शाम को लगभग ५ – ५.३० बजे विभाजी से मिलना तय हुआ था और हमने फ़ोन करके प्रवीण पांडे जी को भी खबर कर दी थी। अभिषेक से बात हुई परंतु अभीषेक ने बताया कि उनका कार्यक्रम व्यस्त है। घर से बराबर समय पर निकले और जैसे ही वोल्वो में बैठे, जोरदार बारिश होने लगी। आधे रास्ते पहुँचते पहुँचते बारिश अपने पूरे उफ़ान पर थी और इस बारिश और हममें केवल वोल्वो के खिड़की पर लगे काँच का फ़ासला था।
अंदर हम सीट पर बैठे बारिश का मजा ले रहे थे और बाहर काँच की खिड़की के उस तरफ़ बारिश का झर झर जल बहता जा रहा था, जैसे मन की बातें कभी रुकती नहीं हैं, मन के घोड़े दौड़ते ही रहते हैं, इस बारिश में हमने आगे न जाने का निर्णय लिया, क्योंकि बारिश तेज थी और भले ही छतरी पास हो पर भीग तो जाते ही हैं, और आज कुछ ऐसा था कि हम अपने को भिगो नहीं सकते थे।
त्वरित निर्णय लेते हुए फ़ोन पर बात करके आगे जाना निरस्त किया गया, क्योंकि बारिश होने के बाद सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था दम तोड़ देती है।
प्रवीण जी को जैसे ही फ़ोन किया उन्होंने कहा कि इस बारिश का जरूर कुछ आपके साथ संबंध है, जब भी हम लोगों के मिलने का होता है यह बारिश जरूर होती है और मिलना नहीं हो पाता है। पहले भी एक बार ऐसा हो चुका है।
तो यह था विवरण उस ब्लॉगर मीट का जो कि बैंगलोर में हो न सकी, जल्दी ही जब ब्लॉगर मिलेंगे तो उसका विवरण दिया जायेगा।
लगता है आप ब्लॉगर बैठकी हेतु घर से निकलने के पहले डायरेक्ट कड़ाही में भोजन करते होंगे तभी बारिश आ जाती है 🙂
या फिर मन में Veg-Kadai ऑर्डर देने का सोच रहे हों ब्लॉगर बैठकी के दौरान….क्या पता उसका ही असर हो गया हो 🙂
@ सतीश जी – कृप्या खाने को इसमें शामिल न हों, वैसे भी फ़ेसबुक पर मैं इसी कारण से बदनाम हो चला हूँ कि जो खाता हूँ, उसकी फ़ोटो डाल देता हूँ, मेरे एक मित्र ने तो यह तक कह दिया कि खाने के अलावा कुछ और सूझता है या नहीं, तो आजकल खाने के साथ साथ, फ़ोटो पर भी संयम रखा जा रहा है। कृप्या हमारे खाने के फ़ोटो के संयम और बातों पर रहम करें 🙂 ।
कड़ाही का तो क्या बतायें पुराना रिश्ता है, शादी में दिन भर मौसम साफ़ था और जैसे ही घोड़ी पर सवार हुए मूसलाधार बारिश थी, इसलिये कड़ाही के बारे में कुछ कहना नहीं चाहता । 🙂
मैंने सोचा ही था शाम में की आपको पिंग करूँ की कैसी रही मुलाकात..
बारिश तो कल भी और आज भी ज़बरदस्त हुई, और बारिश के कारण मैं भी कहीं निकल नहीं पाया आज..रूम में बैठा फिल्म देखते रहा केवल..
घर से छाते, बरसाती जैसे संसाधन लेकर चलना चाहिए था और एक निमंत्रण बारिशरानीमस्तानी को भी अवश्य देना चाहिए था।
अच्छा हो गया कि मीट नहीं हुयी, अन्यथा आप पर भी ब्लॉगर मीट आयोजित कर बंगलोर गुट बनाने का आरोप लग जाता! वैसे मीट में खाने का मेनू क्या था?
हम्म्म
मानसून में ब्लगारों को नहीं मिलना चाहिये 🙂
परेशान मत होइए। न होना भी एक होना तो है।
ईश्वर यत करोति शोभनम करोति…:)
बारिश आते ही आप के प्लान बदल जाते हैं बंगलोर में, शोध व प्रतिशोध का विषय है।
चलिए अगली मीट का इंतजार करते हैं
कोई बात नहीं मिलन में बाधाएं आती रहती है.