जब से सऊदी आये हैं तब से भारतीय स्वाद बहुत याद करते हैं, भारतीय खाना तो जरूर मिल जाता है फ़िर भी बिल्कुल वह स्वाद मिलना बहुत मुश्किल है। यहाँ पर दक्षिण भारतीय स्वाद तो मिल जाता है, परंतु उत्तर भारतीय स्वाद मिलना मुश्किल होता है।
यहाँ पर जो थालियाँ भी उपलब्ध होती हैं, उसे दक्षिण भारतीय और उत्तर भारतीय व्यंजनों को मिलकर बनी होती हैं। परंतु फ़िर भी दक्षिण भारतीय व्यंजन ज्यादा होते हैं। उत्तर भारतीय में केवल दाल होती है या यह भी कह सकते हैं कि दाल उत्तर भारतीय तरीके से बनी होती है। मसाला ठीक ठाक होता है।
रोटी जो है वह बिल्कुल मैदे की होती है और गेहूँ की रोटी ढूँढ़ना बहुत ही मुश्किल काम है। चावल बासमती या फ़िर दक्षिण में खाया जाने वाला मोटा केरल का चावल होता है।
यह तो दक्षिण भारतीय रेस्टोरेंट की बातें हैं, यहाँ पर लगभग आसपास के देशों के रेस्ट्रोरेंट भी उपलब्ध हैं, जैसे पाकिस्तानी, अफ़गानी, फ़िलिपीन्स, बांगलादेशी, इजिप्ट इत्यादि..। खाने में पाकिस्तानी स्वाद कुछ भारतीय स्वाद के करीब है, यहाँ मसाला अच्छा मिलता है, बस तेल या घी ज्यादा होता है।
यहाँ मिनी भारत अल-शर्फ़िया के इलाके में पाया जाता है, जहाँ भारत ही नहीं सभी आसपास के देशों की दुकानें हैं और ऐसे ही रेस्टोरेंट भी बहुत सारे हैं, हर ८ – १० दुकान के बाद एक रेस्टोरेंट मिल ही जाता है, कुछ रेस्टोरेंट जिसमें हम जाते हैं जो कि दक्षिण भारतीय हैं, चैन्नई दरबार, इंडिया गेट, मेट्रो, विलेज (मलयाली) कुछ पाकिस्तानी रेस्तरां हैं जैसे कि निराला, मक्काह इत्यादि.. निराला की सबसे अच्छी चीज लगी हमें रोटी, तंदूरी रोटी कम से कम १२ या १५ इंच के व्यास की रोटी होगी और बिल्कुल नरम, कम से कम दो रोटी तो खा ही जाये। यहाँ की कुल्फ़ी भी बहुत अच्छी है । बस यहाँ सब्जियों और दाल में तेल बहुत मिलता है तो पहले हम तेल निकाल देते हैं फ़िर ही खाना शुरू करते हैं, जो कुछ लोग कैलोरी कान्शियस होते हैं, वे लोग तो पहली बार को ही आखिरी बताकर निकल लेते हैं। पर यहाँ का स्वाद वाकई गजब है। साथ ही पाकिस्तानी वेटरों की मेहमनानवाजी देखते ही बनती है।
ऐसे ही शाम को फ़िलिस्तीन स्ट्रीट जहाँ कि हम मैरियट होटल में रहते हैं, वहाँ तो खाना खाते नहीं हैं कारण है कि इतना महँगा खाना जो हम अफ़ोर्ड नहीं कर सकते, तो पास ही होटल बहुत सारे हैं, पर कुछ ही होटलों पर शाकाहारी खाना भी उपलब्ध होता है। पास ही एक अफ़गानी होटल है जिससे दक्षिण भारतीय सहकर्मी चावल लेकर खाते हैं। पास ही एक इजिप्शियन रेस्तरां भी है जहाँ अलग तरह की करियों के साथ चावल मिलते हैं, हमने भी एक बार खाकर देखा था, कभी कभार खा सकते हैं, एक मलयाली रेस्त्रां है रेजेन्सी, जहाँ डोसा वगैरह के साथ आलू गोभी और मिक्स वेज सब्जी मिल जाती है साथ में रोटी या केरल परांठा खा सकते हैं। अभी एक और नया रेस्त्रां ढूँढ़ा है लाहौर गार्डन जैसा कि नाम से ही पता चलता है यह एक पाकिस्तानी रेस्त्रां है परंतु खाना अच्छा है। कलकत्ता रोल्स पर भी शाकाहारी रोल मिल जाता है साथ में ज्यूस ले सकते हैं। नाम से कलकत्ता है परंतु है बांग्लादेश का।
यहाँ अधिकतर रोटियाँ करी के साथ फ़्री होती हैं, केवल करी का बिल ही लिया जाता है, वैसे ही यहाँ सऊदी के खुबुस बहुत प्रसिद्ध हैं, तंदूर में बनाये जाते हैं। हमने भी खाकर देखा मैदे के होते हैं, रोज नहीं खा सकते।
मांसाहारी लोग ध्यान रखें पहले ही पूछ लें कि क्या आर्डर कर रहे हैं, क्योंकि यहाँ बीफ़, लेम्ब और मीट बहुतायत में खाया जाता है।
बहुत खाने की बातें हो गईं, और शायद इससे किसी को तो मदद मिल ही जायेगी, खाने के लिये सऊदी बहुत अच्छी जगह है और विशेषत: उनके लिये जो कि मांसाहारी हैं, उनके लिये कई प्रकार के व्यंजन मिल जायेंगे।
हम ठहरे शाकाहारी तो हमारे लिये सीमित संसाधन मौजूद हैं।
अपना पेट तो भर लिया! हमारी जान काहे जलाते हो! 😉
हम तो केवल ज्ञान बड़ा रहे हैं ।
शाकाहारियों के लिए वहां Lebanese Food भी एक और विकल्प है.
हाँ सुना जरूर है परंतु अभी तक खाया नहीं है, अगली ट्रिप में ढूँढ़ते हैं ।
शाकाहारियों को भोजन ढूढ़ने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है।
हमारे एक मित्र हैं वे पिछले १० वर्षों से भारत से बाहर ही रहते हैं और पूर्ण शाकाहारी, वे फ़ल के अलावा कुछ और खाते ही नहीं हैं ।
baaton se bhi pet bhara ja sakta hai:)
हमारा तो नहीं भरता 🙂
युद्धिष्ठिर ने यक्ष को प्रवास के बारे में बताते हुए मध्य-पूर्व के देशो का ही ध्यान किया होगा 🙂
यह भी हो सकता है ।
वैसे आज एक दोस्त से पता चला है कि हरारे में भी नॉनवेज समोसा मिलता है ।
परदेस कलेस नरेसन को।
हम भी निशांत की तरह कुछ टिपियाना चाह रहे थे लेकिन फ़िर याद आया कि जलन का भाव अच्छा नहीं इसलिये मटिया दिये।