दो वर्ष पहले मैं मुंबई से बैंगलोर शिफ़्ट हुआ था, नयी कंपनी नया माहौल था, अपने सारे बैंको, क्रेडिट कार्ड और जितने भी जरूरी चीजें थीं सबके पते भी बदलवाये, मोबाईल का नया पोस्टपैड कनेक्शन लिया। बस इसके बाद से एक परेशानी शुरू हो गई।
बैंगलोर शिफ़्ट हुए २ महीने ही हुए थे और एक दिन हमारा मोबाईल बजने लगा, ऑफ़िस में थे, बात हुई, सामने से बताया गया कि हम कोर्ट पुलिस से बोल रहे हैं और आपके खिलाफ़ हमारे पास समन है, क्योंकि आपने बैंकों के ऋण नहीं चुकाये हैं, हमने पूछा कि कौन से बैंकों के ॠण नहीं चुकाये हैं, क्या आप बतायेंगे ? हमें बताया गया कि हमने कुछ साल पहले बहुत सारी बैंकों से बैंगलोर से ऋण लिये हैं और उसके बाद चुकाये नहीं गये हैं। हमने कहा कि हमारा नाम आप सही बता रहे हैं परंतु हम वह नहीं हैं, जिसे आप ढूँढ़ रहे हैं, फ़िर उन्होंने अपना पता, कंपनी का नाम मुंबई का पुराना पता, जन्मदिनांक आदि पूछा और कहा कि माफ़ कीजियेगा “आप वे व्यक्ति नहीं हैं !!” ।
फ़िर लगभग एक वर्ष निकल गया अब HSBC बैंक से कोई सज्जन हमारे घर पर आये और अभी तक वे लगभग ३ बार आ चुके हैं और कहते हैं कि कुछ ३६,००० रूपये क्रेडिट कार्ड के बाकी हैं, हमारी घरवाली ने तुरत कहा कि पहली बात तो हमारी आदत नहीं है किसी बाकी की और दूसरी बात HSBC में कभी हमने कोई एकाऊँट नहीं खोला और क्रेडिट कार्ड नहीं लिया। और वह व्यक्ति तीनों बार चुपचाप चला गया।
अब आज ABN AMRO RBS से घर के नंबर पर फ़ोन आने लगे कि आपने बैंक से ७ लाख ७२ हजार रूपये का लोन लिया था जो कि अभी तक बकाया है,
हमने पूछा – “यह लोन हमने कब लिया है ?”
जबाब मिला – “यह लोन आपने २००८ में लिया है ?”
हमने पूछा – “क्या आप बता सकते हैं कि यह लोन किस शहर से लिया गया है ?”
जबाब मिला – “बैंगलोर से लिया गया है”
हमने पूछा – “क्या आपने वेरिफ़ाय किया है कि मैं ही वह व्यक्ति हूँ, जिसने लोन लिया है ?”
जबाब मिला – “विवेक रस्तोगी ने लोन लिया है”
हमने कहा – “इसका मतलब यह तो नहीं कि मैं ही वह व्यक्ति हूँ जिसने लोन लिया है ।”
कुछ जबाब नहीं मिला ।
हमने कहा आप एक काम करें हमें बकाया का नोटिस भेंजे हम आपको कोर्ट में निपटेंगे।
तो सामने बैंक से फ़ोन रख दिया गया ।
अब हम चाहते हैं कि यह मामला बैंकिग ओम्बडसमैन के सामने रखा जाये और इन बैंकों से पूछा जाये कि किसी भी समान नाम के वयक्ति को परेशान करने का इनके पास क्या आधार है ? क्योंकि इस प्रकार के फ़ोन आना और किसी व्यक्ति का घर पर आना कहीं ना कहीं मानसिक प्रताड़ना है।
हम भी बैंकिंग क्षैत्र में पिछले १४ वर्षों से सेवायें दे रहे हैं, और जहाँ तक हमारी जानकारी है उसके अनुसार हमेशा बकाया ऋण वालों को हमेशा पैनकार्ड या उसके पते की जानकारी वाले प्रमाण से ट्रेस किया जाता है। क्या इन बैंकों (HSBC & ABN AMRO RBS) के पास इतनी भी अक्ल नहीं है कि पहले व्यक्ति को वेरिफ़ाय किया जाये। वैसे हमने अभी सिबिल (CIBIL) की रिपोर्ट भी निकाली थी, क्योंकि हम एक लोन लेने का सोच रहे थे, तो उसमें अच्छा स्कोर मिला। ये बैंकें सिबिल (CIBIL) से हमारा रिकार्ड भी छान सकती हैं।
