अन्ना का अनशन चल रहा है, सरकार, राजनैतिक पार्टियाँ और मीडिया अन्ना को मिल रहे समर्थन को कम कर आंक रहे हैं। और देश की जनता को चिल्ला चिल्ला कर बता रहे हैं, देखा अन्ना के आंदोलन में कोई दम नहीं है, अप्रत्यक्ष रूप से यह कह रहे हैं, “देख लो, सारे ईमानदारों, तुम सबकी हम भ्रष्टाचारियों के सामने कोई औकात नहीं है”।
मीडिया भी निष्पक्षता से खबरें नहीं बता रहा है, सब के सब मिल चुके हैं, केवल अन्ना एक तरफ़ है और दूसरी तरफ़ ये सारे बाजीगर। इन बाजीगरों को लग रहा है कि इन लोगों ने जैसे अन्ना और जनता को हरा दिया है। पर क्या इन बाजीगरों को पता नहीं है कि जनता से वे हैं, जनता उनसे नहीं।
जनता सब देख रही है, समझ रही है, वैसे समझदार लोगों के लिये अभी कुछ महीनों में जो चुनाव हुए हैं, वो ही जनता की सोच और ताकत समझने के लिये काफ़ी हैं।
देखते हैं कि ये सारे कब तक अपना पलड़ा भारी समझते हैं, क्योंकि असली ताकत तो हमारे पास ही है, ठीक है कुछ लोगों की ताकत बिकाऊ है परंतु सरकार बनाने जितनी ताकत खरीदना असंभव है।
देखो कि अगली सरकार जनता की ताकत से बनती है या सरकार की खरीदी हुई ताकत से।
वैसे सरकार यह ना समझे कि अन्ना वहाँ जंतर मंतर पर अकेले हैं, अन्ना के समर्थन में घर पर भी बहुत सारे लोग हैं जो अन्ना के साथ हैं बस जंतर मंतर पर नहीं हैं।
वैसे सरकार यह ना समझे कि अन्ना वहाँ जंतर मंतर पर अकेले हैं, अन्ना के समर्थन में घर पर भी बहुत सारे लोग हैं जो अन्ना के साथ हैं बस जंतर मंतर पर नहीं हैं।
सही कहा है ….. सरकार मुगालते में न रहे …
इस बार सारे मुगालते मिट जायेंगे।
कहीं वातावरण में कोई हिचक है..
कभी कभी आप के बारे में नकरात्मक खबरे आप का कितना फायदा कर देती है इसी का उदाहरण देखा टीवी पर, परसों तक जो टीवी चैनल चीख रहे थे की अन्ना का आन्दोलन फ्लाप हो गया , अन्ना का जादू ख़त्म हो गया , अब लोग अन्ना के साथ नहीं आयेंगे , अन्ना के आन्दोलन से भीड़ नदारत, वो सारे टीवी चैनल कल से अन्ना के आन्दोलन में भीड़ को दिखा रहे है | असल में उन नकरात्मक खबरों ने उन लोगों में जोश भर दिया जो अभी तक काम , आलस जैसे अनेको कारण से बाहर निकल कर इस आन्दोलन से नहीं जुड़ रहे थे वो बाहर आ गये । यदि उनके बारे में कोई भी खबर ही नहीं दिखाई जाती तो शायद लोगों में ऐसा जोश नहीं आता ,यहाँ पर अन्ना के अन्दोअलन से जुडी नकारात्मक खबरों ने उन्हें फायदा पहुंचा दिया ।
जब-जब राजनीतिकों ने जनता की आकांक्षाओं की अनदेखी की है और उनकी ताकत को कम करके आंका है, उन्हें मुंह की खानी पड़ी है।
आपकी यह बात तो सच है कि सारी ताकत हमारे ही पास है किन्तु आपकी अन्य बातें वैसी ही नहीं हैं जैसा आप सोच रहे हैं।
जनता हनुमान होती है। ताकत का एहसास कराने के लिये कोई जामवंत चाहिये होता है जनता को!