कल बेटेलाल के साथ बुद्धुबक्से को देख रहे थे और उनके कार्टून चैनल निक्स पर डोरीमोन आ रहा था, हालांकि हमने अपने बचपन में कभी कार्टून नहीं देखे, उस समय आते भी थे तो केवल विदेशी कार्टून स्पाईडरमैन या फ़िर रामायण देख लो।
आजकल तो बुद्धुबक्से पर करीबन १०-१२ चैनल कार्टून के लिये ही हैं, जिस पर २४ घंटे कार्टून परोसे जाते हैं, जिसमें कुछ डिज्नी के हैं, कुछ जापानी और कुछ भारतीय। हालांकि इन चैनलों पर आजकल डिजनी के प्रसिद्ध कार्टून डोनाल्ड डक और मिकी माऊस कम ही देखने को मिलते हैं ।
बच्चों के साथ कार्टून देखने का अपना अलग मजा है, वापिस से हम बचपन के युग में पहुँच जाते हैं, और बच्चों की सायकोलोजी भी समझने का मौका मिलता है, बहुत से वाक्य जो हमारे बेटेलाल बोलते हैं, पता चला कि कार्टून चैनल्स की देन है। कुछ कार्टूनों में तो वाकई हिन्दी में गजब अनुवाद किया गया है, परंतु कुछ कार्टूनों को तो बैन कर देना चाहिये। यहाँ तक कि कार्टून में आवाजें भी हिन्दी फ़िल्म अभिनेताओं से मिलती होती हैं, जो कि सुनने पर आसानी से पहचानी जा सकती हैं।
वैसे आजकल भारतीय कार्टून भी बहुतायत में उपलब्ध हैं और अच्छे शिक्षाप्रद एपीसोड आते हैं, परंतु अच्छे विचार और अच्छे संस्कार केवल कार्टून से नहीं डाले जा सकते हैं, क्योंकि इस तरह के कार्टून केवल १०-१५% ही होते हैं, बाकी के तो बकवास ही होते हैं।
जैसे हमारे बेटेलाल कल हमसे कह रहे थे “डैडी ये डोरीमोन कहाँ मिलता है, अपन भी एक डोरीमोन ले आते हैं, जो कि मुझे ढेर सारे गेजेड्ट्स लाकर देगा।”
मूल केवल यह है कि बच्चे कार्टून जरूर देख रहे हैं, परंतु कार्टून में क्या परोसा जा रहा है उसे नजरअंदाज मत कीजिये और आप भी कार्टून देखिये और बच्चों को स्वच्छ और अच्छॆ कार्टून देखने को प्रेरित कीजिये।
उन बच्चों का क्या जिनके मां बाप ही किसी कार्टून से कम नहीं …:)
कई बार मैं भी बैठकर देखता हूँ, कुछ अच्छे भी दिख जाते हैं कभी कभी।
maine to band kara diye.
आज कल कार्टून का मतलब कचरा…. क्यूंकि वो कार्टून विदेशों के लिए बनाये गए हैं…
कार्टून बनाने वाले कलाकार जिस दिन शिक्षाप्रद या समाज से जोड़ने वाले कार्टून बनाना प्रारम्भ कर देंगे उस दिन से बच्चों का विकास सम्यक होगा। अभी तो केवल डरावने या हैरतअंगेज कार्टून ही बनते हैं।
बी बी सी का बच्चो का चैनल है सी बी बी स ये पांच साल से कम के बच्चो के लिए है इसमे कार्टून कठपुतली इन्सान सभी मिल कर मनोरंजन और शिक्षाप्रद कार्यक्रम बनाते है | विषय वही होता है जो हमारे बच्चे प्लेग्रुप या नर्सरी स्कुल में जा कर सीखते है रंग आकर की पहचान से ले कर कविताए तक यहाँ तक की होली दिवाली से ले कर दुनिया के हर त्यौहार तक के बारे में बताया जाता है | सबसे अच्छी बात इस पर कोई विज्ञापन नहीं आता है | हमारी बच्ची ने काफी कुछ सिखा उससे किन्तु पिछले ६ महीने से वो भी डोरेमान की दीवानी है जो सबसे ख़राब बात इस कार्टून में है वो ये की इसमे दोस्त हर समय एक दुसरे को मारते है हमेशा लड़ते है बदला लेते है और फिर नोबिता अक्सर अपनी माँ के साथ ख़राब व्यवहार करता गैजेट के साथ | साथ में वो पढाई भी नहीं करता है अब इससे बुरा बच्चो के लिए और क्या उदाहरन होगा पर क्या करे आप का और हमारा बच्चा ही नहीं सारे बच्चे आज कल उसी के दीवाने है |
सहमत हूँ … मेरी कोशिश भी रही रहती है कि मेरा बेटा वह देखे जिस से उसको कुछ नयी और काम की जानकारी मिले !
डोरेमोन तो फिर भी कुछ विज्ञान के प्रति रुचि जगाने वाला है, हालांकि इसमें बहुत शैतानियां भरी गई हैं। लेकिन हग्गेमारु और निंजा टैक्नीक जैसे कुछ कार्टून तो बेहद बुरे संदेश देते हैं।
प्रणाम
चैनल विग्यापनों के लिए चलाए जाते हैं…
बच्चों के साथ बैठ कर कार्टून देखने ही नहीं उन पर चर्चा भी करनी चाहिए…शायद हम उनका ध्यान उस कार्टून में से कुछ अच्छी बात खोजने में लगा सकें..बच्चों से जुड़ी एक अच्छी पोस्ट लगी…