बिस्तर पर लगभग गिरा ही था और नींद के आगोश में पूरी तरह से खो चुका था, चादर की वह सल वैसी ही रही, जैसी पहले थी, और बस वह सल के साथ बिस्तर पर ढ़ह चुका था। जब नींद आती है तो वह सोने की जगह नहीं देखती। एक समय था जब बिस्तर पर एक भी सल हो मजाल है, परंतु आज इतने वर्षों में जिंदगी के इतने सारे रंग और रास्ते देखने के बाद थकान इतनी बड़ चली है कि उसे उस सल का भी ध्यान नही रहा जिससे उसे हमेशा से चिढ़ रही है।
बचपन में उसने पढ़ा था कि भगवान राम या भरत अब याद नहीं, इतने नाजुक थे कि एक बार बिस्तर पर लंबा सा बाल पड़ा रह गया था तो उनके शरीर पर लाल रंग की रेखा उभर आई थी, खैर उभर तो इसलिये ही आई होगी कि वे भी भरपूर नींद के आगोश में थे। अगर तकलीफ़ होती तो उठकर बाल नहीं हटा देते।
इसलिये मानना है कि नींद जिंदगी का सबसे बड़ा नशा है, किसी के पास कितनी भी दौलत आ जाये परंतु वह बिना नींद के रह नहीं सकता, उसे नींद लेना बहुत जरूरी है।
कुछ लोग ऐसे होते हैं जो बिस्तर पर तभी जाते हैं जब नींद आ रही होती है और बिस्तर पर लेटते ही नींद के आगोश में खो जाते हैं, हमारे हिसाब से तो वे बहुत ही खुशकिस्मत लोग होते हैं, क्योंकि हमें ऐसा लगता है कि ऐसे लोग अपना पूरा काम निपटाने के बाद इतमिनान से चिंतन करके पूरी तरह सोने की मानसिक चेतना के साथ जाते हैं।
कुछ ऐसे लोग भी होते हैं जो कि बिस्तर पर तो चले जाते हैं क्योंकि सोने का समय हो गया है, परंतु नींद उनकी आँखों से कोसों दूर होती है, तरह तरह के नायाब नुस्खे अपनाते हैं नींद बुलाने के लिये परंतु नींद है कि आने का नाम ही नहीं लेती, हमें ऐसा लगता है कि ऐसे लोग दो प्रकार के हो सकते हैं एक वे जिनके पास कोई काम नहीं होता और थकान नहीं होती और दूसरे वे जिनको आज और कल दोनों की बहुत ज्यादा चिंता रहती है और उसी चिंता में घुले जाते हैं।
कुछ लोग उसके जैसे होते हैं, जो कि काम के बोझ के मारे होते हैं जो मजदूरों की तरह काम करते हैं और घर के लिये निकलने पर पूरी नींद में होते हैं, ये काम को बेहतरीन तरीके से करते हैं, परंतु इनके पास काम इतना होता है कि खुद के लिये सोचने का समय ही नहीं होता बस ये सोचते हैं कि नींद लेकर शरीर को रिचार्ज कर लिया जाये और अगले दिन के लिये ऊर्जा इकठ्ठी कर ली जाये।
अब वह बोल रहा था कि कम से कम बिस्तर की सल तो निकाल कर सोयेगा, नहीं तो उसे रात में २ बजे उठकर वह सल हटाना पड़ती है, मैं सोच रहा था क्या नींद में भी इतना अनुशासन जरूरी है ?
मानसिक शान्ति वाले लोग नींद भरपूर लिया करते हैं। जो अपने अन्दर उथल-पुथल रखते हैं उनसे नींद भाग जाती है।
हम तो इसी नशे में डूब जाते हैं, अवसर पाते ही।
अच्छी नींद जीवन के लिए बहुत आवश्यक है ..
नीन्द आने के बाद कौन सा अनुशासन बचेगा, देखते हैं।
मौत का एक दिन मुअय्यियन है फिर नींद क्यों नहीं आती रात भर ?
आज तो अपने नींद पर हमारी नींद ही उड़ा दी 🙂
नींद पर एक सम्पूर्ण और शानदार आलेख।
आज के जीवन में इतनी उहापोह तो हो ही गयी है की गहरी नींद न आने वालों की ही संख्या ज्यादा है …..
ईद मुबारक .बेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति .जो लोग बिस्तर में करवट बदलतें हैं उनके लिए दिल के दौरे के खतरे बढ़ जातें हैं .एक एक्टिव होबी और काम करते रहना कुछ नित नया करते सीखते रहना अच्छी नींद की आश्वस्ति तो है ही बाकी कईयों को जीवन की लय टूटने पर नींद नहीं आती .ज़रूरी है लय बनी रहे कैसे भी किसी विध भी .अरविन्द जी भी ठीक कहतें हैं -मौत का एक दिन मुऐयन है ,नींद क्यों रात भर नहीं आती ?
बिस्तर की सलवटों से पूछ उसकी बेकरारी
काटी हो रात जिसने करवट बदल बदल के
अलग अंदाज का लेख, बहुत सुंदर
जब भी आती है तो ऐसी आती है कि आपकी ऐसी बातें पढकर ताज्जुब ही होता है।
आपकी यह पोस्ट आज के 'जनसत्ता' के 'समान्तर' में आई है,बधाई !
very nice article…
nind waisi hi ani chahiye….
so ke uthne ke bad admi bilkul taiyar rehta hai new challanges kene ke liye