बीते दिनों में हमारे एक मित्र मुंबई से बैंगलोर आये, वे मुंबई के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे से अंतर्देशीय हवाई अड्डे की और ऑटो से आ रहे थे, तो बीच में ही उनकी मदिरा पीने की इच्छा जोर मारने लगी, और एक बोतल व्हिस्की की निपटा दी और फ़िर चले मुंबई से बैंगलोर की अंतर्देशीय उड़ान के लिये वापिस ऑटो से अंतर्देशीय हवाई अड्डे की ओर।
जब वे मदिरापान कर रहे थे तो उन्होंने हमें फ़ुनियाया कि अभी हम मदिरालय में बैठे हैं और उड़ाने वाले पायलट की बराबरी कर रहे हैं, कि हम दोनों का लेवल बराबर रहे, मतलब कि हमारे दोस्त का और पायलट का । हमें ज्यादा सूझा नहीं।
जब यहाँ बैंगलोर पहुँचे, तो हमने पूछा ये लेवल बराबर रहेगा “इसका क्या मतलब है ?”, मित्र बोले देखो भई हम जिंदगी में पहली बार हवाई जहाज में बैठे हैं और सुना है, पढ़ा है कि जैसे लोग कार “पीकर” चलाते हैं, वैसे ही ये पायलट “पीकर” उड़ाते हैं, अरे रोड पर तो पुलिस वाले झट से पकड़ लेते हैं, पर हवा में इनको पकड़ने वाला कोई नहीं है। इसलिये अपन भी “पीकर” टुन्न हैं और पायलट भी, अगर कुछ होगा भी तो अपना और पायलट का लेवल बराबर रहेगा, जैसे न उसको डर लगता है “उड़ाने” से वैसे ही हमको भी “उड़ने” से डर नहीं लगेगा।
हम अपने मित्र को साष्टांग दंडवत प्रणाम किया और हम बोले “प्रभू !! यह इलाज तो उन सभी यात्रियों को बताना पड़ेगा जो कि पियक्कड़ी हवाई कंपनी में बैठते हैं”, जय हो !!
यह फंडा तो अच्छा है
इन्टरनेशनल में तो बैठने के बाद भी आप बराबरी कर सकते हैं उनकी मेहमान नवाज़ी में…
इसीलिए अंतर्राष्ट्रीय हवाई यात्राओं में सभी यात्रियों को भी बराबर से टुन्न होने का मौक़ा दिया जाता है
मतलब अब कार में भी बाकी सवारियों को पीकर बैठना पडेगा ताकि लेवल बराबर रहे।
यह तो हर जगह बराबर होना चाहिये…
पायलट का चालान कौन काटेगा।
Jwalant mudda hai !!!
हे राम यह बराबरी 🙂 ना बाबा ना….
इसे कहते हैं – पीनेवालों को पीने का बहाना चाहिए।