हम इन दोनों बैंकों (HSBC & ABN AMRO RBS) को चेतावनी देते हैं कि अगर अब हमारे पास या तो कोई फ़ोन आया या फ़िर कोई व्यक्ति घर पर बिना हमें वेरिफ़ाय करे आया तो हम इनकी शिकायत बैंकिंग लोकपाल से करने वाले हैं, और न्यायिक प्रक्रिया अपनाने पर बाध्य होंगे।
सुरेन्द्र शर्मा जी की ’कालू’ वाली कविता याद आ गई:)
विवेक जी, वैसे तो आप ये काम कर ही चुके होंगे लेकिन शायद औरों को कुछ लाभ हो इसलिये बता रहा हूँ कि आपको जिस बैंक के नाम से फ़ोन आया है, वहाँ लिखित में शिकायत करनी चाहिये। वहाँ से एक महीने में आपको संतोषजनक जवाब न मिले तभी ’बैंक ओंबड्समेन’ में आपके शिकायत करने का लाभ होगा। वैसे संभावना यही है कि आपको वहाँ मूव नहीं ही करना पड़ेगा।
एक और बात याद आई,सात आठ साल पहले लैंडलाईन पर एक बार हमें भी ’करे कोई भरे कोई’ मार्का ऐसा ही फ़ोन आया था। थाने से, … के मामले में, अभियुक्त का नाम कुछ और बता रहे थे लेकिन रेकार्ड में नंबर मेरा था। सोचा था कभी अपने ब्लॉग पर ही बताऊँगा कभी लेकिन कुछ सोचकर ही नहीं लिखा कभी।
संजय जी,
सबसे पहले उन्हें ही ईमेल किया है, देखते हैं कि समस्या का समाधान होता है या नहीं ?
You should complain to banking ombudsman on this
अब तो ऐसा होने के लिए उन सबको सबको तैयार रहना चाहिए जो ऐसे उपकरण अपनाते हैं। इसीलिए मुझे अपनी देशी, सरकारी, पारम्परिक बैंके बेहतर लगती हैं – वहॉं कई लोग ग्राहकों को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं और चिन्ता भी करते हैं।
इसी के समानान्तर, मौजूदा माहौल के प्रभाव से विचार आया कि ऐसा यदि पुलिस ने या फिर किसी सरकारी विभाग ने किया होता तो आपके-हमारे तेवर क्या होते?
मजे की बात तो यही रही कि पुलिस से ही पहला फ़ोन आया था, परंतु वे संतुष्ट हो गये और ये दोनों बैंकें बिना जाँच परख के परेशान करे जा रही हैं।
मेरे पास भी एक पत्र एक बैंक का आया था जिसमें ट्रैक्टर या शायद किसी और चीज का लोन लौटाने की बाबत नोटिस था। मैंने कोई जवाब नहीं दिया,खैर दोबारा कोई फोन या पत्र नहीं आया।
कोर्ट के नाम से उनकी भी झुरझुरी छूटती है।
जब बैंक वाले ही बैंको से परेशान है तो ओरों का क्या कहें 🙂
प्रभावी लेखन,
जारी रहें,
बधाई !!
दिल्ली पुलिस ने तो बाकायदा एक सेल्ल खोला है जहाँ इस तरह की हरकतों के ख़िलाफ़ रपट लिखाई जा सकती है
एक अच्छा कदम …
विवेक तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं।
ताज्जुब है भी तक किसी ने अमेरिका के किसी दीवालिया हुई बैंक से फ़ोन नहीं किया कि आपके कारण बरबाद हो गये हम। 🙂