लिव-इन रिलेशनशिप मतलब बराबर का खर्चा

आजकल लिव-इन रिलेशनशिप का फ़ंडा कुछ ज्यादा ही जोर पकड़ता जा रहा है, अभी हाल ही में एक परिचित से बात हो रही थी, तो उसने बताया कि उसके साथ काम करने वाली एक लड़की से उसकी बात हो रही थी।
उस लड़की ने बताया कि वह पिछले दो साल से लिव-इन रिलेशन में रह रही है और साथ ही होस्टल का किराया भी भरती है, जब भी लड़की के घरवाले बैंगलोर मिलने को आते हैं, वह होस्टल चली जाती है और उनके वापिस जाते ही वह वापिस उस फ़्लैट में शिफ़्ट हो जाती है। तो उसने पूछा कि शादी क्यों नहीं कर लेते हो जब दो वर्षों से लिव-इन में रह रहे हो, उसका जबाब था कि जब जिंदगी बिना टेन्शन के चल रही है और अभी शादी की जरूरत भी महसूस नहीं हो रही तो शादी क्यों कर ली जाये।
फ़िर उससे पूछा कि खर्चा कैसे करते हो, तो वह बोली कि तुम दोस्त लोग कैसे फ़्लैट शेयर करके रहते हो और खर्चा बांटते हो बस वैसे ही हम अपना खर्चा बांटते हैं, हरेक खर्च में हम दोनों बराबर के हिस्सेदार होते हैं, शादी नहीं होने के बाबजूद शादीशुदा जिंदगी का लुत्फ़ उठाते हैं, घर के हर काम में भागीदारी करते हैं।
लड़का और लड़की दोनों उत्तर भारत के रहने वाले हैं, और दोनों ही संस्कारी परिवार से हैं। परंतु आजकल के खुलेपन में शायद अपनी मर्यादाओं को भुल गये लगते हैं, उनकी सोचने की दिशा बदल गई है।
हम तो यह सोचते हैं कि अगर लिव-इन में रहना जरूरी है तो घर वालों से पर्दा क्यों, जो भी करो खुलेआम करो । किसी से डरने की जरूरत ही क्या है ?

29 thoughts on “लिव-इन रिलेशनशिप मतलब बराबर का खर्चा

  1. खुलेआम! हम बर्दाश्त कर पायेंगे क्या ?

    खुलेआम न करने के कई कारण हो सकते हैं…
    (1) माता-पिता बर्दाश्त नहीं कर पायेंगे और जानकर दुःखी हो जायेंगे। वे सोचते होंगे कि क्यों उनको दुःख देना! जब तक चलता है चलने दो।
    (2) माता-पिता का विरोध उनकी मस्त चल रही जिंदगी में परेशानी पैदा करेगी…अभी बहुत तरक्की करनी है..शादी तो हर्गिज नहीं कर सकते।
    हम कहते जरूर हैं कि जो भी करो खुलेआम करो लेकिन सच यही है कि अपने मान सम्मान में जरा भी चोट लगती है तो बर्दाश्त नहीं कर पाते। हम चली आ रही एक व्यवस्था के अनुरूप सुखी जीवन की कल्पना करते हैं।
    मैं इनका समर्थन नहीं कर रहा लेकिन यह भी सच है कि इनका विरोध करना उचित है या अनुचित यह भी नहीं समझ पा रहा। क्योंकि…

    सही गलत है, गलत सही है
    दुःख का कारण सिर्फ यही है।

    सुख के अपने अपने चश्में
    दुःख के अपने अपने नगमें
    दिल ने जब जब जो जो चाहा
    होंठों ने वो बात कही है।

    सही गलत है,गलत सही है।
    …………………
    गालिब ने लिखा है..

    आगे आगे देखिए होता है क्या
    इब्तिदा-ए-इश्क है रोता है क्या।

  2. भारत में ये फंडा नया नया है इसलिए ही तो आज की युवा पीढ़ी यूँ छुप छुप के इस फंडे को अपना रही है कि कहीं माँ-बाप को पता चल गया तो ये मौज-मस्ती बंद न हो जाए | वैसे भी ये पश्चिम की देन है जिस भारत की युवा पीढ़ी बड़ी तेजी से अपना रही है |

  3. आपके ब्लॉग की गूगल पर पेज रैंकिंग 3 देखकर बहुत खुशी महसूस हुई | हमें भी इसके कोई टिप्स दें|

  4. वैसे ऎसे लोग आज नही लेकिन एक उम्र के बाद पछताते हे, लेकिन उस समय तक इन से इन के अपने ओर बेगाने सभी बहुत दुर हो जाते हे … ओर उस समय बहुत देर हो चुकी होती हे, वैसे भी नकल तो हमेशा बुरी होती हे, यह भी पश्चिम की नकल हे बिना अकल के….

