अन्ना हजारे का समर्थन : भ्रष्टाचार का विरोध है और मेरी ऊंगली
देखिये अब क्या होता है…
दूर तक ही जाना होगा…
भ्रष्टाचारविहीन समाज/सरकार/व्यवस्था की बात तो अकल्पनीय है। किन्तु हॉं, इस पर सतत् चौकसी और अनवरत कठोर नियन्त्रण जारी रहना जरूरी है।