असफ़ल एटीएम ट्रांजेक्शन पर अगर १२ दिन के अंदर रकम न लौटाये तो बैंकों को ग्राहक को १०० रुपये प्रतिदिन से हर्जाना देना होगा… (On every Failed ATM Transactions delay in reimbursement bank must pay Rs.100 a day penalty)

     शीर्षक देखकर चौंक गये ना ! जी हाँ यह रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने यह परिपत्र २००९ में जारी किया था परंतु बहुत ही कम लोगों को इसके बारे में पता है।

    एटीम असफ़ल ट्रांजेक्शन एटीएम पर कई बार हम रुपये निकालने जाते हैं और कभी कभी रुपये नहीं आते हैं और बैंक खाते में रकम कम हो जाती है, याने के बैंक की किताबों में आपके रुपयों की निकासी दर्ज हो जाती है, फ़िर आप बैंक की हेल्पलाईन पर फ़ोन करके इसकी शिकायत दर्ज करवाते हैं या फ़िर शिकायत पत्र के द्वारा करते हैं या बैंक की शाखा में शिकायत दर्ज करवाते हैं। परंतु कुछ होता नहीं है कई बार तो बैंक सुनते ही नहीं हैं और अपनी मनमर्जी की करते हैं।

    २००९ में रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने बैंको के लिये एक परिपत्र जारी किया थ कि अगर असफ़ल एटीएम ट्रांजेक्शन का निपटान १२ कार्यकारी दिवसों में नहीं किया जाता है तो बैंक को ग्राहक के बिना कहे १०० रुपये प्रतिदिन हर्जाने के रूप में दिना होंगे। परंतु अभी तक कोई बैंक इस बारे में गंभीर नहीं है।

    २ वर्ष पहले जब मैं गहने खरीदने बाजार गया था, तो लगभग २०,००० रुपयों की और जरूरत पड़ी, अब क्रेडिट या डॆबिट कार्ड से ट्रांजेक्शन करने पर २% अतिरिक्त शुल्क उज्जैन में उन दिनों लिया जाता था, क्योंकि बैंक उनसे शुल्क लेता था, अब धीरे धीरे चलन में आ गया है तो अब इतनी दिक्कत नहीं होती है। पहले मैं पास के दो-तीन ए.टी.एम. पर गया तो पता चला कि खराब हैं, और फ़िर जब महाकाल के पास लगे स्टेट बैंक के ए.टी.एम. पर गया तो रुपये निकले नहीं और बैलेन्स कम हो गया (यह हमें बाद में पता चला), खैर फ़िर भी हमने दूसरे ए.टी.एम. से रुपये निकालकर अपनी खरीददारी पूरी करी।

    जब वापिस मुंबई पहुँचे और तो पता चला कि २०,००० रुपये के दो ट्रांजेक्शन दर्ज हैं, हमने तत्काल अपने बैंक के ग्राहक सेवा को फ़ोन किया तो जानकारी मिली की १५ दिन के अंदर आपके रुपये खाते में जमा हो जायेंगे, हमने सात दिन बार फ़िर फ़ोन किया तो कहा गया कि स्टेट बैंक से अभी तक उत्तर नहीं आया है। खैर १० कार्यकारी दिवसों में हमारी रकम हमारे खाते में जमा कर दी गई।

    जब हमने अपने स्तर पर इसकी कार्यप्रणाली की छानबीन की कि आखिर कैसे पता लगाते हैं कि ग्राहक ने सही शिकायत की है या नहीं तो पता चला –

    जब ए.टी.एम. से रुपये निकलते हैं तो कितनी रकम निकाली गई और नोट डिस्पेन्सर से  कितने रुपये के कितने नोट बाहर गये हैं, यह एक अंदर गोपनीय रोल पर प्रिंट होता रहता है और इस तरह की शिकायत में इन रोलों की जाँच की जाती है और फ़िर रुपये वापिस जमा किये जाते हैं, और यह प्रिंट तभी होता है जब कि नोट डिस्पेन्सर से बाहर आते हैं, तो गलती की कोई जगह ही नहीं है। फ़िर जिस बैंक के ए.टी.एम. से ट्रांजेक्शन असफ़ल होता है वह संबंधित बैंक को बताता है कि रुपये नहीं निकले हैं और यह सत्यापित किया जाता है तब आपका बैंक आपके खाते में रूपये जमा करवा देता है, और इसके लिये १२ दिन का समय बहुत होता है।

तो अगली बार अगर आपके साथ ऐसा हो तो हर्जाने को लेना न भूलें।

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  1. बिलकुल सही बात. मेरे एक परिचित के पांच सौ रुपये इसी तरह कम हो गए. डेढ़ महीने बाद जाकर शिकायत का निबटारा हो पाया और उन्हें लगभग पांच हज़ार रुपये मिले.
    जैसा उनके साथ हुआ वैसा सबके साथ हो 🙂

  2. एक बहुत अच्छी जानकारी, एक बार मेरे खाते मे अचानक ५ लाख € जमा हो गये, मैने जब अपना एकांऊट चेक किया तो इस बात का पता चला, मैने बेंक मे रिपोर्ट की कि यह पैसे मेरे नही , यह कहां से आये? तो बेंक वालो ने दो दिन मे ही चेक कर के बता दिया कि किसी ने आप के एकांउट मे गलती से जमा कर दिये, ओर हम ने गलती सुधार ली हे.

  3. बहुत उपयोगी जानकारी…एक वकील होने के नाते भी मेरे लिए ये सब जानना लाभप्रद है
    धन्‍यवाद

  4. विवेक जी, आपकी यह पोस्ट बहुत जानकारी वाली है. बैंक इसलिए ध्यान नहीं देता, क्योंकि उसके लिए यह एक अतिरिक्त काम है. वे इसे टालना पासंद करते हैं. मेरी भी एक सहयोगी के साथ ऐसा हुआ था. 10 दिन की भाग दौड के बाद उसके पैसे उसके खाते में दुबारा जमा हुए. मैंने इसे अपने फेसबुक पर शेयर करना चाहा, मगर संदेशा आया कि आप नहीं कर सकते. क्या तकनीकी बाधा हो गई? कृपया बताएं.

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