  5. नयी पीडी है… नए नए आइडिया हैं…

    आज आप नाक भौं सिकोडोगे.. कल यही सब सामान्य दिखेगा..

    व्हाह्त एन आइडिया सर जी.

  6. यह नाम भी क्‍या है – लिव इन रिलेशनशिप? अब जब कोई रिलेशनशिप ही नहीं है तो फिर लिव इन क्‍यों है? यह तो होना चाहिए था कि लिव विदाउट रिलेशनशिप। बड़ा अजीब सा घालमेल है। कुल मिलाकर परिवार और विवाह संस्‍था को समाप्‍त करना है। जिससे कन्‍याओं की घटती संख्‍या के कारण किसी को कोई फर्क ना पड़े।

  7. अजित जी की टिप्पणी से पूर्णत: सहमत हूँ …..ये बिना किसी रिश्ते और जवाबदेही के रहना है ….

  8. मेरे ख्याल से संस्कारों में थोड़ी कमी और अपने को कुछ अलग दिखाने का एक झूठा प्रयास इससे ज्यादा क्या कहें ?

  9. संस्कार स्थाई चीज नहीं है।
    वे समय के साथ बदलते हैं।
    लगता है विवाह जिस रूप में वर्तमान में है लोगों को अनावश्यक बोझ लगने लगा है। यह गंभीर सामाजिक विषय है जिस पर गंभीर विमर्श की आवश्यकता है, लेकिन नहीं हो रहा है।

  10. एक ऐसे कपल को मैं खुद जानता हूँ जो लिव-इन में रहते हैं 🙂

  11. आदमी औरत के रिश्ते कॉम्प्लीमेण्ट्री से सप्लीमेण्ट्री की ओर बढ़ रहे हैं।

  12. live and let the people live…..
    aj ke time me log bolte hai ladkiyan kisi se kam nahi unhe bhi protsahan do per jo ladkiyan age badh gai hain kahi na kahi unko family, culture ya society ki wajah se piche mudna padta hai. Ye galat nahi hai kyonki pariwar se hi hum hai.. but kya pariwar me ladke ladkiton ko barabar ki manyta mil pati hai?? nahi..
    aj bhi ladkiyon ko kaha jata hai jab tak yaha ho humare hisab se reh lo jab shadi ho jayegi to jo ji me aye kerna.. aur shadi ke bad in laws bolenge aise hi kerna tha to apne ghar me rehti..
    shadi ke pehle maa-papa, shadi ke bad in-laws & hsbnd.. fir ladkiyon ki life kaha hai…
    isiliye aj ki ladkiyan samajhdar ho gai hain aur sochti hain hum sabko khush rakh sakte hain to khud ko kyon nahi.. lakiyon ko apne bare me khud hi sochna hota.Kyonki sab unse expect kerte hai either parents, family, boy friends, society or in-laws koi unke bare me nahi sochta..
    Likewise boys ke sath bhi yahi panga hai…
    parents unpe itna paisa spent ker chuke hote hai padhane likhane me wo bhi dekhna hai aur boys ki apni life bhi to hai… ghar walon se bhi pyar hai aur kisi khas se bhi.. aur dono(girls & boys) ki problem hai ki parents ko dukhi nahi ker sakte to afterall every thing should be managed…
    there are so many things but comment would be so long…
    next time…

  13. Isliye is bat per itna pareshan honi ki jarurat nahi hai aj ke bachhe bas sab kuch manage kerna sikh gaye hain..
    aur sabhi aisa kerte bhi nahi hai.. wahi kerte hain jo bahot committed hai for each other..
    But girls must be aware for this it may more or less spoils their lives somehow…

  14. आजकल ये सामाजिक प्रगति की निशानी है जिसके विरुद्ध विचार रखने पर पिछडा, सामंतवादी, खाप समर्थक आदि उपाधियां मिल सकती हैं, इसलिए हम कुछ नहीं कहते|
    ऐसे रिश्तों के लिए waiver of future allegations फॉर्म भरना mandatory होना चाहिए ताकि दो चार साल के बाद कोई पक्ष दुसरे पर शोषण का आरोप न लगा सके| अखबारों में ऐसी ख़बरें देखी हैं कि live-in relationship में रहते हुए भी बात ह्त्या तक पहुंची है|

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *