कंपनी, जनरल इंश्योरेन्स ऑफ़ इंडिया, ओरियेंटल इंश्योरेन्स कंपनी, नेशनल इंश्योरेन्स कंपनी इत्यादि ।
तंबाखू से होने वाले कैंसर से होने वाली मौत के आंकड़े भी चौंकाने वाले हैं, हर वर्ष कैंसर से मरने वाले लोगों की तादाद हमारे पड़ोसी मुल्क के द्वारा आतंकवाद में होने वाली मौतों से कहीं ज्यादा हैं। इसका मतलब ? और दूसरी तरफ़ सरकार का ही स्वास्थ्य विभाग जनजागृति के नाम पर विज्ञापन और इलाज पर करोड़ों रूपया फ़ूँक रही है।
गैरी लॉयर का एक प्रसिद्ध गाना था – Cigarette in my hand यह देखिये –
The very famous antismoking campaign from ‘Bombay hospital’
I remember the time, I had my first hook
Try it just once, friends gently provoked
Friends told me yes, light a ciggy for a start
you would like the fire in a pretty girls laugh
With a cigarette in my hand I felt like a man
cigarette in my hand I felt like a man
My hero look so right
with a cigarette on his lips
Could I go wrong if I follow his tips
On the job I learnt a thing or two
cigarette had a place in every work day too
cigarette started every hour of my day
couldn’t get out of the habit, no way
With a cigarette in my hand I felt like a man
cigarette in my hand I felt like a man.
In moments that were a little a lonesome,
cigarette and I were happy twosome
cigarette slowly became my crunch
energy and stamina are lost very much
until one day I couldn’t on my feet
smoke made me feel real dead meat
then I realized I have paid a price.
With a cigarette in my hand, I was a dead man.
विचारणीय़ पोस्ट लिखी है। ….यहाँ तो सब कुछ जान कर भी लोग अंजान बने रहते हैं…कोई उम्मीद नही कि किसी पर कोई असर होगा…
आई टी सी के शेयर तो मेरे पास भी हैं।
सिगरेट आपकी सेहत के लिये हानिकारक है।
आपने नई जानकारी नहीं दी। निवेश करनेवाली जिन-जिन कम्पनियों के नाम आपने लिखे हैं, वे सब अपने निवेश पोर्टफोलियो में ये सारी जानकारियॉं बरसों से (सम्भवत:, निवेश के पहले ही दिन से) देती चली आ रही हैं।
बीमा कम्पनियॉं इस कम्पनी में निवेश करें या नहीं या कि इनका निवेश करना अपने व्यवसाय की नैतिकता के अनुकूल है या नहीं और यह भी क्या इस नैतिकता का पालन करने के लिए इन्हें बाध्य किया जाना चाहिए या नहीं – ये तमाम बातें व्यापक विमर्श की और इस विमर्श में व्यापक भागीदारी की मॉंग रखती है क्योंकि इन कम्पनियों के ग्राहकों के व्यापक आर्थिक हित भी इससे जुडे हैं। यह नैतिकता और व्यावहारिकता का द्वद्व है। व्यक्तिगत स्तर पर मैं इस निवेश के विरुध्द हूँ।
मुद्दा तो बहुत अच्छा है किन्तु इसे इतने सरसरी तौर पर निपटाना मुझे विवेकसम्मत नहीं लगता।
देखिये सरकारी नीतियाँ बड़ी अजब गजब हैं. हर तरफ कमाई के लिए ही जुगत हो रही दिखती है. मध्य प्रदेश में तम्बाखू वाले गुटके पर पहली अप्रेल से प्रतिबन्ध लगा है. अब लोग सादा गुटका खरीदते हैं और तम्बाखू अलग से मिलती है. इस प्रक्रिया में लोगों ने गुटका खाना तो नहीं छोड़ा हाँ उनके खर्चे बढ़ गए. (बढ़ा दिए गए). अब बताईये फायदा किसको हो रहा है.
मेरा विचार है कि हर्बल सिगरेट बनाने वाली कंपनियों को विज्ञापन की इज़ाज़त देनी चाहिए ताकि वे लोगो कि पहुच में आयें. आजकल टीवी पर एक विज्ञापन आ रहा है कि घर में सिगरेट पीने पर बच्चों पर क्या असर होता है. सरकार को स्वयं ये बात समझनी चाहिए. परमाणु हथियारों पर रोक लगाने कि बात सभी करतें हैं लेकिन ये जो सिगरेट है इस पर रोक कि मांग कोई देश नहीं करता. कालेजों में तो स्टुडेंट खुले आम सिगरेट पीते हैं.