आखिरकार ३७ घंटे का लंबा सफ़र कल सुबह खत्म हुआ और थकान तो बिल्कुल थी ही नहीं, बिल्कुल भी नहीं। शायद बहुत वर्षों बाद इतना सोये और आत्मचिंतन का समय मिला। एक तरह से इसके लिये रेल्वे की कर्नाटक एक्सप्रेस के ए.सी. २ के उस डिब्बे को भी धन्यवाद ज्ञापित होना चाहिये अगर उसके प्लग में पॉवर आती तो पूरा समय हम लेपटॉप पर ही बिता देते। अच्छा हुआ कि पॉवर नहीं थी।
और इतने आराम के बाद भरपूर ऊर्जा का एहसास हुआ, जैसा कि आमतौर पर होता है कि हर सफ़र के बाद जिंदगी के कुछ पाठ सीखने को मिलते हैं, इस बार भी मिले। वह अब अगली किसी पोस्ट में लिखेंगे, भरपूर ऊर्जा से युक्त जब हमने अपने ट्रेन के सफ़र का अंत ग्वालियर में किया और बस स्टैंड की तरफ़ बड़े तो गर्मी के तलख मिजाज का अहसास हो गया, हालांकि उस समय सुबह के ५.३० बजे थे और गर्मी के तेवर देखते ही बन रहे थे, हम ए.सी. से निकलने के बाद पसीने में तर हो रहे थे। बस स्टैंड पहुँचते ही चंबल के लोगों की तल्खी का अंदाज दिखने लगा।
दिल्ली जाने वाली बस में धौलपुर के लिये बैठे, बस थी एम.पी. रोडवेज की जो कि बहुत ही ज्यादा घाटॆ में चल रही है और या तो बंद होने वाली है या हो चुकी है, पूरी जानकारी नहीं है। सरकारें कोई सी भी आ जायें पर घाटे में चलने वाले उपक्रमों का हाल वही रहता है, कोई रेड इंक को बदलना ही नहीं चाहता है।
हम भी एम.पी. रोडवेज की बस में ही चढ़ लिये पीछॆ ही राजस्थान रोडवेज की बस थी, दोनों बसों में देखते ही जमीन आसमान का अंतर पता चल रहा था, कहाँ एम.पी. की खटारा बस और कहाँ राजस्थान की ए.वन. नई दुल्हन सी चमचमाती मोटर। खैर एम.पी. का सपोर्ट करते हुए हम चढ़ लिये। और एक घंटे की जगह दो घंटे में धौलपुर पहुँच गये।
आज बांके बिहारी के दर्शन के लिये निकल रहे हैं, वृन्दावन धाम।
॥ जय बांके बिहारी लाल की ॥
आपका जानकारी देने का आभार, एक दो फ़ोटो का भी जुगाड कर दिया करो,
राधे राधे विवेक भाई !
सत चित आनंद उठाते रहिये -गोपियों की कुञ्ज गलियों को भी ढूढ़ीयेगा
बांके बिहारी लाल को हमारा भी प्रणाम कह दिजियेगा…
रेल के सफर में मन पूरा तृप्त हो जाता है। राधे राधे।
एम.पी. रोडवेज को मध्यप्रदेश सरकार बंद कर चुकी है…कुछ पुरानी प्राईवेट ऑपरेटर्स की रोडवेज से अनुबंधित बसें अभी भी चल रही हैं…यात्रा के बाकी पड़ावों के बारे में जानने की उत्सुकता है…
धौलपुर में आप कहां-कहां घूमे ?
JAI HO
अरे जनाब दो चार फ़ोटू ही चिपका देते, ओर सुनो दिग्गी राज के राज्य मे हो बसो का तो यही हाल होगा ना, यह नेता कुछ छोडे तभी देश का भला हो…
मैं राजस्थान रोडवेज की तारीफ करता हूं। और उससे भी ज्यादा तारीफ है हिमाचल रोडवेज की। पता नहीं मध्य प्रदेश रोडवेज को क्या हो गया है कि घाटे में चल रही है।
जमाये रहिये जी। खटारा बस का फोटो बाद में दिखा दी जियेगा पोस्ट पर।
आनंद करें.
बात केवल खटारा बस की नहीं, कर्मचारियों के व्यवहार की भी है। मध्य प्रदेश की बसों के कर्मचारियों के मुकाबले राजस्थान रोडवेज के कर्मचारियों का व्यवहार कम खराब है।