आरक्षण फ़िल्म को लेकर आजकल बहस चल रही है, आजकल न्यूज चैनल पर सबसे ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है। ब्रेकिंग न्यूज में आ रहा है कि मायावती ने फ़िल्म देखने की इच्छा जाहिर की और उत्तरप्रदेश में रिलीज पर रोक लगा दी है, तो प्रकाश झा ने मायावती को उत्तर दिया है कि ९ अगस्त से पहले प्रिंट देना उनके लिये संभव नहीं है।
इधर प्रकाश झा, अमिताभ बच्चन, मनोज वाजपेयी और दीपिका पादुकोण हर न्यूज चैनल पर टॉक शो भी कर रहे हैं और न्यूज रूम में जाकर आरक्षण फ़िल्म के बारे में बातें भी कर रहे हैं। महाराष्ट्र में पहले ही विरोध जारी है, कतिपय लोग कानून को अपने हाथ में लेकर आरक्षण फ़िल्म के पोस्टरों को फ़ाड़ रहे हैं, कालिख पोत रहे हैं।
इस तरह इस फ़िल्म को अब ज्यादा पब्लिकसिटी की जरूरत ही नहीं रह गई है और आरक्षण के विषय में लगभग हर विद्यार्थी परिचित है, यह प्रकाश झा का अपना एक दृष्टिकोण है और एक कलाकार के नाते उन्हें अपने दृष्टिकोण रखने का हक बनता है ताकि जनता भी उस दृष्टिकोण को देख सके। पर पता नहीं सरकार और राजनैतिक पार्टियाँ क्यों इतनी डरी हुई हैं, वैसे भी आरक्षण एक संवेदनशील मुद्दा है और इस पर सुलझे हुए तरीके से बहस करने की जरूरत है।
आरक्षण केवल फ़िल्म नहीं है एक मुद्दा है, और इसे स्वस्थ्य तरीके से लिया जाना चाहिये ना कि कुछ किराये के गुंडे लेकर जनता को गुमराह करना चाहिये।
आज के आरक्षण के नियमों से कम से कम सामान्य वर्ग के लोग तो खुश नहीं हैं, बस यह समझ लीजिये कि चिंगारी दबी हुई है, और हवा देने की देर है, पर इतना भी यकीन से कह सकते हैं कि एक फ़िल्म चिंगारी को हवा नहीं दे सकती, केवल एक नयी विचारधारा नौजवानों को दे सकती है, जिससे शायद सरकार भी प्रेरित हो।
खैर अब इंतजार है आरक्षण फ़िल्म का … फ़िल्म अच्छी ही होगी आखिर इतनी बड़ी स्टॉर कॉस्ट जो है ।
प्रकाश झा की तो पांचों घी में है इन आंख के अंधों के चलते 🙂
प्रतीक्षा रहेगी।
इसी पर तो दो दशकों से देश की राजनीति चल रही है.
इसी की जरूरत तो होती है फिल्म के निर्माता को..
फिल्म बकवास भी होत भी पहले सप्ताह का कलेक्शन तो भरपूर करेगी। हमें भी प्रतीक्षा रहेगी।
सब पब्लिसिटी स्टंट है।