बेटेलाल ने जब से स्कूल जाना शुरु किया है तब से उनके शार्ट ब्रेक और लंच के नाटक फ़िर से शुरु हो गये हैं। रोज जिद की जाती है कि मैगी, पास्ता, पिज्जा या बर्गर दो। हम बेटेलाल को रोज मना करते हैं, मगर कई बार तो जिद पर अड़ लेते हैं, सब बच्चे लाते हैं, और एक आप हैं कि मुझे इन चीजों के लिये मना करते हैं। हमने कितनी ही बार समझाया कि बेटा मैगी, पास्ता, पिज्जा ठंडे हो जाने पर बुल्कुल अच्छे नहीं लगते और स्वास्थ्य के लिये हानिकारक भी होते हैं। इस तरह से लगभग रोज की कहानी हो चली थी। और इस बात से लगभग सभी अभिभावक परेशान रहते हैं।
शार्ट ब्रेक में अलग अलग चीजें दिया करते हैं अलग तरह के बिस्किट तो कभी उनकी कोई मनपसंदीदा नमकीन या मिठाई और खाने में रोटी सब्जी या परांठा सब्जी। पर बेटेलाल हैं कि कहते हैं उन्हें रोटी सब्जी नहीं मैगी दिया करें, पास्ता दिया करें। पैरेंट्स टीचर मीटिंग के दौरान स्कूल में उनकी मैडम ने हमें पहले ही मना कर दिया था कि बच्चों को यह सब चीजें नहीं दिया करें। परंतु बच्चे हैं कि मानते ही नहीं, घर पर इतनी जिद करते हैं और आसमान सिर पर उठा लेते हैं।
दो दिन पहले बेटेलाल की स्कूल की वेबसाईट पर नोटिस में शार्ट ब्रेक में मेनू आ गया, जिसमें हर दिन का मेन्यू निश्चित है। अब बेटेलाल को समझा रहे हैं कि बेटा अभी भी मान जाओ नहीं तो स्कूल वाले अब लंच का भी मेन्यू दे देंगे फ़िर क्या करोगे ?
हमेशा लंच बॉक्स में सब्जी बची हुई आती है, अब देखते हैं कि इस सबका क्या असर होता है। अभिभावक कितना भी समझा लें परंतु बच्चों को समझ में नहीं आता, अगर शिक्षक स्कूल में बोले तो वह बच्चों के लिये पत्थर की लकीर होता है।
पहले कक्षा में ही लंच करना होता था, अब थोड़ी बड़ी कक्षा में आ गये हैं तो उनकी क्लॉस टीचर बच्चों को स्कूल के छोटे बगीचे में लंच करने ले जाती हैं और लंच करने के बाद टिफ़िन वापिस अपनी क्लॉस में रखकर फ़िर से बच्चे बगीचे में खेलने आ जाते हैं। बेटेलाल के मुँह से यह सब बातें सुनने के बाद अपने स्कूल के दिन याद आ जाते हैं।
भैया यही परेशानी अपने बच्चे के लिए भी है शार्ट ब्रेक में मुनू हर दिन का मेनू निश्चित है यह मुझे भी चाहिए स्कुल की वेबसाईट दे दिजिए या मेनू स्वागत है आगे
हमारे यहाँ भी यही ज्वलंत समस्या है, श्रीमतीजी जूझती रहती हैं।
गंभीर समस्या है..
आजकल के बच्चों को मैगी, पास्ता, पिज्जा या बर्गर ही पसंद आते हैं .. गंभीर समस्या है !!
मेरी बेटी के स्कुल में तो प्लेग्रुप फिर नर्सरी से ही स्कुल के पहले दिन ही मेनू मिल जाता है जिसमे बस एक दिन अपनी इच्छा से कुछ भी लाने की छुट होती है बाकि दिन उन्हें मेनू से हिसाब से भेजना पड़ता है अभी तक मई उस मेनू के हिसाब से नहीं दे रही थी और आज ही डायरी में इसकी शिकायत आ गई | साथ ही बच्चो को क्लास में सिखाया भी जाता है की उन्हें हफ्ते में सिर्फ एक बार ही " जंक " फ़ूड खाना चाहिए बाकि दिन हेल्दी फ़ूड बिटिया रानी घर आ कर जंक फ़ूड और हेल्दी फ़ूड का बटवारा करवा रही थी |
मै तो नियमित परेशान रहती हूँ मेरा बेटा सुबह ६.३० को निकलता है सुबह उठकर क्या बनाऊ और क्या दूँ कही समस्या का हल नहीं दीखता है कोई तो मदद करो