अब हमारे मित्र ने कहा – “एक पुराने दोस्त हैं उन्होंने हमे एल आई सी का एक यूलिप (ULIP) का प्लॉन बेचा था और हमसे कहा था कि भाई इसमें तुम ३ लाख ५० हजार निवेश करो और तुमको पाँच वर्ष बाद इसके ७ लाख रूपये मिल जायेंगे, अब उस प्लॉन को लिये हुए ३ वर्ष से ज्यादा हो गये हैं और मेरे फ़ंड की आज की कीमत जो है वह २ लाख ६८ लाख रूपये हो गई है, अब हमारे मित्र कहते हैं कि तुम इस पैसे को यहाँ से निकाल लो और कहीं और लगा लो। मैंने तो उसको बहुत गाली दी कि तुमने तो बहुत विश्वास से कहा था कि ५ वर्ष में पैसे दोगुने हो जायेंगे, पर हुए नहीं और कम ही हो गये, अब तो जितने रूपये मैंने निवेश किये थे उतने भी नहीं बचे।
हमने कहा तुम्हारे साथ भी मिस-सेलिंग का केस हुआ है, और अधिकतर ऐसा अपने परिचित ही करते हैं जो कि तुम्हें आराम से बरगला कर ऐसी पॉलिसियाँ बेच देते हैं, ऐसे लोग हमारे पास भी आये थे, हमने उनसे इस पॉलिसी पर ऐसे ऐसे सवाल पूछे कि वे अपने बगलें झाँकते नजर आये। और हमने उनको यह भी समझा दिया कि आप लोग केवल अपने फ़ायदे के लिये यह पॉलिसी बेच रहे हो, ना कि हमारे फ़ायदे के लिये।
अगर आप वाकई हमारे हितैषी होते तो हमें यूलिप लेने की सलाह ही नहीं देते और बताते कि आप सावधी बीमा (Terma Insurance) लें और बाकी के पैसे जो कि आप यूलिप में प्रीमियम के रूप में जमा कर रहे हैं वह कहीं और निवेश करें, आप बताते कि निवेश और बीमे को आपस में मिलायें नहीं। क्योंकि निवेश और बीमा अगर दोनों एक साथ हों तो दोनों ही काम ठीक से नहीं होते।
हमने अपने मित्र से पूछा कि बताओ कि तुम्हारा परिवार को तुमने कितने रूपये से सुरक्षित कर रखा है, मतलब कि तुमने अपने अपना कितना बीमा करवा रखा है, हमारे मित्र ने कहा हमने लगभग ४० लाख रूपये का बीमा करवा रखा है, हमने कुछ कहा नहीं क्योंकि हमें पता है कि उन्होंने वाकई में अपने बीमा की कोई गणना की ही नहीं है, क्योंकि अगर २ लाख का बीमा आप लगभग २८ वर्ष की आयु में एल आई सी में लेते हैं तो अंदाजन उसकी किश्त ही १५ हजार के आसपास आती है, जिसमें केवल २ लाख का बीमा मिलता है, और वे हमें ४० लाख का बीमा बता रहे हैं तो २८ वर्ष की आयु के हिसाब से भी गणना की जाये तो उनकी प्रीमियम ही लगभग ३ लाख रूपया सालाना होनी चाहिये। जो कि व्यवहारिक रूप से संभव ही नहीं है।
हमने फ़िर उन्हें अपनी एक पुरानी पोस्ट पढ़वाई –
बीमा और निवेश अलग अलग हैं, समझिये.. | जब उन्होंने यह पोस्ट पढ़ी तो बोले अरे भाई यही तो हमारी समस्या है, और तुमने कितने आसान रूप से इसका हल बता दिया।
हमने कहा कि अगर तुम १५००० रूपये का सावधि बीमा (Term Insurance) ले लो तो यह मान लो कि तुम अपने परिवार को लगभग ५० लाख की सुरक्षा दे सकते हो, और बाकी का पैसा वाकई में निवेश करें।
सही कह रहे हैं आप. किन्तु जो यूलिप न लेकर साधारण बीमा भी लेते हैं वे भी जीवित रहने की स्थिति में वापिस मिलने वाले पैसे के लालच में बीमा करवाते हैं. जीवन भर बचत कर जब २० या ३० वर्ष बाद रकम मिलती है तो वह महंगाई के हिसाब से इतनी छोटी लगती है की दुःख होता है कि इस ज़रा से पैसे के लिए हमने इतनी बचत की थी.
टर्म / सावधि बीमा ही सही उपाय है किन्तु बहुत से लोग जीवित रहने पर कुछ नहीं मिलेगा सोच नहीं करवाते.
यह हमारी भारतीय मानसिकता है और मैं इसी मिथक को तोड़ने का प्रयास कर रहा हूँ, और मैंने पाया कि जिनको यह समझ में आया वे इसका लाभ भी ले रहे हैं और टर्म बीमा को अपना रहे हैं ।
मैं बीमा एजेण्ट हूँ। जब भी कभी मैं किसी से बीमा के बारे में बात करता हूँ या कोई मुझसे बीमा के बारे में पूछताछ करता है,मैं उन्हें सावधि बीमा लेने के लिए ही कहता हूँ। कहता हूँ – 'यही वास्तविक बीमा है।' किन्तु योजना का पूरा ब्यौरा सुनने के बाद वे वही कहते हैं जो आपने कहा। कहते हैं – 'यह भी कोई बात हुई कि आप बरसों तक हमसे हजारों रुपये लेंगे और आखिर में कुछ भी नहीं देंगे! बीमा ऐसा थोडे ही होता है? अरे! आप ब्याज मत दो लेकिन मूल तो लौटाओ!'
ऐसी बातों का कोईजवाब नहीं होता।
🙁 हमें किसी बीमा एजेंट ने कभी भी सावधि बीमा करवाने को नहीं कहा.
घुघूती बासूती
जय हो अर्थ गुरु जी की, ऐसे ही सबका मार्गदर्शन करते रहें। अब जरा निवेश के विभिन्न विकल्पों पर भी प्रकाश डालें।
जी शिरिष भाई
बेहद उपयोगी जानकारी…धन्यवाद
जो एजेण्ट 'पॉलिसी' के बजाय 'खुद को' बेचते हैं, वे ऐसे ही झूठे आश्वासन देकर अपनेवालों का (और अन्तत: अपना ही) नुकसान करते हैं। विडम्बना यह है कि इस बात को समस्त सम्बन्धित पक्ष भली प्रकार जानते हैं किन्तु कुछ करने के नाम पर कोई आगे नहीं आता। ऐसे में लगता है, यह क्रम अनवरत बना रहेगा।
Hamne bhi LIC ki Money plus policy me 3 year me 45000 rupaye jama kiya 2 year ke baad hamko doubble yani 90000 rupaye milne ko kaha gaya tha, jab hamare account me rakam pahuchi to wo keval 43000 rupaye thi, ham kafi pareshan hue, Pata karwaya to LIC wale kahte hai ki policy share market based thi. Ab bahut jald RTI lagakar LIC se sawal poochnege.
Sandeep Singh, Allahabad