व्यक्ति के दिमाग में अगर कोई बात बैठ जाये तो उसे निकालना बहुत ही मुश्किल होती है, और हमें वह बात पता नहीं कहाँ से हर समय याद आ जाती है।
मसलन थोड़े समय पहले हमने आयुर्वेद की एक किताब में पढ़ा था कि नहाते वक्त सीधे सर पर पानी नहीं डालना चाहिये पहले पैर पर फ़िर धड़ पर और फ़िर अंत में सिर पर पानी डालना चाहिये, इससे शरीर अनुकूल होता जाता है और बीमारियों से बचाव भी होता है। और कुछ हुआ हो या ना हुआ हो, आज तक वही याद रहता है और उसी तरह से नहा रहे हैं व कभी अगर गलती से भी गलती करने की कोशिश होती है तो फ़ौरन सुधार देते हैं, यह बात पता नहीं दिमाग में हमेशा याद रहती है कि कहीं कोई अनिष्ट ना हो जाये।
ऐसे ही थोड़े दिन पहले एक ईमेल आया कि अगर बटुआ आप जेब में रखते हैं तो रीढ़ की हड्डी ९० डिग्री से कुछ डिग्री झुक जाती है, क्योंकि एक और बटुआ होने से व्यक्ति एक तरफ़ झुक जाता है, बात तो सही है, पता नहीं कितनी सही और कितनी गलत परंतु हाँ अब बटुआ पीछे से निकल जा चुका है, बटुआ रखने का स्थान बदल दिया गया है।
अब अगर बटुआ पीछे पैंट की जेब में रखा भी हो तो एकदम से वह ईमेल याद आ जाता है, और अपनी रीढ़ की हड्डी की फ़िक्र में बटुए की जगह बदल देते हैं। हालांकि यह ईमेल खोजा परंतु मिला नहीं अगर कभी मिला तो जरूर पोस्ट पर लगाऊँगा।
पहले मोबाईल शर्ट की ऊपर की जेब में रखते थे तो सबने मना कर दिया और न्यूज चैनल वालों ने तो हल्ला ही मचा दिया था, बस वह आदत जो छूटी है आज तक छूटी ही है, और अगर कभी गलती से कभी शर्ट में मोबाईल रख भी लिया तो जल्दी से निकाल कर हाथ में ले लेते हैं, नहीं तो ऐसा लगता है कि जिन लोगों ने मना किया था वे सब अपनी आँखें बस मुझ पर ही गड़ाये हुए हैं।
इस तरह की छोटी छोटी चीजें हमारा जीवन हमारी आदत बदल देती हैं।
सही बात है, प्राकृतिक जीवनचर्या हो, अधिकाधिक।
अपना तो एक ही फंडा है, जो तार्किक है उसी को मानो.
तो क्या बटुआ ठीक "बीचोंबीच" रखना चाहिए? हा हा हा! 🙂
@@इस तरह की छोटी छोटी चीजें हमारा जीवन हमारी आदत बदल देती हैं..
सही बात.
कभी हमें लगता है कि छोटी-छोटी बातों की नसीहत देते लोग पता नहीं क्या चाहते हैं? मैं अभी की घटी एक बात बताती हूँ, सुबह घूमने जाने के लिए एक नया जूता खरीदा, उसे पहनने के बाद ऐसा लगा कि पैर के कर्व पर कुछ भारीपन सा है। इससे क्या होता है, यह सोचा जा सकता है लेकिन दो दिन बाद ही पैर में तेज दर्द हो गया। इसलिए किसी आदत का असर तत्काल दिखायी देता है और किसी का कुछ दिनों बाद। इसलिए यदि किसी ने अपने अनुभव से कोई बात बतायी है तो उसे आजमाने में मुझे कोई हानि प्रतीत नहीं होती।
आप ने असहज कर दिया! अब परखते हैं कि हम क्या करते हैं इस तरह का! 🙂
हमें तो कोई ना बदल पाया है…मेमोरी वीक है जी 🙂
aap ki shoch buland he des ko aap jese logo ki jarurart he
कुछ बातें वाकई दिल दिमाग में बस जाती हैं.
अजी हम नहाते समय तो पानी पैरो से ही शुरु कतरे हे, बिना जाने क्यो, बटूया हमेशा कमीज या कोट की जेब मे, अगर जेब कटने का डर हो तो गले मे लटका कर कमीज के अंदर रख लेते हे, मोबाईल को भी किसी जेब मे ठुस देते हे जहां उस के बोझ से पेंट नीचे ना खीसके, ऎसी बाते बहुत बार सुनी ओर दुसरे कान से निकाल दी,कभी वहम ना करो क्योकि इस का ईलाज नही होता, इस लिये इन बातो को दिमाग मे घुसने ही मत दो. राम राम
जिन बातों को अपनाने से लाभ दिख रहा हो , उन्हें मान लेने में कोई हर्ज भी नहीं है।
Hello Sir Muje Web Graphics , Logo Design, Html Java Script ,Flash Inro, Ka gyan He.Muje 8 sall Ka Tajarba He Par , Me Web Hosting Saru Kanrna chahta Hun , Is Ke Lye Muje Kay Docoment Chahiye m Is Ke Ley Muje Koi Preshan To Nahi Karga Kun Ki Mere Pas Kishi cores Ka diploma Nhi He ?
Kay Me Apne Sheher Me Webhosting Ki ADD Kar Sakta Hun
@आपने ज्ञान दर्पण .कॉम पर यह टिप्पणी की थी पर आपने अपना ईमेल नहीं दिया | वेब होस्टिंग शुरू करने के लिए आप [email protected] , [email protected] मेल पर संपर्क करें
बड़ा असोसियेटिव माईंड है आपका
हम खुद को कितना ही तीस मार खँ मानते हों लेकिन चलते हैं लोगों क कहने पर ही। यही बात बहुत ही अच्छे ढंग से बताई आपकी इस पोस्ट ने।