शिक्षा अध्ययन करने के तरीकों में भारी बदलाव आ गया है । पहले अध्ययन के लिये कक्षा में जाना अनिवार्य होता था, पर अब तकनीक ने सब बदल कर रख दिया है। अधिकतर अध्यापन अब ऑनलाइन होने लगा है। किताबों की जगह पीडीएफ फाईलों ने ले ली है।
पहले जब किताबों से पढ़ते थे तब कौन से लेखक की किताब अच्छी है, उसके लिए किसी न किसी पर निर्भर रहना पड़ता था, या फिर अध्यापक ही मार्गदर्शन करते थे। विद्यार्थियों के लिए शिक्षक से परे कोई जहाँ नहीं था। किताब पढ़ने के बाद ही उपयोगिता का पता चल पाता था। जिससे कई बार समय की कमी हो जाती थी, पर साथ ही ज्ञान बढ़ता था।
आजकल अध्ययन में फटाफट वाला दौर चल रहा है, जिसमें विद्यार्थियों को पता होता है कि उन्हें क्या पढ़ना है, कितना पढ़ना है, किसे पढ़ना है। विद्यार्थी उससे ज्यादा पढ़ना ही नहीं चाहते हैं। ऑनलाइन सब कुछ उपलब्ध है। हालांकि पढ़ने के लिये पहले से ज्यादा सुविधाएँ उपलब्ध हैं, एक ही विषय को अलग तरीकों से, ज्यादा माध्यमों से पढ़ा जा सकता है। ज्यादातर नोट्स बनाने की जरूरत नहीं, केवल बुकमार्क किया और कभी भी सुविधानुसार उपयोग कर लिया।
पहले अनुक्रमणिका से पृष्ठ संख्या देखकर पृष्ठ पलटाते हुए पहुँचते थे, अब तो पीडीएफ फाईलों में केवल क्लिक करके पहुँचा जा सकता है, पहले किसी भी शब्द या वाक्यों को खोजना दुरूह हो जाता था, पर अब पीडीएफ फाईलों में खोजने का कार्य बहुत सरल हो गया है।
पहले कक्षा में नियत समय पर जाकर विद्यार्थियों के आने के बाद ही पढ़ाई शुरू हुआ करती थी, पर अब सबकुछ वर्चुअल उपलब्ध है, पाठ्यक्रम ईलर्निंग के माध्यमों का उपयोग कर रहे हैं, वीडीयो ऑडियो का शिक्षा में महत्व बढ़ने लगा है, ईबुक्स का प्रचलन तेजी से बड़ा है। अब इन ईबुक्स, ऑडियो, वीडियो के लिये टेबलेट्स भी उपलब्ध हैं, भारत में कई संस्थान अब टेबलेट के जरिये पढ़ाई करवा रहे हैं। ऑनलाईन माध्यम से सबको फ़ायदा हुआ है, अध्यापकों और विद्यार्थियों के बीच तालमेल और अच्छा हुआ है।
भारत के अध्यापक कई देशों के लिये ऑनलाईन ट्यूशन भी पढ़ाते हैं, कई अध्यापक स्काईपी से पढ़ा रहे हैं, तो कई अध्यापक गूगल हैंग आऊट का भरपूर उपयोग कर रहे हैं, उनके अपने खुद के फ़ेसबुक पेजेस भी हैं जहाँ विद्यार्थी आपस में बात तो करते ही हैं, वहीं अपनी समस्याओं को आपस में सुलझाने की अच्छी कोशिशें देखी जा सकती हैं।
अभी कुछ दिन पहले एक संस्था के ट्विट्स भी देखे, जहाँ पर १४० शब्दों की सीमा में ही विषय के बारे में कहने की कोशिश की गई है या फ़िर उत्तर को कई ट्विट्स में दिया गया है, इस तरह से तकनीक का पढ़ाई में भरपूर उपयोग हो रहा है।
किसी भी विषय पर यूजर कंटेन्ट चाहिये तो स्क्रिब्ड हमेशा उपलब्ध है, जहाँ पर बहुत से अनछुए कंटेन्ट मिल जायेंगे, बहुत सी प्रेजेन्टेशन थोड़े फ़ेर बदल के बाद उपयोग में ली जाने वाली मिल जायेंगी। अगर आपको कोई किताब खरीदनी है तो आप गूगल बुक्स पर उसका प्रिव्यू देखकर अपना निर्णय ले सकते हैं।
आशा है कि हमारे भारत के संस्थान आधुनिक तकनीक का अच्छे से फ़ायदा उठायें और भारत की उन्नति में मुख्य भुमिका का निर्वाहन करें।
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति शुक्रवारीय चर्चा मंच पर ।।
निश्चय ही तकनीक ने संभावनाओं का अथाह सागर खोल दिया हम भारतीयों के लिये।
बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल – शुक्रवार – 27/09/2013 को
विवेकानंद जी का शिकागो संभाषण: भारत का वैश्विक परिचय – हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः24 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर …. Darshan jangra
आमूल मूल परिवर्तन !
शिक्षा के क्षेत्र में तो क्रांति आ गई परन्तु इसका भरपूर उपयोग नहीं हो पा रहा है
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सुन्दर.अच्छी रचना.रुचिकर प्रस्तुति .; हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ
कभी इधर भी पधारिये ,