अभी बस हायपरसिटी से घर का एक सप्ताह का नाश्ते और खाने के लिये समान लेकर निकल ही रहा था कि ओलंपस के कुछ लोग खड़े थे, और एक लड़की जो कि बहुत ही उत्तेजक कपड़े पहने हुए थी और उसने रोककर पूछा कि क्या आप ओलंपस के कैमरे से फ़ोटो खींचकर देखना चाहेंगे और दस मिनिट आपको DSLR कैमरा दिया जायेगा और आप चाहे जितनी फ़ोटो ले सकते हैं, और फ़िर ओलंपस की फ़ोटो कांटेस्ट में हिस्सा ले सकते हैं। हमने सोचा चलो इसी बहाने DSLR कैमरे की विशेषताएँ भी देखने को मिल जायेंगी।
कैमरा अच्छा था पर खैर बाद में हमने उसके बारे में पढ़ा तो पाया वह सेमीप्रोफ़ेशनल कैमरा है, ना कि प्रोफ़ेशनल कैमरा पर हाँ इस कैमरे की सबसे अच्छी बात यह थी कि अगर वीडियो बना रहे हैं और बीच में फ़ोटो खींचना है तो जूम करके बीच में फ़ोटो भी ले सकते हैं और वीडियो तो बनता ही रहेगा। खैर हमें केवल एक बात समझ में नहीं आई क्या उत्तेजक कपड़े पहनकर ही कैमरे बेचे जा सकते हैं ?
घर पहुँचे टीवी पर एक विज्ञापन आ रहा था (हम टीवी कम ही देखते हैं, इसलिये विज्ञापन के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं रहती है), जिसमें एक परिवार को तैयार होते हुए दिखाया जा रहा था और पति अपनी पत्नी और बच्चों से कहता है कि जल्दी चलो फ़िल्म छूट जायेगी, अगर फ़िल्म छूट गई तो तुम्हीं लोगों से पैसे लूँगा। [हा हा कमाये पति और अपनी ही जेब के पैसे वसूँलेंगे पत्नी और बच्चों से ;-)]
तैयार होकर घर के बाहर पहले केवल पति बाहर आता है फ़िर पत्नी और फ़िर एक एक करके तीन बच्चे और फ़िर पति अपने स्कूटर की तरफ़ देखते हैं [हमें लगा कि बजाज स्कूटर का विज्ञापन है, और वापस से बाजार में आ रहा है 🙁 ], पति अपने एक बच्चे के साथ स्कूटर पर जाता है और पत्नी अपने दो बच्चों के साथ ठुमकते हुए पलटती है और कहती है, हम तो ऑटो से जायेंगे तुम्ही जाओ इससे !!
और पंचलाईन आती है “इसीलिये तो बैंक ऑफ़ इंडिया लाये हैं आपके लिये आसान कार लोन”।
अब इस विज्ञापन से विज्ञापनदाता ने एक साथ पूरे परिवार पर निशाना साधा है और फ़िर बच्चों और पत्नी की जिद के आगे पति को नतमस्तक होना ही पड़ता है, इस तरह से उस परिवार के पास कार तो आ जाती है, बैंक का व्यापार भी हो जाता है। परंतु उस परिवार का वित्तीय भविष्य कितना सुरक्षित हो पाता है यह तो वह पति ही जानता है क्योंकि उसे तो भविष्य के लिये वित्तीय प्रबंधन भी करना है। ऐसे विज्ञापन घर में झगड़ा करावाने के लिये बहुत हैं।
अगर ग्राहक को किसी भी तरह मजबूर कर पाये तो विज्ञापन तो सफल कहलाया….अब झगड़ा हो या मारकाट…इससे व्यवसायिक जगत को क्या असर पड़ा है आजतक… 🙂
अरे महाराज यह सब तो ठीक है … कुछ कैमरे के बारे में भी तो बताया होता !! चलिए अगली पोस्ट में सही !
लोगों को बेवकूफ बनाने के तरीके है विज्ञापन। पहले ज्योतिषी घर आते थे, ग्रह-दशा खराब है उसका उपाय बताते थे। कभी नटवरलाल टाइप लोग आते हैं सोना दुगुना करते हैं। ऐसे ही विज्ञापन हैं। उनका काम है लोगों की जेब पर हमला करना, लेकिन हमारा काम होना चाहिए अपने दिमाग को व्यवस्थित रखना। आपने किस लालच में फोटो खेंचे जरा यह भी बता देते। हा हा हाहा।
कभी-कभी मैं सोचता हूं कि यदि ये विज्ञापन न होते तो हमारा जीवन कैसा होता?
@शिवम जी – कैमरे के बारे में हमें ज्यादा ढंग से बताया ही नहीं गया क्यूँकि जिनको जानकारी थी, वे फ़ोन पर बात करने में लगे हुए थे और किसी और की सहायता कर रहे थे, ऐसे मार्केटिंग केम्पेन का कोई मतलब ही नहीं निकल पाता कंपनी की और से।
@ अजित जी – हमने तो DSLR कैमरे को सीखने के लालच में फ़ोटू हींचे थे, आप कुछ और न समझें। वैसे इसके बारे में हमने अभी पोस्ट लिखी थी
सभी अपनी हसरतें और चाहतें केवल देखकर ही मिटाना चाहते हैं।
हम इसीलिये सप्ताहान्त घर में ही मना रहे हैं।
अब क्या करें व्यापारियों का भी तो परिवार है जिनका उन्हें पेट भरना है 🙂 🙂
विज्ञापन सब पर भारी !
wo to hona hi tha….khoob,kahee..
आप तो दिल के धडकने से भी डर जाते हैं। पेरशान मत होइए। हम 'ऋणं कृत्वा, घृतं पीवेत्' वाला देश हैं।